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    भारत-पाकिस्तान सीजफायर के बाद भी नेपाल बॉर्डर पर अलर्ट, पुलिस-SSB व सुरक्षा एजेंसियां कर रहीं निगरानी

    Updated: Sun, 11 May 2025 06:38 PM (IST)

    India Nepal Border सिद्धार्थनगर में भारत-पाकिस्तान सीजफायर के बाद नेपाल सीमा पर सुरक्षा कड़ी कर दी गई है। बढ़नी कस्बे सहित खुनुवा अलीगढ़वा ककरहवा आदि स् ...और पढ़ें

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    भारत-पाकिस्तान सीजफायर के बाद भी नेपाल बॉर्डर पर अलर्ट

    जागरण संवाददाता, सिद्धार्थनगर। भारत-पाकिस्तान सीजफायर की घोषणा के बाद भी सुरक्षा एजेंसियों की बार्डर पर पैनी निगाह है। नेपाल बार्डर पर स्थित कस्बा बढ़नी में गहन चेकिंग के बाद ही लोगों को भारतीय सीमा में प्रवेश करने दिया जा रहा है। इतना ही नहीं, नेपाल जाने वालों की भी छानबीन की जा रही है। वाहन चेक किये जा रहे हैं। उनके वैध परिचय पत्र के साथ जाने का मकसद पूछा जा रहा है। उसके बाद ही लोग एक-दूसरे देश में प्रवेश कर पा रहे हैं।

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    यह स्थिति सिर्फ बढ़नी की नहीं है, बल्कि नेपाल सीमा स्थित खुनुवा, अलीगढ़वा, ककरहवा व हरिबंशपुर बार्डर की भी है। आतंकी गतिविधियों को लेकर नेपाल सीमा पहले से संवेदनशील रही है। ऐसे में इस बात से इन्कार नहीं किया जा सकता कि सीजफायर के बाद भी कोई आतंकी घुसपैठ का प्रयास करे। अथवा कोई आतंकी खुली सीमा का लाभ उठाकर भारतीय क्षेत्र से नेपाल जाकर खुद को सुरक्षित करे। ऐसे में पुलिस व एसएसबी एक-एक गतिविधियों पर नजर बनाए हुए हैं।

    सीमाई थाना शोहरतगढ़ में तो नेपाल सीमा से पहले कई स्थानों पर लोगों की चेकिंग की जा रही है। मोहाना, लोटन, ढेबरुआ, कपिलवस्तु थाना क्षेत्रों में विशेष सतर्कता बरती जा रही है। पुलिस कर्मियों को निर्देश दिए गए हैं कि वह होटल व सरायों पर भी नजर बनाए रखें। ताकि कोई संदिग्ध वहां पर आकर ठहरे तो उसकी जांच की जा सके।

    आतंकियों का सुरक्षित ठिकाना है नेपाल

    31 दिसंबर 2007 को आतंकियों ने रामपुर में सीआरपीएफ के सात जवानों को मार दिया था। उस समय आतंकियों का इंडिया कमांडर कमालुद्दीन नेपाल के काठमांडू में बैठा था। पाकिस्तानी फिदाइन मो.फारुक इमरान कजा वह कराची से काठमांडू के रास्ते आकर नेपाल के बुटवल व उसके आसपास के इलाके रहते थे। यह खुली सीमा का उपयोग करके भारत में आतंकी घटनाओं को अंजाम देते थे।

    पूर्व डीजीपी बृजलाल कहते हैं कि इंडियन मुजाहिद्दीन ने जितनी भी घटनाएं कीं, उसमें आजमगढ़ माड्यूल का मुख्य रोल था। यह सभी नेपाल के रास्तों का ही उपयोग करते थे। यह यहां से दुबई जाते थे और वहां से आइएसआइ इन्हें पाकिस्तान ले जाती थी और वहां इन्हें प्रशिक्षण दिया जाता था और उसके बाद इन्हें पाकिस्तानी पासपोर्ट पर काठमांडू पहुंचा दिया जाता था।

    वहां इनका पाकिस्तानी पासपोर्ट जब्त करके इन्हें नेपाल के रास्ते भारत भेज दिया जाता था। यहां यह आतंकी घटनाओं को अंजाम देते थे।

    इंडियन मुजाहिद्दीन का मुख्य ठिकाना ही नेपाल था। उनके कार्यकाल में यासीन भटकल, सहजाद, छोटू, बसर सहित तमाम आतंकी पकड़े गए। ऐसे में भारत-पाकिस्तान के तनाव को देखते हुए नेपाल सीमा पर सतर्कता बेहद जरूरी है।

    • 68 किलोमीटर है सिद्धार्थनगर के हिस्से में नेपाल सीमा
    • 5 थाने व 6 पुलिस चौकी हैं नेपाल सीमा पर स्थित

    पुलिस अधीक्षक, डॉ.अभिषेक महाजन ने बताया

    नेपाल सीमा पर पूरी सतर्कता बरती जा रही है। सभी थानाध्यक्षों को विशेष अलर्ट पर रहने का निर्देश दिया गया है। हर संदिग्ध की गंभीरता से चेकिंग की जा रही है। इसके अलावा सभी सार्वजनिक स्थलों को लेकर पूरी तरह सतर्कता बरती जा रही है।