सच्ची भक्ति हो तो खुद दर्शन देते हैं भगवान : शास्त्री
विकास क्षेत्र भनवापुर के ग्राम सुकालाजोत में नौ दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा के तीसरे दिन कथावाचक शास्त्री विपिन दूबे महाराज ने कहा कि भगवान के प्रति सची भक्ति होनी चाहिए। अगर सची भक्ति है तो भगवान खुद ही भक्तों को दर्शन देते हैं और उनकी रक्षा भी करते हैं।
सिद्धार्थनगर : विकास क्षेत्र भनवापुर के ग्राम सुकालाजोत में नौ दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा के तीसरे दिन कथावाचक शास्त्री विपिन दूबे महाराज ने कहा कि भगवान के प्रति सच्ची भक्ति होनी चाहिए। अगर सच्ची भक्ति है तो भगवान खुद ही भक्तों को दर्शन देते हैं और उनकी रक्षा भी करते हैं। इसके लिए उन्होंने प्रहलाद की भक्ति का उदाहरण भी दिया।
कथावाचक ने कहा कि जब असुरराज हिरण्यकश्यप विजय प्राप्त करने के लिए तपस्या में लीन था तो मौका पाकर देवताओं ने उसके राज्य पर कब्जा कर लिया। उसकी गर्भवती पत्नी को देवर्षि नारद अपने आश्रम में ले आए। वह उसे प्रतिदिन धर्म और विष्णु महिमा के बारे में बताते। यह ज्ञान गर्भ में पल रहे प्रहलाद ने भी सीख ली। बाद में असुरराज ने ब्रह्मा के वरदान से तीनों लोक में विजय प्राप्त की तो रानी उसके पास आ गई। बाद में प्रहलाद का जन्म हुआ। बाल्यावस्था में ही प्रहलाद ने भगवान विष्णु की भक्ति शुरू कर दी तो हिरण्यकश्यप ने प्रहलाद को विष देने का आदेश दिया। तलवार से प्रहार किया, पर्वत के नीचे से फेंका और अंत में होलिका के गोद में बैठाकर उन्हें मारना चाहा, पर होलिका स्वयं जल गई भक्ति प्रहलाद का बाल भी बांका नहीं हुआ। अंत में हिरण्यकश्यप ने स्वयं मारना चाहा तो भगवान विष्णु ने नरसिंह का रूपधारण कर हिरण्यकश्यप का वध किया। इसका अभिप्राय यह है कि सच्ची भक्ति भाव भगवान की आस्था रखने वाले प्रहलाद को बचाने के लिए स्वयं भगवान को आना पड़ा। मुख्य यजमान भीखू यादव, विवेक श्रीवास्तव, गोलू श्रीवास्तव, राजू यादव, बृजमोहन, आयुष, इन्नी बाबा, अर्पित, हीरालाल, पंकज दुबे, रोहित आदि उपस्थित रहे। भागवत कथा सुनने से होती है मोक्ष की प्राप्ति
सिद्धार्थनगर : भनवापुर ब्लाक अंतर्गत पटखौली के राजस्व ग्राम रतनपुर में शनिवार से सात दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ प्रारंभ हुआ। इसमें बड़ी संख्या में भक्तों ने शामिल होकर कथा का लाभ लिया। वृंदावन धाम से पधारे संत श्री रामकल्याण दास जी महाराज ने प्रथम दिवस पर श्रीमद् भागवत कथा श्रवण करने के महत्व का वर्णन किया। उन्होंने बताया कि कथा को श्रवण करने से दो प्रकार का लाभ होता है जिसमें एक सोया हुआ ज्ञान और बैराग जाग जाता है। भक्ति, ज्ञान, वैराग्य तीनों के जागरण से ईश्वर का साक्षात्कार एवं दर्शन प्राप्त हो जाता है। दूसरा लाभ आत्मज्ञान की प्राप्ति होना है। मनुष्य बाधाओं और चितनों से मुक्त हो जाता है। इसलिए यह सबसे श्रेष्ठ कर्म है। श्रद्धा एवं विश्वासपूर्वक महापुराण कथा श्रवण कर कलयुग के विकारों से मुक्त होकर मोक्ष की प्राप्ति होगी। यजमान प्रभावती देवी,सदानंद पांडेय,धनुषधारी पांडेय,प्रेम पांडेय,राम किकर पांडेय, नवीन पांडेय, रत्न पांडेय, अमन पांडेय, बालमुकुंद पांडेय, पुनीत आदि मौजूद रहे।
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