Updated: Mon, 06 Oct 2025 05:30 AM (IST)
सिद्धार्थनगर का कालानमक चावल अब विदेशों में भी अपनी पहचान बनाएगा। दीपावली तक कालानमक चावल के आटे से बने कुकीज युगांडा के बाजारों में मिलेंगे जिसके लिए युगांडा की एक कंपनी ने 10 हजार पीस का आर्डर भी दिया है। इसके अतिरिक्त आस्ट्रेलिया की कंपनी ने भी कुकीज का आर्डर दिया है। विदेशी खरीदार इसे भगवान बुद्ध की धरती से जुड़ा प्रसाद मान रहे हैं।
प्रशांत सिंह, सिद्धार्थनगर । जिले की ऐतिहासिक पहचान कालानमक चावल अब न केवल भारत में, बल्कि विदेशों के बाजारों में भी अपनी विशेष सुगंध और स्वाद का परचम लहराने जा रहा है। कालानमक चावल के आटे से बने ‘एरोमेटिक चिया कुकीज, बिस्किट और पास्ता’ दीपावली तक युगांडा के बाजारों में बिकने लगेंगे। इस दिशा में तेजी से तैयारी चल रही है और पहली खेप के लिए आर्डर भी मिल चुका है।
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युगांडा की आयातक कंपनी ‘सरपास इन्वेस्टमेंट’ ने सिद्धार्थनगर की स्थानीय इकाई ‘बुद्धा डिलाइट्स’ से 10 हजार पीस (डिब्बे) कालानमक एरोमेटिक राइस चिया कुकीज की आपूर्ति का आर्डर दिया है। इस पहली खेप की अनुमानित कीमत लगभग 25 लाख रुपये है। यह खेप दीपावली से पहले युगांडा के बाजार में पहुंच जाएगी।
इस उपलब्धि की नींव यूपी इंटरनेशनल ट्रेड शो में पड़ी, जहां कालानमक चावल से बने उत्पादों ने देश-विदेश के व्यापारियों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया। सिद्धार्थनगर के बर्डपुर निवासी डा. अजय रावत द्वारा तैयार ‘बुद्धा डिलाइट्स’ के स्टाल पर जब विदेशी प्रतिनिधियों ने इन उत्पादों का स्वाद लिया, तो सभी ने व्यापारिक साझेदारी में रुचि दिखाई। विदेशों से बढ़ी मांग इस अवसर पर युगांडा के अलावा आस्ट्रेलिया, कजाकिस्तान और दक्षिण कोरिया के प्रतिनिधियों ने भी एमओयू (समझौता ज्ञापन) किए।
50-50 हजार पीस का आर्डर दिया
कजाकिस्तान की ‘सापा’ कंपनी के प्रतिनिधि बार्युज्हान कालीमबेटोव ने प्रत्येक उत्पाद के प्रारंभिक तौर पर 50-50 हजार पीस का आर्डर दिया, जिसकी कीमत लगभग 15 से 20 लाख रुपये आंकी गई है। वहीं, दक्षिण कोरिया की ‘केमस्किन कंपनी’ के प्रतिनिधि जियांग हुन हां ने भी व्यापारिक सहयोग के लिए सहमति जताई। आस्ट्रेलिया की एक प्रतिष्ठित कंपनी ने भी कालानमक चिया कुकीज की बड़ी खेप का आर्डर भेजा है, जो अगले चरण में रवाना की जाएगी। बुद्ध की धरती से ‘आध्यात्मिक प्रसाद’ के रूप में देख रहे विदेशी खरीदार विदेशी कंपनियां कालानमक उत्पादों को केवल खाद्य सामग्री के रूप में नहीं, बल्कि भगवान बुद्ध की पवित्र धरती से जुड़े ‘आध्यात्मिक प्रसाद’ के रूप में देख रही हैं।
सिद्धार्थनगर में तैयार यह उत्पाद भारत की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक पहचान को वैश्विक मंच पर स्थापित करने का कार्य कर रहा है। स्वाद के साथ सेहत का संगम ‘बुद्धा डिलाइट्स’ के स्टाल पर कालानमक चावल से बनी कुकीज, बिस्किट और पास्ता ने आगंतुकों को आकर्षित किया। डा. अजय रावत ने बताया कि इन उत्पादों में कालानमक चावल की प्राकृतिक सुगंध और पौष्टिक तत्वों को सुरक्षित रखा गया है।
प्रयोगशाला में हुआ सिद्ध
प्रयोगशाला परीक्षणों से यह साबित हुआ है कि इन उत्पादों में एंटीआक्सीडेंट, फाइबर और मिनरल्स की मात्रा अधिक है, जो स्वास्थ्य के लिए लाभदायक हैं। खास बात यह भी है कि मधुमेह के रोगी भी इन कुकीज का सेवन कर सकते हैं। नेपाल की कंपनी भी करने जा रही एमओयू कालानमक उत्पादों के प्रति रुचि सिर्फ दूर देशों तक ही सीमित नहीं है। पड़ोसी देश नेपाल की कंपनी ‘श्रीराम आयुर्वेदिक औषधि पासाल’ के प्रतिनिधि इसविन शर्मा ने भी एमओयू करने की इच्छा जताई है।
उन्होंने ‘बुद्धा डिलाइट्स’ को ईमेल भेजकर बर्डपुर स्थित उद्यम का निरीक्षण करने और वहीं पर समझौता करने का प्रस्ताव दिया है। कंपनी ने यह भी पेशकश की है कि नेपाल की राजधानी काठमांडू में अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप एक संयुक्त उत्पादन इकाई स्थापित की जाए।
सिद्धार्थनगर से वैश्विक मंच तक सिद्धार्थनगर के लिए यह पहल सिर्फ आर्थिक नहीं, बल्कि सांस्कृतिक उपलब्धि भी है। यह प्रयास क्षेत्रीय उत्पादों को वैश्विक पहचान देने और स्थानीय किसानों को आर्थिक सशक्तीकरण की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम साबित होगा।
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