बांसी में नकली पनीर व खोवा का काला कारोबार
सिद्धार्थनगर नगर में नकली पनीर व खोवा का धंधा जोरों पर फल-फूल रहा है। ...और पढ़ें

बांसी में नकली पनीर व खोवा का काला कारोबार
सिद्धार्थनगर : नगर में नकली पनीर व खोवा का धंधा जोरों पर फल-फूल रहा है। प्रतिदिन 20 क्विंटल पनीर व 22 से 25 क्विंटल के करीब खोवा व्यापारियों के माध्यम से पहुंचाया जा रहा है। यह खेल विभाग के शह पर चल रहा है। इसे दुकानों पर ट्रे में सजाकर इसकी बिक्री किया जाना इस बात की पुष्टि भी कर रहा।
यह काला कारोबार फैजाबाद व कानपुर से चलता है। वहां से व्यापारी कैरेट में रख डीसीएम से नगर में लेकर सुबह आते हैं। चिन्हित तीन बड़े व्यापारियों को देकर चले जाते हैं। एक किलो नकली पनीर में कुल 60 से 70 रुपये की लागत आती है, जिसे व्यापारियों को 180 से 200 रुपये में उपलब्ध करायी जाती है। अपनी दुकानों पर ट्रे में सजाकर 250 से 270 रुपये में फुटकर बेचते हैं। थोक में वह इसे 220 से 250 तक में दे देते हैं। लगन के समय में यही पनीर 300 रुपये किलों तक में बिकने लगता है। शुद्ध दूध से यदि पनीर बनाया जाए तो एक लीटर दूध में डेढ़ सौ ग्राम पनीर ही निकलता है। एक लीटर शुद्ध दूध की कीमत 50 से 60 रुपये लीटर तक है।
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ऐसे बनता है नकली पनीर
नकली पनीर बनाने के लिए कई सारे तरीके हैं। फोर्मालिन एक ऐसा केमिकल है, जिसे स्लो प्वाइजन भी कहा जा सकता है। दूध या पनीर में इसे मिला देने से ज्यादा समय तक रखे रहने पर भी दूध व पनीर खराब नहीं होता। पनीर बनाने के लिए पावडर दूध में आरा रोड मिला दिया जाता है। जिससे दूध गाढ़ा हो जाता है।
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दुकानों पर अक्सर छापेमारी की जाती है। नमूना भी जांच के लिए भेजा जाता है। रिपोर्ट में खामियां मिलने पर जुर्माना के अलावा अन्य कार्रवाई की जाती है।
रवींद्र कुमार वर्मा, फूड इंस्पेक्टर क्षेत्र बांसी

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