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    श्रीकृष्ण बाल लीला का वर्णन सुन श्रोता हुए मंत्रमुग्ध

    By JagranEdited By:
    Updated: Thu, 06 Jan 2022 11:11 PM (IST)

    नगर स्थित शिव मंदिर में चल रहे श्रीमद्भागवत कथा के छठें दिन भगवान श्री कृष्ण की बाल लीला रास लीला गोव‌र्द्धन धारण एवं श्री कृष्ण रुक्मिणी विवाह की कथा सुनाई गई।

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    श्रीकृष्ण बाल लीला का वर्णन सुन श्रोता हुए मंत्रमुग्ध

    सिद्धार्थनगर : नगर स्थित शिव मंदिर में चल रहे श्रीमद्भागवत कथा के छठें दिन भगवान श्री कृष्ण की बाल लीला, रास लीला, गोव‌र्द्धन धारण एवं श्री कृष्ण रुक्मिणी विवाह की कथा सुनाई गई। कथावाचक आचार्य संतोष शुक्ल जी महाराज ने गुरुवार को कथा प्रसंग के दौरान भगवान श्री कृष्ण के बाल लीलाओं के साथ गायों को चराने, गांव की गोपिकाओं के घरों में घुसकर दूध दही एवं माखन खाने सहित अन्य बाल लीलाओं की कथा सुनाई। उन्होंने कहा कि मथुरा के राजा कंस ने भगवान कृष्ण को अपना काल समझते हुए उनको बाल रूप में ही मरवाने के लिए राक्षसों को द्वारका में भेजा। परंतु उसकी सारी योजनाएं विफल रही।उन्होंने श्रोताओं को भगवान श्री कृष्ण के विवाह प्रसंग को सुनाते हुए बताया कि भगवान श्रीकृष्ण का प्रथम विवाह रुक्मिणी के साथ हुआ था। कृष्ण भगवान ने रुक्मिणी का हरण करके उनसे विवाह किया था। उन्होंने कहा कि रुक्मिणी स्वयं साक्षात लक्ष्मी है और वह नारायण से दूर रह ही नहीं सकती। जब कोई लक्ष्मी नारायण को पूजता है या उनकी सेवा करता है तो उन्हें भगवान की कृपा स्वत: ही प्राप्त हो जाती है। सुरेश यादव,मनमोहन, रिकू मोदनवाल, सत्यप्रकाश वर्मा,अभिषेक दूबे, मनीष अग्रहरि रवि अग्रहरि आदि मौजूद रहे।

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    गाजे-बाजे के साथ निकाली गई कलश यात्रा

    सिद्धार्थनगर : गुरुवार को बेलगड़ा गांव में नौ दिवसीय शतचंडी महायज्ञ का शुभारंभ किया गया। गाजे-बाजे के साथ भव्य कलश यात्रा निकाली गई। श्रद्धालुओं के जयघोष से पूरे क्षेत्र का वातावरण भक्तिमय हो गया।

    कलश यात्रा में सैकड़ों किशोर, किशोरियां महिलाएं व बच्चे नाचते गाते, अबीर गुलाल उड़ाते हुए बानगंगा नदी पहुंचे। नदी से कलश में जल भरकर पुन: यज्ञ स्थल पहुंचे। यज्ञाचार्च आचार्य रामलला पांडेय ने विधिविधान से कलश स्थापित कराया। कथावाचक सुधीर शुक्ला ने कहा कि यज्ञ से जहां मन की चेतना में विकाश होता है, वही वातावरण में फैली अशुद्धियां व सभी तरह के प्राण घातक वायरस अपने आप समाप्त हो जाते हैं। जहां भी धर्म की चर्चा होती है वहां शांति का वातावरण कायम रहता है। इस दौरान दयानंद उपाध्याय, आलोक उपाध्याय, विवेक विकास, सुजीत, सदानंद उपाध्याय, बीके उपाध्याय, मार्कण्डेय, पिकू उपाध्याय, अमित, शुभम राहुल, महंत उपाध्याय आदि मौजूद रहे।