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    Nepal Protest: नेपाल में आंदोलन का बॉर्डर पर असर, सीमा पर हालात तनावपूर्ण; भारतीय पर्यटक रोके गए

    Updated: Tue, 09 Sep 2025 03:28 PM (IST)

    Nepal Political Crisis | Nepal Situation | Nepal Curfew | नेपाल में राजनीतिक संकट गहराता जा रहा है। कपिलवस्तु और रूपन्देही जिलों में छात्रों और युवाओं ने प्रदर्शन किया जिससे तनाव बढ़ गया। नारेबाजी हुई और दुकानें बंद रहीं। सीमा पर भारतीय वाहनों का प्रवेश रोक दिया गया जिससे पर्यटकों को परेशानी हुई। रूपन्देही में निषेधाज्ञा लागू कर दी गई है।

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    नेपाल की तरफ से आने वाले वाहनों की जांच करते एसएसबी के जवान।

    जागरण संवाददाता, सिद्धार्थनगर। नेपाल में राजनीतिक उथल-पुथल और विरोध प्रदर्शनों के चलते हालात लगातार तनावपूर्ण होते जा रहे हैं। सोमवार शाम से लेकर मंगलवार दोपहर तक कपिलवस्तु और रूपन्देही जिलों की स्थिति बिगड़ती चली गई।

    कपिलवस्तु जिले के कृष्णानगर कस्बे में मंगलवार सुबह करीब 11:40 बजे बड़ी संख्या में छात्र और युवा सड़क पर उतर आए। उन्होंने टायर जलाकर चक्का जाम किया।

    काठमांडू में मारे गए छात्रों की याद में गोलघर चौराहे पर दो मिनट का मौन भी रखा गया। विरोध के कारण कृष्णानगर की सभी दुकानें बंद हो गईं। सीमा पर भारतीय वाहनों का प्रवेश तत्काल रोक दिया गया, वहीं नेपाली गाड़ियों की आवाजाही भी बेहद कम हो गई।

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    स्थिति को संभालने के लिए सशस्त्र पुलिस बल और सेना के जवानों ने मार्च किया। विरोध का सीधा असर कस्टम (भंसार) कार्यालयों पर भी पड़ा। कृष्णानगर भंसार कार्यालय का मुख्य गेट बंद कर दिया गया और यार्ड पर ताला जड़ दिया गया, जहां मालवाहक गाड़ियां चेकिंग के दौरान खड़ी रहती हैं। भंसार प्रमुख फडीन्द्र खतिवड़ा ने स्पष्ट किया कि आधिकारिक आदेश नहीं आया है, लेकिन लोग स्वयं मालवाहक गाड़ियों का भंसार नहीं करा रहे हैं।

    12 बजकर 35 मिनट पर नेपाल का कस्टम कार्यालय भी बंद कर दिया गया परंतु आधिकारिक रूप से इसके बंदी की बात नहीं कही गई कार्यालय के अंदर आवश्यक कार्य हो रहा था।

    उन्होंने कहा कि यदि आदेश आया तो सार्वजनिक सूचना चस्पा कर दी जाएगी। मंगलवार दोपहर 12:35 बजे नेपाल का कस्टम कार्यालय भी बंद हो गया। हालांकि भीतर कुछ आवश्यक कार्यवाही जारी रही, लेकिन कार्यालय के बाहर पूरी तरह तालेबंदी नजर आई।

    भारतीय पर्यटकों की मुश्किलें

    नेपाल प्रशासन के ताजा फैसले ने भारतीय श्रद्धालुओं और पर्यटकों के लिए भारी कठिनाई खड़ी कर दी है। ककरहवा बार्डर से नेपाल जाने वाले सभी भारतीय टूरिस्ट वाहनों का प्रवेश रोक दिया गया है। केवल स्थानीय वाहनों को ही अनुमति दी जा रही है। इसका असर सीधे सिद्धार्थनगर जिले के उन सैकड़ों श्रद्धालुओं पर पड़ा है, जो रूपन्देही जिले स्थित लुम्बिनी जाने के लिए निकले थे।

    सोमवार शाम से ही कालीदह स्थित लुम्बिनी छोटी भंसार कार्यालय बंद पड़ा है। इसके चलते बार्डर पर सन्नाटा छा गया है। पर्यटकों की गाड़ियां बढ़नी, खुनुवा और ककरहवा सीमा पर खड़ी हैं, जिससे दोनों ओर लंबी कतारें लग गई हैं। धूप और उमस के बीच यात्रियों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

    रूपन्देही में निषेधाज्ञा

    तनावपूर्ण स्थिति को देखते हुए रूपन्देही जिले के प्रमुख जिला अधिकारी डॉ. टोकराज पांडे ने सोमवार देर शाम पूरे जिले में निषेधाज्ञा लागू कर दी। आदेश के अनुसार पाँच या उससे अधिक लोग किसी भी प्रकार की सभा, जुलूस, धरना, प्रदर्शन या घेराव नहीं कर सकेंगे। यह आदेश 24 आश्विन 2082 (9 सितंबर) की सुबह 9:30 बजे से अगले आदेश तक प्रभावी रहेगा।

    लुम्बिनी क्षेत्र में मंगलवार सुबह 11 बजे से युवाओं के विरोध प्रदर्शन की सूचना पर प्रशासन ने सुरक्षा और कड़ी कर दी। नेपाल में चल रहे ‘जेन-जेड आंदोलन’ में अब तक 19 युवाओं की मौत हो चुकी है। लुम्बिनी विकास कोष ने मृतकों के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त की है। प्रशासन ने स्पष्ट चेतावनी दी है कि निषेधाज्ञा का उल्लंघन करने वालों पर कठोर कानूनी कार्रवाई होगी।

    पहले से असंतुष्ट थे लोग

    कपिलवस्तु के कृष्णानगर नगर पालिका के मेयर रजत प्रताप शाह ने कहा कि ओली सरकार के कामकाज से लोग पहले से ही असंतुष्ट थे। दो ढाई साल में युवाओं और बेरोजगारों के लिए कोई ठोस योजना नहीं आई। इसके ऊपर सोशल मीडिया पर प्रतिबंध ने युवाओं को और भड़का दिया।

    नेपाल में अधिकांश परिवार विदेशों में काम करने वाले लोगों पर निर्भर हैं और सोशल मीडिया ही उनका मुख्य संपर्क साधन है। यही आंदोलन की जड़ है। अब सरकार बदलना तय दिख रहा है और कभी भी नई सरकार की घोषणा हो सकती है।