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    रावण व कंस की भूमिका में हैं आतंकी

    By JagranEdited By:
    Updated: Mon, 04 Dec 2017 11:14 PM (IST)

    सिद्धार्थनगर : आतंकवाद हमारे समाज के लिए नया नहीं है। यह आदि काल से चला आ रहा है। पहले

    रावण व कंस की भूमिका में हैं आतंकी

    सिद्धार्थनगर : आतंकवाद हमारे समाज के लिए नया नहीं है। यह आदि काल से चला आ रहा है। पहले रावण व कंस जैसे राक्षस आतंक मचाते थे। अब उनकी जगह विभिन्न आतंकी संगठनों ने ले ली है। जब भी यह आतंक पराकाष्ठा के पार हुआ है, किसी न किसी रूप में भगवान अवतरित हुए हैं।उन्होंने न केवल भक्तों का उद्धार किया वरन आतंक का भी समूल नाश किया।

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    उक्त बातें आचार्य नीरज जी महराज ने कही। वह सोमवार को ग्राम पंचायत टीकुर स्थित राम जानकी मंदिर पर चल रहे श्री सिद्धि विनायक महायज्ञ के पांचवें दिन श्रद्धालुओं को कथा का रसपान करा रहे थे। कहा कि जब-जब पृथ्वी पर पाप बढ़ता है, धरती अकुलाहट महसूस करती है, भगवान को अवतरित होना ही पड़ता है। भगवान राम मर्यादा के अवतार थे। उन्होंने अपने आचरण के द्वारा समाज के समक्ष जो आदर्श प्रस्तुत किया, वह सभी के लिए अनुकरणीय है। उनके बताए मार्ग पर चलकर ही हम जीवन में सफलता प्राप्त कर सकते हैं। यदि हम दूसरों को आदर नहीं देंगे, तो निश्चित रूप से समाज हमारा भी सम्मान नहीं करेगा। प्रवचन के बजाए अपने आचरण के द्वारा ही समाज को बेहतर शिक्षा दी जा सकती है। इस बात को भगवान राम ने स्वयं प्रमाणित किया। महंत नित्यानंद जी महाराज, रामजी शास्त्री, राहुल मिश्र, विजय राय, गुड्डू पाण्डेय, भोला पाण्डेय, सोमई जायसवाल, राम शंकर, राम दरश राय, कृष्णदेव त्रिपाठी, बुद्धिसागर मिश्र, विभूति चतुर्वेदी, अशोक त्रिपाठी सहित तमाम श्रद्धालु उपस्थित रहे।

    इनसेट..

    राम-केवट संवाद व सीताहरण मंचन देख भर आई आंखें

    कैचवर्ड : रामलीला

    जागरण संवाददाता, डुमरियागंज, सिद्धार्थनगर :

    भनवापुर विकास खंड अन्तर्गत ग्राम हरानाखुरी में आदर्श रामलीला समिति के तत्वाधान में चल रहे नौ दिवसीय रामलीला में पांचवें दिन रविवार की रात्रि कलाकारों ने भगवान श्रीराम व केवट संवाद से लेकर सीताहरण तक कार्यक्रम की सुंदर प्रस्तुति की गई। मंचन देख श्रोता भाव विभोर हो उठे।

    रात करीब आठ बजे कलाकारों ने मंचन करते हुए दिखाया कि प्रभु श्रीराम तमसा तीर पर प्रजा को छोड़ कर जब आगे बढ़ते हैं, तो अपने सखा निषाद राज के राज्य में प्रवेश करते है, सूचना निषाद को मिलती है तो वह प्रजा के साथ श्रीराम से मिलने के लिए आता है। भगवान श्रीराम जब गंगा किनारे पहुंचते हैं, तो केवट से उस पार पहुंचाने का निवेदन करते हैं। राम-केवट संवाद को भी बेहतरीन प्रस्तुति कर कलाकारों ने श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। इसके बाद कलाकारों ने सीताहरण का जब मंचन करना प्रारंभ किया, तो पंडाल में मौजूद दर्शकों की आंखें भर आई। कार्यक्रम के दौरान जयश्रीराम के जयकारे से पूरा वातावरण भक्तिमय हो उठा।

    संचालक मुन्नू ओझा ने सभी के प्रति आभार जताया। इस अवसर पर राजमणि, विनोद यादव, राम निवास, पप्पू यादव, गिरधारी, नान्हू, सुनील ओझा, संतोष कुमार, भगवत, रामचंद्र, समेत बड़ी संख्या में श्रोता उपस्थित रहे।

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