धान की फसल में तना छेदक कीट का प्रकोप
क्षेत्र में धान की फसल में कीटों के प्रकोप को देखते हुए किसान चितित हैं। कीट पौधे की गोभ में प्रवेश कर जाती हैं जिससे पौध की बढ़वार रुक जाती है। यही नहीं कीट पौधे के गोभ के तने को काट देती हैं जिससे गोभ सूख जाता है और बालियों का रंग सफेद पड़ने लगता है।
फोटो 19 एसडीआर 101
कैचवर्ड : चिता में किसान
जागरण संवाददाता, इटवा, सिद्धार्थनगर : इन दिनों विभिन्न क्षेत्रों में धान की फसल में तना छेदक कीट का प्रकोप है। इसे लेकर किसान चितित हैं। तना छेदक कीट की सूंड़ियां काफी हानिकारक होती हैं। यह हल्के पीले शरीर वाली तथा नारंगी-पीले सिर की होती हैं। मादा सूंड़ी के पंख पीले होते हैं। यह हल्के पीले शरीर वाली तथा नारंगी-पीले सिर की होती हैं। मादा सूंड़ी के पंख पीले होते हैं।
क्षेत्र में धान की फसल में कीटों के प्रकोप को देखते हुए किसान चितित हैं। कीट पौधे की गोभ में प्रवेश कर जाती हैं, जिससे पौध की बढ़वार रुक जाती है। यही नहीं कीट पौधे के गोभ के तने को काट देती हैं, जिससे गोभ सूख जाता है और बालियों का रंग सफेद पड़ने लगता है।
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बचाव के लिए क्या कहते हैं कृषि वैज्ञानिक
कृषि विज्ञान केंद्र सोहना के कृषि वैज्ञानिक फसल सुरक्षा डॉ. प्रदीप कुमार का कहना है कि यह कीट काफी खतरनाक होते हैं। सूंड़ी 20-30 दिन के जीवनकाल में कई पत्तियों को नुकसान पहुंचाती हैं। किसानों को सतर्क रहने की आवश्यकता है। पांच फीसद प्रति वर्ग मीटर से अधिक गोभ मृत होने पर उन्हें रसायनों का प्रयोग करना चाहिए। तना छेदक की रोकथाम के लिए कार्बोफूरान तीन जी 20 किग्रा प्रति हेक्टेयर की दर से 3-5 सेमी स्थिर पानी में अथवा कारटाप हाइड्रोक्लोराइड चार फीसद 18 किग्रा प्रति हेक्टेयर की दर से 3-5 सेमी स्थिर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करना चाहिए। किसान ऐसा करते हैं तो काफी हद तक फसल को सुरक्षित बचाया जा सकता है।
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