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    फोटो-राम मंदिर आंदोलन ने दी 'राम कटोरी' मिठाई

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    Updated: Fri, 05 Dec 2014 06:36 PM (IST)

    सिद्धार्थनगर : राम मंदिर आंदोलन में 6 दिसंबर 1992 की घटना ने सिर्फ दंगे और राजनीतिज्ञ ही नहीं पैद ...और पढ़ें

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    सिद्धार्थनगर : राम मंदिर आंदोलन में 6 दिसंबर 1992 की घटना ने सिर्फ दंगे और राजनीतिज्ञ ही नहीं पैदा किये, वरन एक मिठाई भी 'राम कटोरी' दी। इस मिठाई को एक कारसेवक ने बनाया और नामकरण किया। कारसेवा में भाग लेने जा रहे कारसेवकों को प्रसाद स्वरूप निश्शुल्क भी बांटा गया था। यह मिठाई आज भी बनती हैं और इसकी मांग विदेशों तक में भी खूब है। सुनहरे रंग की कटोरी के आकार वाली यह मिठाई खोया, घी व मलाई से बनायी जाती है। इसका आकार कटोरी जैसा और स्वाद हल्का मीठा होता है।

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    भगवान बुद्ध के पिता शुद्धोधन की राजधानी कपिलवस्तु से 8 किमी. पहले सिद्धार्थनगर जिले के प्रमुख बर्डपुर कस्बे के निवासी व मिठाई विक्रेता विनोद मोदनवाल राम मंदिर आदोलन में बतौर कार्यकर्ता जुडे़ थे। दो नवंबर 1990 को पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर बस्ती जिला कारागार भेज दिया था। 30 नवंबर को 28 दिन की जेल काटने के बाद वह छूटे तो सीधे घर पहुंचे। जेल में बंद रहने के दौरान विनोद एक नई मिठाई बनाने का विचार किया। खोया, मलाई व घी के समन्वय से उन्होंने एक नई मिठाई तैयार की। जिसका आकार कटोरी का था। विनोद ने इसका नाम राम कटोरी रखा दिया। इसका वितरण उन्होंने 1992 की कारसेवा में अयोध्या जाने वाले कारसेवकों का मुफ्त किया। बाबरी मस्जिद ढांचा गिराये जाने के बाद कारसेवक लौटे तो मिठाई चर्चा का विषय बन गई। उसकी बिक्री भी चरम पर पहुंच गई। इस घटना को 22 वर्ष बीत चुके हैं। इस दौरान राम कटोरी की लोकप्रियता बढ़ती गई। जिले के तमाम मिठाई के विक्रेता भी राम कटोरी बनाना शुरू कर दिया है। हल्के मीठे स्वाद वाली यह मिठाई मुंबई, अहमदाबाद, सूरत व दिल्ली में रहने वाले पूर्वी उत्तर प्रदेश के लोग वापसी में साथ ले जाते हैं। इसी तरह सऊदी अरब, दुबई व शारजाह जाने वाले लोग वहां रहने वाले परिवारीजन व मित्रों को भेंट के लिए राम कटोरी मिठाई ले जाते हैं। राम कटोरी दिसंबर में हर वर्ष चर्चा का विषय बन जाती है और विनोद की दुकान पर भीड़ भी बढ़ जाती है।

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    मुस्लिम वर्ग में भी राम कटोरी लोकप्रिय

    मंदिर आंदोलन की प्रेरणा से वजूद में आई राम कटोरी बाबरी मस्जिद ढांचा गिराये जाने के बाद सांप्रदायिकता का शिकार भी हो चुकी है। दरअसल 6 दिसंबर के बाद मंदिर से जुड़ा आदमी जहां इसे श्रद्धा से खरीदता था, वहीं मुस्लिम समुदाय भी इसे नफरत की नजर से देखता था। बदलते परिवेश में बातें पुरानी हो चुकी है। अब यह मिठाई वर्ग विशेष की नहीं रह गई है और इसे हर वर्ग खासकर मुस्लिम समुदाय में भी लोकप्रिय होता जा रहा है।