14 किलो हाइड्रोपोनिक वीड की तस्करी का अंतर्राष्ट्रीय नेटवर्क, दुबई-मलेशिया, थाईलैंड तक ट्रैकिंग करेगा कस्टम
सिद्धार्थनगर के खुनुवा सीमा पर 14 किलो प्रीमियम मारिजुआना की जब्ती ने अंतरराष्ट्रीय तस्करी नेटवर्क का पर्दाफाश किया है। कस्टम विभाग अब दुबई मलेशिया और थाईलैंड तक इस गिरोह की जांच कर रहा है। प्रारंभिक जांच में पता चला है कि आरोपियों को विदेशी यात्राओं के जरिए तस्करी का प्रशिक्षण दिया गया था। कस्टम अब अंतरराष्ट्रीय सहयोग से नेटवर्क के सरगना तक पहुंचने का प्रयास कर रहा है।

जितेन्द्र पाण्डेय, सिद्धार्थनगर। खुनुवा सीमा पर पकड़ी गई 14.376 किग्रा हाइड्रोपोनिक वीड (प्रीमियम मारिजुआना) की खेप ने कस्टम अधिकारियों को एक अंतरराष्ट्रीय तस्करी नेटवर्क की तरफ संकेत दिया है।
अब कस्टम विभाग इस गिरोह की कड़ियों को दुबई, मलेशिया और थाईलैंड तक ट्रैक करेगा। इसके लिए उसने अपनी संपूर्ण जांच-सूचना डीआरआई (डायरेक्टरेट आफ रेवेन्यू इंटेलिजेंस) के साथ साझा कर दी है, ताकि विदेशों में मौजूद सहयोगियों के माध्यम से नेटवर्क के मुखिया तक पहुंच संभव हो सके।
अधिकारिक स्तर पर मिली जानकारी के अनुसार, पकड़े गए आरोपित केरल निवासी मुहम्मद एहितिशाम और मोहम्मद राशिद को विदेशी यात्राओं के जरिए तस्करी के सिलसिले में प्रशिक्षण और समन्वय के लिए भेजा गया था। प्रारंभिक छानबीन में पता चला कि मुहम्मद एहितिशाम व मोहम्मद राशिद 17 सितंबर को हैदरबाद एयरपोर्ट से दुबई के रवाना हुए थे।
वहां दो दिन रहने के बाद उन्हें 19 सितंबर को मलेशिया और 22 सितंबर को थाईलैंड भेजा गया, जहां से हाइड्रोपोनिक वीड उन्हें सौंपा गया और काठमांडू भेज दिया गया। काठमांडू से बस के माध्यम से भारत की ओर रवाना होते समय खुनुवा पर कस्टम टीम ने उन्हें दबोच लिया।
कस्टम का कहना है कि यह मामला दिखाता है कि तस्करी के रणनीतिक घटक एयरपोर्ट सुरक्षा कड़ी होने के बाद नेपाल रूट का उपयोग कर रहे हैं। अब कस्टम की प्राथमिकता है कि आंतरिक सूचना, बेलौस साक्ष्य और अंतरराष्ट्रीय कनेक्शन का मिलान करके गिरोह के नोड्स की पहचान करना। इसके लिए कस्टम ने डीआरआई से कहा है कि वह दूतावासों में तैनात प्रथम सचिवों के माध्यम से दुबई, मलेशिया व थाईलैंड की संबंधित एजेंसियों से औपचारिक सहयोग मांगे।
वर्ल्ड कस्टम आर्गनाइजेशन के तहत देशों के बीच साझा प्रक्रिया उपलब्ध है, जिसके जरिये संबंधित एजेंसियां जांच और एक्स्ट्रैडिशन सहयोग कर सकती हैं। कस्टम सूत्रों के मुताबिक प्रारंभिक चरण में आवश्यक दस्तावेज़ी अनुरोध, पूछताछ रिकार्ड, ट्रैवल-हिस्ट्री और सामान की ट्रैकिंग जानकारी डीआरआई को भेजी जा चुकी है। डीआरआई अपने चैनलों से स्थानीय एजेंसियों को नोटिस भेजकर तस्कर नेटवर्क के उच्चस्तरीय कनेक्शन की पुष्टि करायेगा।
प्रक्रिया में समय लगेगा पर कस्टम आश्वस्त है कि अंतरराष्ट्रीय सहयोग मिलने पर नेटवर्क के और सदस्य पकड़े जा सकेंगे। अधिकारियों का कहना है कि पकड़े गए लोग केवल ‘प्यादे’ हैं। असली माफिया विदेश में छिपा हुआ है और उसी तक पहुंचना मुख्य है।
एयरपोर्ट सुरक्षा से बदलनी पड़ी तस्करी की राह
कस्टम अधिकारियों का कहना है कि भारत के हवाई अड्डों पर सुरक्षा तकनीक इतनी हाईटेक हो चुकी है कि किसी भी विमान के उतरने से पहले ही यात्रियों और सामान की डिटेल मिल जाती है। इसी कारण तस्कर एयरपोर्ट मार्ग से बचते हुए नेपाल होते हुए बस के जरिए खेप भारत में भेजने लगे हैं।
क्या है हाई-क्लास गांजा, क्यों है महंगा
हाई-क्लास गांजा (हाइड्रोपोनिक वीड) मिट्टी रहित, नियंत्रित वातावरण में उगाया जाने वाला मजबूत कैनाबिनोइड प्रोफाइल वाला गांजा है। इसका उपभोग फिल्म जगत के लोगों, उच्च वर्ग व अंतरराष्ट्रीय खरीदारों में अधिक है। नियंत्रित उत्पादन, उत्कृष्ट ताकत और सीमित आपूर्ति के कारण इसकी कीमत बेहद ऊंची रहती है तथा अवैध मांग इसे और मूल्यवान बनाती है।
डीआरआई के पास इसकी सूचना शेयर कर दी गयी है। वह अब इस पूरे रैकेट को देख रही है। वह नेटवर्क को क्रैक करने की दिशा में काम भी करती हैं। वह केरल से लेकर अन्य देशों में इस गिरोह के लोगों की ट्रैकिंग करेगी। उनके साथ कई अन्य टीमें भी इन्वाल्ब हो गई हैं। इनके पास कुछ अतिरिक्त अधिकार भी हैं, जो कस्टम के पास नहीं हैं।
सुधीर त्यागी, असिस्टेंट कमिश्नर कस्टम गोरखपुर
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