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    धर्म और विज्ञान मानता है वट वृक्ष की विशिष्टता

    By JagranEdited By:
    Updated: Sun, 06 Jun 2021 11:44 PM (IST)

    वट वृक्ष धार्मिक व वैज्ञानिक दोनों ही दृष्टिकोण से जीवन के लिए महत्वपूर्ण है। बरगद का वृक्ष एक दीर्घजीवी विशाल पादप है। हिदू परंपरा में इसे पूज्य माना जाता है। अलग-अलग देवों से विभिन्न वृक्ष उत्पन्न हुए। ऐसा मानते हैं कि इसके पूजन से और इसकी जड़ में जल देने से पुण्य प्राप्ति होती है।

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    धर्म और विज्ञान मानता है वट वृक्ष की विशिष्टता

    सिद्धार्थनगर : वट वृक्ष धार्मिक व वैज्ञानिक दोनों ही दृष्टिकोण से जीवन के लिए महत्वपूर्ण है। बरगद का वृक्ष एक दीर्घजीवी विशाल पादप है। हिदू परंपरा में इसे पूज्य माना जाता है। अलग-अलग देवों से विभिन्न वृक्ष उत्पन्न हुए। ऐसा मानते हैं कि इसके पूजन से और इसकी जड़ में जल देने से पुण्य प्राप्ति होती है। यह वृक्ष त्रिदेव का प्रतीक है। इसकी छाल में विष्णु, जड़ में ब्रह्मा और शाखाओं में शिव का वास माना जाता है। जिस प्रकार पीपल को भगवान श्रीहरि का प्रतीक माना जाता है ठीक उसी प्रकार बरगद को शिव का रूप माना जाता है। यह प्रकृति के सृजन का प्रतीक है। इसलिए संतान के इच्छुक लोग इसकी विशेष पूजा करते हैं। यह बहुत लंबे समय तक जीवित रहता है। कृषि वैज्ञानिक डा. मारकंडेय सिंह कहते हैं कि वट वृक्ष के वैज्ञानिक महत्व पर जाएं तो माना जाता है कि इसकी पत्तियां एक घंटे में पांच मिलीलीटर आक्सीजन देती हैं। यह वृक्ष 24 घंटे में 20 घंटे से ज्यादा समय तक आक्सीजन देता है। इसके पत्तों से निकलने वाले दूध का उपयोग दर्द निवारक आयुर्वेदिक औषधियों के लिए होता है। शायद इन्हीं खूबियों के चलते वट सावित्री व्रत का विधान भी प्रचलन में है, जो कहीं न कहीं इस वृक्ष के संरक्षण को प्रेरित करता। ग्राम पंचायत बनगवां नानकार में आज भी एक साथ पांच बरगद के वृक्ष हैं जिनका संरक्षण गांव के सभी लोग मिलकर करते हैं। व्रत- त्योहार के दिन महिलाएं इसकी पूजा अर्चना करती हैं। शीला दुबे ने कहा कि हमारे हिदू मान्यता में वट वृक्ष की बहुत महत्ता है। बरगद को भगवान शिव समान माना जाता है। अनेक व्रत व त्योहारों में वटवृक्ष की पूजा की जाती है। इस बार वट सावित्री व्रत के दिन एक बरगद का पौधा जरूर लगाएंगे जिससे लोगों को प्रेरणा मिले।

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    रीता देवी ने कहा कि वटवृक्ष धार्मिक आस्था का प्रतीक है। इस वृक्ष के प्रति आस्था इतनी अधिक है कि इस वृक्ष के नाम पर ही सुहागिनों का पर्व वट सावित्री व्रत नाम रखा गया है। इस दिन सुहागिनें व्रत रखकर वट वृक्ष की पूजा करती हैं। ऐसे में एक वट का पौधा सभी व्रती महिलाओं को लगाना चाहिए। सुनीता का कहना है कि वट वृक्ष धार्मिक महत्व के साथ जीवन रूपी आक्सीजन भी देता है। कोविड आपदा की घड़ी में आक्सीजन की किल्लत भविष्य में न हो इसके लिए मैं भी एक वटवृक्ष का रोपण कर संरक्षित करूंगी। प्रियंका ने बताया कि वट सावित्री पूजा का हिदू धर्म मे विशेष महत्व है। हमारे गांव में ही बरगद का पेड़ है। हम लोग प्रति वर्ष त्योहार से पहले वृक्ष के जड़ों के आसपास साफ- सफाई करते हैं, और व्रत के दिन पूजा पाठ करते हैं।