UP News: सिद्धार्थनगर में फागू बाबा की समाधि पर लगने वाला मेला प्रशासन ने रोका, धारा 144 लागू
पूर्व विधायक राघवेंद्र प्रताप सिंह ने प्रशासन को भेजी शिकायत में बताया कि चौखड़ा में फागू बाबा की समाधि है न कि मजार है। कुछ लोग उसका धार्मिक स्वरूप बदलने का प्रयास कर रहे हैं।
फागू बाबा की समाधि पर तैनात पुलिस। जागरण
जागरण संवाददाता, डुमरियागंज, सिद्धार्थनगर। संत फागू बाबा की समाधि पर प्रत्येक गुरुवार को लगने वाले मेले पर प्रशासन ने रोक लगा दी है। पूर्व विधायक राघवेंद्र प्रताप सिंह के गंभीर आरोपों और उक्त स्थल पर सामूहिक हनुमान चालीसा का पाठ करने की घोषणा से हरकत में आए तहसील प्रशासन ने समाधि स्थल के आसपास धारा 144 लागू कर वहां हर तरह के सामूहिक क्रियाकलापों पर रोक लगा दी है।
पूर्व विधायक का आरोप है कि कुछ लोग समाधि स्थल पर मजार बनाकर अवैध वसूली और समाज में अंधविश्वास फैलाने का काम कर रहे हैं। पूर्व विधायक राघवेंद्र प्रताप सिंह ने प्रशासन को भेजी शिकायत में बताया कि चौखड़ा में फागू बाबा की समाधि है न कि मजार है। कुछ लोग उसका धार्मिक स्वरूप बदलने का प्रयास कर रहे हैं। वह लोग वहां अनैतिक कार्य कर रहे हैं। यदि उन लोगों पर कार्रवाई नहीं हुई उक्त स्थल पर सामूहिक हनुमान चालीसा का पाठ किया जाएगा।
अपर पुलिस अधीक्षक प्रशांत कुमार व एडीएम गौरव श्रीवास्तव ने उन्हें कार्रवाई का भरोसा दिलाया। एसडीएम डा संजीव दीक्षित ने तहसीलदार रविकुमार यादव के साथ मौके पर पहुंचकर स्थिति का जायजा लिया और तत्काल प्रभाव से वहां सभी तरह के कियाकलाप बंद करा दिए।
उपजिलाधिकारी ने बताया कि पुलिस की रिपोर्ट के आधार पर दो माह के लिए धारा 144 लगाई गई हैं, उक्त स्थल पर कोई जमावड़ा नहीं लगेगा, पशुचर की भूमि हैं। भूमि पर किए गए अवैध अतिक्रमण की जांच कर कार्रवाई की जाएगी। शांति व्यवस्था के लिए स्थल पर भारी संख्या में पुलिस बल की तैनाती कर दी गई है।
उप जिलाधिकारी डा.संजीव दीक्षित ने बताया कि फागू बाबा के समाधि स्थल पर हिंदू-मुस्लिम दोनों वर्ग के लोग आते हैं। 10 वर्ष पूर्व वहां विधायक निधि से कमरा बना था जिसे कुछ लोगों ने मजार का स्वरूप देने का प्रयास किया। पिछले गुरुवार को भी वहां विवाद भी हुआ था।
सिद्ध संत थे फागू बाबा
मान्यता है कि संत फागू बाबा कहीं बाहर से आए और चौखड़ा में रह गए। उन्होंने कहा था कि उनकी मृत्यु के बाद पेड़ के नीचे उनकी समाधि बना दी जाए। जहां उनकी समाधि रखी गयी, वहां पहले सूखा था। समाधि बनने के बाद वह क्षेत्र हरा-भरा हो गया। प्रत्येक गुरुवार को वहां मेला लगता है। फागू बाबा के निधन को 100 वर्ष अधिक हो चुके हैं।
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