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    एजेंट ने मजदूर को भेजा दुबई, कंपनी ने बनाया बंधक; पुलिस ने कसा शिकंजा तो हुई वतन वापसी

    Updated: Fri, 24 Oct 2025 07:11 PM (IST)

    देवरिया में, एक एजेंट के माध्यम से दुबई गए मजदूर को कंपनी ने बंधक बना लिया था। जिला विधिक सेवा प्राधिकरण की पहल पर पुलिस ने एजेंट पर दबाव बनाया, जिसके बाद कंपनी उसे वापस भेजने को राजी हुई। मजदूर 20 अक्टूबर को वापस लौटा। कंपनी ने अभी तक वेतन का भुगतान नहीं किया है। प्राधिकरण के सचिव ने परिवार से भेंटकर हालचाल जाना।

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    जिला विधिक सेवा प्राधिकरण व कोतवाली पुलिस ने संयुक्त रूप से किया प्रयास। प्रतीकात्‍मक

    जागरण संवाददाता, देवरिया। एजेंट के माध्यम से दुबई गए मजदूर को कंपनी वालों ने बंधक बना लिया। कंपनी के प्रतिनिधि मजदूर को न तो वापस वतन भेज रहे थे न ही वेतन दे रहे थे। जिला विधिक प्राधिकरण की पहल पर पुलिस ने एजेंट के विरुद्ध शिकंजा कसा तो मजदूर को वापस भेजने को कंपनी राजी हुई। 20 अक्टूबर को वापस भारत भेजा। वतन वापसी पर स्वजन की खुशी का ठिकाना न रहा। फिलहाल कंपनी ने वेतन का करीब 2.25 लाख रुपये का भुगतान नहीं दिया। जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव मनोज कुमार तिवारी ने शुक्रवार को परिवार से भेंटकर हाल चाल जाना।

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    तरकुलवा थाना क्षेत्र के सिधावे गांव के रहने वाले बृजेश गोंड सात महीने पहले रोजगार की तलाश में एजेंट के माध्यम से दुबई गए थे। एजेंट ने दुबई भेजने के लिए 75 हजार रुपये लिए थे। दुबई जाने पर उन्हें कर्मचारी के रूप में नौकरी नहीं मिली। कंपनी ने उन्हें बंधक बनाकर सात माह तक अपने यहां रखा व जबरन काम कराया। वह वेतन दिए जाने व घर वापसी के लिए गुहार लगाते रहे, लेकिन उनकी फरियाद को अनसुना कर दिया गया। जिसके कारण तीन बच्चों व पत्नी द्रौपदी देवी का जीवन कठिन हो गया।

    पत्नी ने 24 सितंबर को कोतवाली में शिकायती पत्र देकर कार्रवाई की मांग की। वहां तैनात जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के पीएलवी (पैरा लीगल वालंटियर) मनोज कुमार सिंह ने पीड़िता के आवेदन पत्र को जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव मनोज कुमार तिवारी को प्रेषित किया। उनके निर्देश पर पुलिस ने मामले में जांच शुरू की। साथ ही दुबई भेजने वाले एजेंट के सीसी रोड स्थित कार्यालय से संपर्क किया।

    पुलिस ने एजेंट अजय चौरसिया को कोतवाली में बुलाकर बैठाया व सख्ती दिखाई। तब दुबई स्थित कंपनी के प्रतिनिधि ने फोन पर बातचीत के बाद 15 दिन में घर वापसी का आश्वासन दिया, लेकिन बिना वेतन दिए मजदूर को भारत भेज दिया।