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    राम-केवट संवाद की सुनाई कथा

    By JagranEdited By:
    Updated: Sun, 17 Apr 2022 10:26 PM (IST)

    भगवान राम 14 वर्ष वनवास के लिए सीता और लक्ष्मण के साथ गंगा घाट पर पहुंचे और केवट से गंगा पार करने के लिए नाव मांगा तो केवट ने कहा मैं तुम्हारे मर्म जा ...और पढ़ें

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    राम-केवट संवाद की सुनाई कथा

    सिद्धार्थनगर: मिठवल ब्लाक के सेमरेहना में चल रहे पांच दिवसीय संगीतमयी रामकथा के समापन अवसर पर रविवार को कथा व्यास आचार्य शांतनुजी महाराज ने राम वनवास व राम केवट संवाद कथा की मनोहारी व्याख्या किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि जब आप दूसरे की मर्यादा को सुरक्षित रखेंगे तभी आपकी मर्यादा सुरक्षित रह सकेगी।

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    भगवान राम 14 वर्ष वनवास के लिए सीता और लक्ष्मण के साथ गंगा घाट पर पहुंचे और केवट से गंगा पार करने के लिए नाव मांगा तो केवट ने कहा, मैं तुम्हारे मर्म जान लिया हूं चरण कमलों की धूल के लिए सब लोग कहते हैं वह मनुष्य बना देने वाली कोई जड़ी है। पहले पांव धुलवाओ फिर नाव पर चढ़ाऊंगा। कथा व्यास शांतनु ने कहा कि जिससे पूरी दुनिया मांगती है आज गंगा पार जाने के लिए दूसरे से मदद मांग रहे हैं, जो सारे सृष्टि को तीन पग में नाप सकता है, क्या वह पैदल गंगा नहीं पार कर सकता। भगवान दूसरों की मर्यादा को समझते हैं, वैसे ही घाट की एक मर्यादा होती है। भगवान केवट के पास इसलिए आए कि वह हम लोगों से कहना चाहते हैं कि हम लोग बहुत बड़े बड़े लोगों के दरवाजे पर उनके सुख-दुख में जाते रहते हैं। भगवान कहना चाहते हैं कि हमें कभी छोटे लोगों के यहां भी जाना चाहिए। राम केवट कथा सुनने से हमें यह सीख लेनी चाहिए। कथा को भाव व प्रेम से सुनने वाले ही ज्ञान प्राप्त करते हैं। रामायण का मुख्य रस करुण वास्तव में हृदय में करुणा आ जाए तो वीरता और पराक्रम की आवश्यकता नहीं पड़ेगी। हवन के उपरांत पांच दिवसीय कथा का समापन हुआ। जिला पंचायत अध्यक्ष शीतल सिंह, अध्यक्ष प्रतिनिधि उपेंद्र प्रताप सिंह इंद्रावती सिंह, मनीष पांडे, सोनू सिंह, रिकू तिवारी, शाहिद आदि मौजूद रहे।