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    किराये की जमीन पर 'मुनाफे की पौध'

    By JagranEdited By:
    Updated: Fri, 04 Dec 2020 12:09 AM (IST)

    किराए की जमीन पर मुनाफे की पौध उगा रहे हैं। वैज्ञानिक विधि से मौसमी- बेमौसमी सब्जियां उगा लाभ कमा रहे हैं। पिछले वर्ष 25 लाख रुपये की आमदनी हुई तो इस कोरोना काल में भी अच्छी आय प्राप्त कर रहे हैं।

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    किराये की जमीन पर 'मुनाफे की पौध'

    सिद्धार्थनगर : गरीबी और बेरोजगारी की दहलीज पर खड़े शाहजहांपुर के खिरनीबाग मोहल्ले के चार दोस्तों शरीफ अहमद, नूर आलम, जहूर आलम और कल्लू ने अपनी सोच और जज्बे से तरक्की की नई इबारत लिखी है। किराए की जमीन पर 'मुनाफे की पौध' उगा रहे हैं। वैज्ञानिक विधि से मौसमी- बेमौसमी सब्जियां उगा लाभ कमा रहे हैं। पिछले वर्ष 25 लाख रुपये की आमदनी हुई तो इस कोरोना काल में भी अच्छी आय प्राप्त कर रहे हैं।

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    इन दोस्तों की दास्तान फिल्मी कहानी से कम नहीं है। साथ ही इंटरमीडिएट की पढ़ाई कर गृहस्थी में कदम रखा। नौकरी मिली न हिस्से में जमीन। हालात इतने बद्तर हुए कि भुखमरी की नौबत सामने आ गई। पर, हिम्मत नहीं हारी। इससे उबरने के लिए खेती से आय अर्जित करने का फैसला किया। जमीन किराए पर लेने की सोची तो धन की कमी आड़े आई। चारों ने पत्नियों के जेवर बेच रुपये इकट्ठा किए। ऐसे क्षेत्र में किराए पर जमीन ली जहां सिचाई की सुविधा थी। खेती की वैज्ञानिक विधि अपनाते हुए पिछले वर्ष बिथरिया में 27 एकड़ जमीन पर सब्जियों की खेती शुरू की। पहले सीजन में लाभ मिला तो हौसला और बढ़ा। वर्ष के तीन सीजन में लगभग 25 लाख की बचत हो गई। इस साल भी भड़रिया में 19 एकड़ जमीन 6.50 हजार रुपये बीघे की दर से किराए पर ली और जुट गए हौसले के साथ। कोरोना काल में भी खेती की बदौलत अब तक करीब पांच लाख रुपये कमा चुके हैं।

    यह सब्जियां हैं तैयार

    -मौजूदा समय में तरोई, करैला, लौकी, नेनुआ, गाजर, मिर्चा, मूली, धनिया, पालक, बैंगन, टमाटर की तैयार फसल समाप्त होने वाली है। मटर, पत्तागोभी, शिमला मिर्च, गाजर, ब्रोकली (गोभी की एक प्रजाति), आलू, मेथी, पालक, सोया, मिर्च, टमाटर की फसल 15 से 20 दिनों में तैयार हो जाएगी।

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    कम लागत से अधिक लाभ पर जोर

    -सब्जियों की खेती थाला, नाली विधि से होती है। नाली में ही पौधे लगाए जाते हैं, जिससे सिंचाई के लिए पानी की आवश्यकता कम पड़ती है। स्वास्थ्य का ध्यान रखते हुए गोबर की खाद और कीटनाशक के रूप में नीम की खली, नीम तेल व नमक का उपयोग किया जाता है। पौधों को ओस से बचाने के लिए प्लास्टिक कोट लगाने व निकालने की व्यवस्था भी है।

    मेहनत से लिखी तकदीर

    शरीफ अहमद बताते हैं कि दो वर्ष पहले उनका और दोस्तों का परिवार आर्थिक रूप से कमजोर था। आज हम अच्छी आय प्राप्त कर रहे हैं। परिवार की आर्थिक स्थिति बदल गई है।

    एसडीएम त्रिभुवन ने कहा कि यह बहुत अच्छा प्रयास है। उन लोगों के लिए नजीर भी है जो पढ़ लिखकर नौकरी की आस में बैठे समय गंवाते हैं। इनका साझा प्रयास आत्म निर्भर भारत की तस्वीर भी पेश कर रहा है।