अब याद आ रहे भूले-बिसरे लोग
सिद्धार्थनगर : शनिवार को शहर के एक नागरिक की बेटी की शादी थी। वह सुबह से तैयारियों मे
सिद्धार्थनगर : शनिवार को शहर के एक नागरिक की बेटी की शादी थी। वह सुबह से तैयारियों में व्यस्त था। दोपहर बाद बारात पहुंची। सभी बारातियों के स्वागत में जुट गए। अचानक ही लाव लश्कर के साथ वहां एक नेताजी भी पहुंच गए। उन्होंने शादी की मुबारकबाद तो दी ही, साथ ही दिक्कत-परेशानी भी पूछा। हां अपनी बात कहना भी नहीं भूले। इससे वहां मौजूद तमाम लोग भौचक्के रह गए। उसमें से कई तो नेताजी से परिचित भी नहीं थे। कुछ ऐसा ही हाल जिले के अन्य निकाय क्षेत्रों का भी है। नामांकन प्रक्रिया एवं पर्चों की जाचं समाप्त हो चुकी है। निकाय चुनाव की तस्वीर काफी हद तक साफ हो चुकी है। राजनैतिक दलों के जो उम्मीदवार हैं, उनका तो ¨सबल पहले से ही पता है। निर्दलीय उम्मीदवारों को अभी ¨सबल दो दिन बाद मिलेगा, पर इसका इंतजार किए बिना ही सूरमा अभी से कमर कस कर रणभूमि में उतर गए हैं। उन्होंने अपनी फी¨ल्डग सजानी शुरू कर दी है। वह हर दरवाजे पर दस्तक दे रहे हैं। यहां तक कि जिन लोगों को वह भूल चुके थे, उनको भी पुरानी बातें याद दिलाकर सहयोग की अपील कर रहे हैं। जिनसे किसी बात पर मनमुटाव हो गया था, उनको वर्षों बाद अब सफाई देकर मनाने की कोशिशें की जा रही हैं। हर गली-मोहल्ले में नए-पुराने कलेक्शन तलाशे जा रहे हैं। मतदाताओं को रिझाने के लिए उनके रिश्तेदारों का भी सहारा लिया जा रहा है। दूर-दराज के क्षेत्रों से ¨लक तलाश कर ला रहे हैं। नेताजी येन केन प्रकारेण चुनाव जीतने पर ही पूरा फोकस कर रहे है।
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