बच्चों की शिक्षा से प्रीति की अनूठी 'प्रीत'
प्रीति की बच्चों के प्रति शिक्षा के इस प्रीत की कहानी भी कुछ अलग है। उनके पिता बलिया जनपद में चीफ फार्मासिस्ट के पद पर तैनात रहे। इस दौरान 2009 में इलाहाबाद से बीटेक किया। एक वर्ष तक एक बड़ी निजी कंपनी में कार्य किया। पिता सेवानिवृत हुए तो गांव आईं।
सिद्धार्थनगर : प्राथमिक विद्यालय कोलुहआ में तैनात महिला शिक्षक प्रीति गौतम की बच्चों की शिक्षा से अजब की 'प्रीत' है। इसके लिए जहां वे अपने वेतन का दस फीसद खर्च करती हैं तो वहीं प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए उनकी प्रतिभा निखारने का कार्य भी। प्रत्येक माह स्किल टेस्ट लेती हैं। बेहतर प्रदर्शन करने वाले बच्चों को पुस्तक, बैग आदि सामान मुहैया कराती हैं।
प्रीति की बच्चों के प्रति शिक्षा के इस प्रीत की कहानी भी कुछ अलग है। उनके पिता बलिया जनपद में चीफ फार्मासिस्ट के पद पर तैनात रहे। इस दौरान 2009 में इलाहाबाद से बीटेक किया। एक वर्ष तक एक बड़ी निजी कंपनी में कार्य किया। पिता सेवानिवृत हुए तो गांव आईं। बच्चों की पढ़ाई का स्तर खराब देख शिक्षक बनने का फैसला किया। 2014 में बीटीसी किया। 2018 में प्राथमिक विद्यालय कोलुहआ में तैनाती पाईं। विद्यालय में पढ़ाई करने वाले बच्चों को निर्धारित कक्षा के अलावा भी पढ़ाई शुरू करायी। पांचवी के बच्चों को भविष्य की समस्याओं से अवगत कराते हुए उन्हें प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी में अभी से जुटने के लिए प्रेरित कर रही हैं। प्रीति बताती हैं कि तमाम गरीब परिवारों के बच्चों में संसाधनों की कमी दिखी तो मैं वेतन का 10 फीसद हिस्सा इनके कापी-किताब आदि पर खर्च करने लगीं। 40 बच्चों को कर रहीं तैयार
कोरोना काल में लाकडाउन लगा तो बच्चों के घर तक पहुंचीं। पढ़ाई के इच्छुक छात्रों के अभिभावकों से मिलकर उनको निरंतर पढ़ाई के लिए प्रेरित किया। इस अवधि में भी करीब 40 बच्चों को निरंतर शिक्षा देती रहीं। मार्च में विद्यालय खुलने पर छात्रों को अतिरिक्त समय देकर पढ़ाने की भी तैयारी है।
राजेंद्र सिंह, बीएसए ने बताया कि
प्रीति बच्चों के प्रति समर्पित रहती हैं। उनके मेहनत से बच्चे पढ़ाई में आगे बढ़ रहे हैं। विभाग की ओर से आवश्यकता होने पर आवश्यक संसाधन मुहैया कराया जाएगा।
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