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    यूपी के इस ज‍िले में डेढ़ लाख लोग मुफ्त राशन से हो सकते हैं वंच‍ित, ये है बड़ी वजह 

    Updated: Fri, 12 Dec 2025 04:22 PM (IST)

    अंत्योदय एवं पात्र गृहस्थी योजनाओं के तहत जनपद में गरीब परिवारों को नि:शुल्क खाद्यान्न उपलब्ध कराया जाता है, लेकिन यह सुविधा अब केवल उन्हीं को मिलेगी ...और पढ़ें

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    जागरण संवाददाता, सिद्धार्थनगर। अंत्योदय एवं पात्र गृहस्थी योजनाओं के तहत जनपद में गरीब परिवारों को नि:शुल्क खाद्यान्न उपलब्ध कराया जाता है, लेकिन यह सुविधा अब केवल उन्हीं को मिलेगी जिनके राशनकार्ड से जुड़े सभी सदस्यों की ई-केवाईसी पूर्ण हो चुकी है। जिले में ई-केवाईसी की धीमी प्रगति के कारण करीब दो लाख लाभार्थियों का सितंबर माह से राशन रोका गया है। शासन ने स्पष्ट किया है कि दिसंबर माह तक ई-केवाईसी न कराने पर संबंधित सदस्य या पूरे राशनकार्ड को सूची से हटाया जाएगा।

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    ई-केवाईसी का लक्ष्य फर्जी कार्डों, दोहरी प्रविष्टियों तथा अप्रासंगिक सदस्यता को समाप्त कर वास्तविक पात्र परिवारों को लाभ सुनिश्चित करना है। जिले में 481681 राशनकार्ड पंजीकृत हैं, जिनसे जुड़े 1932522 सदस्य लाभार्थी स्वरूप सूचीबद्ध हैं। इनमें से 137913 सदस्यों की ई-केवाईसी अभी भी शेष है।

    प्रशासन का कहना है कि परिवार का मुखिया ही नहीं, बल्कि कार्ड से जुड़े सभी सदस्यों का बायोमेट्रिक सत्यापन अनिवार्य है। इसी कारण अपूर्ण ई-केवाईसी वाले परिवारों का खाद्यान्न वितरण रोक दिया गया है। सितंबर से स्थिति लगातार गंभीर बनी हुई है। तीन माह के अभियान और जागरूकता प्रयासों के बाद भी केवल 30 हजार से अधिक सदस्यों ने ही अपनी ई-केवाईसी कराई है।

    शेष डेढ़ लाख से अधिक सदस्य अभी भी प्रक्रिया से बाहर हैं, जो आगामी सप्ताहों में सूची से हटाए जा सकते हैं। पूर्ति विभाग ने ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में सूचना प्रसारित कर परिवारों को चेताया है कि देरी करने पर उन्हें स्थायी रूप से खाद्यान्न सुविधा से वंचित होना पड़ेगा। प्रशासन ने अपील की है कि परिवार अपनी पहचान से जुड़े सभी दस्तावेज साथ लेकर नजदीकी जनसेवा केंद्र पर ई-केवाईसी अवश्य पूर्ण कर लें, ताकि कोई पात्र परिवार अपने अधिकार से वंचित न हो।


    सितंबर से जिन लाभार्थियों की ई-केवाईसी नहीं हुई, उनका खाद्यान्न रोक दिया गया है। दिसंबर बाद शेष नाम सूची से हटाए जाएंगे, इसलिए समय पर प्रक्रिया पूरी करें।- देवेंद्र कुमार सिंह, जिला पूर्ति अधिकारी