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    पिता फिर मां अब बेटी बनी डुमरियागंज की विधायक

    By JagranEdited By:
    Updated: Fri, 11 Mar 2022 12:16 AM (IST)

    डुमरियागंज विस क्षेत्र से 2022 के विस चुनाव में इस बार समाजवादी पार्टी की साइकिल चल निकली। उम्मीदवार सैय्यदा खातून ने 491 मतों से योगी आदित्यनाथ के कर ...और पढ़ें

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    पिता फिर मां अब बेटी बनी डुमरियागंज की विधायक

    सिद्धार्थनगर : डुमरियागंज विस क्षेत्र से 2022 के विस चुनाव में इस बार समाजवादी पार्टी की साइकिल चल निकली। उम्मीदवार सैय्यदा खातून ने 491 मतों से योगी आदित्यनाथ के करीबी और हियुवा के प्रदेश अध्यक्ष राघवेंद्र प्रताप सिंह को हराया। इससे पहले 2010 के विस उपचुनाव में उनकी मां खातून तौफीक बसपा से विजेता बनी, तो उनके पिता मलिक तौफीक अहमद 1996 में सपा के टिकट पर और 2007 में बसपा के टिकट पर विधायक चुने गए।

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    बिथरिया निवासी मलिक तौफीक अहमद की 48 वर्षीय परास्नातक पुत्री सैय्यदा अपने पिता कर मौत के बाद विधानसभा की राजनीति में सक्रिय हुईं। वर्ष 2012 व 2017 के चुनाव में वह बसपा के टिकट पर मैदान में उतरीं। लेकिन दोनों बार उन्हें हार का समाना ना पड़ा। इस बार दिसंबर 2021 में उन्होंने समाजवादी पार्टी की सदस्यता ग्रहण की थी। पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भी उनपर विश्वास जताते हुए दो बार से डुमरियागंज विस क्षेत्र के पार्टी प्रत्याशी रहे रामकुमार उर्फ चिकू यादव को दरकिनार कर उन्हें टिकट सौंप दिया। लेकिन इस बार उनकी राह आसान नहीं थी। वर्ष 2017 के विस चुनाव में कई बार के विधायक रहे कमाल युसुफ उनके समर्थन में थे, लेकिन इस बार उनके पुत्र इरफान मलिक ने बगावती तेवर दिखाते हुए मीम के बैनर तले चुनाव लड़ा। माना जा रहा था कि वह सैय्यदा को नुकसान पहुंचाएंगे, लेकिन वह 4325 मतों पर सिमट गए। मतदाताओं का विश्वास जीतने में कामयाब रहीं सैय्यदा सिद्धार्थनगर : डुमरियागंज विधानसभा में सांस को रोक देने वाला मुकाबला देखने को मिला। रोमांचक लड़ाई में सभी की निगाह इसी सीट पर टिक गई थी। जिसमें सपा की महिला प्रत्याशी सैय्यदा खातून ने विधायक व हियुवा के प्रदेश प्रभारी राघवेंद्र प्रताप सिंह को 771 मतों से पराजित किया। मतगणना के आखिरी पड़ाव तक किसी को नहीं मालूम था कि परिणाम का ऊंट किस करवट बैठेगा। शाम होने पर इस विधानसभा का नतीजा सामने आया। वहीं बांसी में तीन व डुमरियागंज में एक अन्य महिला प्रत्याशी चुनाव मैदान में उतरी। लेकिन इन्होंने केवल चुनाव का कोरम पूरा किया।

    पूर्व विधायक मलिक तौफीक अहमद व मां तौफीक खातून की राजनीतिक विरासत संभालने की जिद्दोजहद कर रही सैय्यदा खातून वर्ष 2017 में बसपा से चुनाव लड़ा था। तब भी भाजपा के राघवेंद्र प्रताप सिंह से मुकाबला हुआ था। उस समय कड़े व नजदीकी मुकाबले में सैय्यदा खातून को 171 मतों से पराजय का सामना करना पड़ा था। दोबारा चुनाव लड़कर विजय प्राप्त करने का संकल्प लेकर पांच वर्ष तक क्षेत्र में डटी रही। अंतिम समय में बसपा से निराशा मिलता देख साइकिल की सवारी कर ली। सैय्यदा खातून को 84586 मत मिले। इसी विधानसभा से कांग्रेस ने कांती पांडेय को मैदान में उतारा था। कांती पांडेय को 2446 मत मिले। बांसी में तीन महिला प्रत्याशी मैदान में थी। कांग्रेस की किरन शुक्ला को 2930, अभय समाज पार्टी की रुनमती को 645 व सबका दल यूनाइटेड की शकुंतला को 4048 मत मिले हैं।