महंगी हुई रोजेदारों की थाली, सहरी व इफ्तार के खर्च में इजाफा
रमजान के पवित्र महीने रोजा रखने वाले रोजदारों के सहरी तथा इफ्तार पर महंगाई की मार पड़ रही है जिसके चलते राजेदारों की थाली महंगी हो चली है। खाद्य सामग्री और फलों के दाम आसमान छू रहे हैं जिसके चलते उपवास रख रहे लोगों की जेब पर अतिरिक्त बोझ पड़ रहा है।

सिद्धार्थनगर : रमजान के पवित्र महीने रोजा रखने वाले रोजदारों के सहरी तथा इफ्तार पर महंगाई की मार पड़ रही है, जिसके चलते राजेदारों की थाली महंगी हो चली है। खाद्य सामग्री और फलों के दाम आसमान छू रहे हैं, जिसके चलते उपवास रख रहे लोगों की जेब पर अतिरिक्त बोझ पड़ रहा है। दुकानों में जरूरत की सारी वस्तुएं भरी हैं, लेकिन महंगाई के चलते पिछले साल के मुकाबले इस बार रमजान में बहुत कम खरीदारी लोग कर रहे हैं।
पूर्व में लोगों द्वारा माह-ए-रमजान में जगह-जगह इफ्तार का कार्यक्रम किया जाता था लेकिन अब महंगाई के कारण यह आयोजन बहुत कम जगहों पर ही हो रहा है। फल दुकानदारों का कहना है कि ग्राहक जो पहले एक किलो फल लेते थे वह अब आधा किलो खरीदते हैं।
पेट्रोलियम पदार्थो के दाम बढ़ने तथा कोरोना काल के मार के कारण रोजाना के खाने पीने की सामान के दाम बढ़ते जा रहे हैं। कोविड काल के समय लोगों को अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ा जिससे उनकी आमदनी भी कम हो गई। ऊपर से बढ़ती महंगाई से लोगों की कमर टूटती जा रही है।
बाजार में सेंवई 80 से 160 तो लच्छा 200 रुपये किलो के हिसाब से बिक रही है। सेंवई और लच्छा बनाने वाले अनवर का कहना है कि खाद्यतेल के महंगे होने से से सेंवई रेट पिछली बार की तुलना में 30 प्रतिशत तक बढ़ गए हैं। लोगों कि मांग में भी गिरावट आ गई है इसलिए इस बार कम मात्रा में ही सेंवई बनाई जा रही है।
रोजेदार में सबसे ज्याद प्रयोग होने वाले सामग्रियों में फल है उसके भी दामों में बेतहाशा वृद्धि हुई है। तरबूज 30 तो खरबूज 40 रुपये किलो है। केला 50, अंगूर 100 तथा सेब 140 रुपए किलो फुटकर बाजार में बिक रहे हैं। मटन 600 तो चिकन 240 रुपये किलो के भाव है। खजूर की बिक्री 700 रुपये किलो की दर से हो रही है।
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