सिंगर Brijesh Shandilya का इंटरव्यू: हाईस्कूल की परीक्षा में तीन बार हुए फेल... नहीं मानी हार; बताई संघर्ष की कहानी
सिद्धार्थनगर महोत्सव (Siddharthanagar Mahotsav) में अपनी प्रस्तुति देने आए भोजपुरी गायक बृजेश शांडिल्य (Brijesh Shandilya) ने अपने जीवन के बारे में खुलकर बात की। उन्होंने बताया कि कैसे भगवान भोलेनाथ और गंगा मइया ने उनके जीवन में अहम भूमिका निभाई। साथ ही उन्होंने अपने संघर्ष के दिनों को भी याद किया और बताया कि कैसे वह हाईस्कूल की परीक्षा में तीन बार फेल हो गए थे।

जागरण संवाददाता, सिद्धार्थनगर। केजीएफ-2 फिल्म में ये है सुल्तान... तूफान-तूफान... गाना गाने वाले और विश्व भर में धूम मचाने वाले गायक बृजेश शांडिल्य (Brijesh Shandilya) अपने जीवन में भगवान भोलेनाथ व गंगा मइया की बड़ी भूमिका मानते हैं।
वह कहते हैं कि इनका आशीर्वाद ही है, जो वह आज इस पड़ाव पर हैं। दोनों ने बहुत कुछ दिया है उन्हें। वह कहते हैं कि इस बार तो प्रदेश सरकार ने तो इतनी बेहतर व्यवस्था की है कि विश्व भर के लोग लालायित हैं महाकुंभ जाने के लिए। वह भी महाकुंभ जाने की तैयारी में हैं और वहां पर गंगा मइया में डुबकी लगाएंगे।
बृजेश यहां पर सिद्धार्थनगर महोत्सव (Siddharthanagar Mahotsav) में अपनी प्रस्तुति देने आए थे। उन्होंने कहा कि 2008 से लेकर अभी तक वह 50 से अधिक फिल्मों के लिए गाना गा चुके हैं। इसमें हुर्रियां, केसरी, तनु वेड्स मनु रिटर्न्स, जय हो, मुन्ना माइकल जैसी फिल्में शामिल हैं। बृजेश ने बताया कि यहां तक आने के पीछे एक लंबा संघर्ष है।
इसकी बड़ी वजह है कि उन्होंने अपना कोई लक्ष्य ही निर्धारित नहीं किया था। बृजेश बस्ती जिले के वाल्टरगंज तहसील के महदेवा गांव के रहने वाले हैं। वह बताते हैं कि हाईस्कूल की परीक्षा में वह तीन बार फेल हुए। हर बार पिता से डांट पड़ती थी। तीसरी बार उन्होंने अपने पिता से कहा कि उन्हें उनका समय नहीं मिल पा रहा है।
गोरखपुर के चौरीचौरा में है ननिहाल
वह गोरखपुर फर्टीलाइजर में नौकरी करते थे, लेकिन शनिवार व रविवार घर पर रहते थे, लेकिन दोनों दिनों में उनसे कभी नहीं पूछा गया कि वह पढ़ क्या रहे हैं। तीसरी बार फेल होने के बाद वह गोरखपुर के चौरीचौरा तहसील के ब्रह्मपुर गांव चले गए। वहां उनकी ननिहाल है।
वहां शिव मंदिर में उनके एक दोस्त ने उनसे कहा कि वह गाते बहुत अच्छा हैं तो वह उन्हीं के साथ प्रयागराज चले गए और वहीं पर उन्होंने प्रयागराज संगीत समिति से संगीत की शिक्षा ली। अपनी आगे की शिक्षा को जारी किया और 2003 में पहली बार गोरखपुर के दुर्गाबाड़ी में स्टेज प्रस्तुति दी।
2008 में पहली बार इन्हें हुर्रियां मूवी में ओय लकी ओय गाने का मौका मिला। उसके बाद से लगातार हिन्दी, तमिल, तेलगू, मलयालम मूवी के लिए गाने गा रहे हैं। उन्होंने कहा कि पूर्वांचल के युवाओं में योग्यता बहुत है। जरूरत है कि वह उसे पहचानें। उस पर पूरी लगन से लगें और उसी में भविष्य बनाएं।
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