'2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाना हम सभी की जिम्मेदारी', कार्यक्रम में बोले पूर्व DGP यशपाल सिंह
पूर्व डीजीपी यशपाल सिंह ने कहा कि 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाना सबकी जिम्मेदारी है। सिद्धार्थ विश्वविद्यालय में विजन डाक्यूमेंट 2047 पर आयोजित संगोष्ठी में उन्होंने यह बात कही। नोडल अधिकारी ने प्रदेश को 12 सेक्टरों में बांटकर विकास का रोडमैप बनाने की बात कही। जिलाधिकारी ने काला नमक चावल को बढ़ावा देने और सागरों को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की योजनाओं पर प्रकाश डाला।

जागरण संवाददाता, सिद्धार्थनगर। पूर्व डीजीपी यशपाल सिंह ने कहा कि भारत को वर्ष 2047 तक विकसित राष्ट्र बनाना हम सबकी साझा जिम्मेदारी है। कभी भारत को सोने की चिड़िया कहा जाता था, अब लक्ष्य है कि आर्थिक और सामाजिक रूप से देश को पुनः उसी ऊंचाई तक पहुंचाया जाए।
इसके लिए हर नागरिक को अपनी क्षमता अनुसार योगदान देना होगा। उन्होंने कहा कि सरकार ने क्यूआर कोड के माध्यम से नागरिकों से सुझाव आमंत्रित किए हैं। बेहतर सुझाव देने वालों को सम्मानित भी किया जाएगा।
यह संबोधन उन्होंने सिद्धार्थ विश्वविद्यालय, कपिलवस्तु में आयोजित ‘विजन डाक्यूमेंट 2047 : समर्थ उत्तर प्रदेश-विकसित उत्तर प्रदेश’ विषयक जनपदीय संगोष्ठी में दिया।
कार्यक्रम का शुभारंभ यशपाल सिंह, दिग्विजयनाथ पीजी कालेज गोरखपुर के पूर्व प्राचार्य शैलेंद्र प्रताप सिंह, कृषि विज्ञान केंद्र सोहना के वरिष्ठ वैज्ञानिक ओमप्रकाश वर्मा, राजस्व परिषद सदस्य (न्यायिक) व नोडल अधिकारी एसबीएस रंगाराव, जिलाधिकारी राजा गणपति आर और मुख्य विकास अधिकारी बलराम सिंह ने दीप प्रज्ज्वलन व माल्यार्पण से किया।
नोडल अधिकारी एसबीएस रंगाराव ने कहा कि प्रदेश को 12 सेक्टरों में विभाजित कर विकसित उत्तर प्रदेश का रोडमैप तैयार किया जा रहा है। काला नमक चावल को ‘एक जनपद-एक उत्पाद’ में चयनित कर जनपद को अलग पहचान दी गई है।
उन्होंने बताया कि पिछले आठ वर्षों में आठ लाख लोगों को रोजगार मिला है और नीति आयोग ने उत्तर प्रदेश को फ्रंट कैटेगरी में स्थान दिया है। जिलाधिकारी राजा गणपति आर ने कहा कि सिद्धार्थनगर एक आकांक्षात्मक जनपद है।
यहां काला नमक चावल के प्रोत्साहन के लिए क्रेता-विक्रेता सम्मेलन आयोजित किए जा रहे हैं। नवंबर में एक बड़े सम्मेलन की तैयारी चल रही है। जनपद की सागरों को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जा रहा है।
मछली उत्पादन में सिद्धार्थनगर अव्वल है, जिसके लिए फिशरीज बोर्ड का गठन किया गया है। बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में मखाना और सिंघाड़ा की खेती को बढ़ावा देने की योजना भी है। शैलेंद्र प्रताप सिंह ने कहा कि गांवों का विकास ही विकसित भारत की आधारशिला है।
युवाओं को अपनी क्षमता पहचानकर योजनाबद्ध योगदान करना चाहिए। वरिष्ठ वैज्ञानिक ओमप्रकाश वर्मा ने कहा कि कृषि, पशुपालन और मत्स्य पालन में अपार संभावनाएं हैं। किसानों की आय बढ़ाकर ही समृद्ध भारत का निर्माण किया जा सकता है।
कार्यक्रम में परियोजना निदेशक नागेन्द्र मोहन राम त्रिपाठी, जिला विकास अधिकारी सतीश सिंह, डीएसटीओ बीएस यादव, जिला विद्यालय निरीक्षक अरुण कुमार, जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी शैलेष कुमार, सिद्धार्थ विश्वविद्यालय के कला संकाय की अधीष्ठाता प्रो. नीता यादव समेत प्रोफेसर दीपक बाबू, प्रोफेसर सौरभ, प्रोफेसर हरीश कुमार शर्मा, प्रोफेसर सुनील श्रीवास्तव, डा. आशुतोष श्रीवास्तव, डा. लक्ष्मन सिंह अन्य उपस्थित रहे।
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