ये अयोध्या या आगरा नहीं, फिर भी यूपी के इस जिले में ठंड में खूब जा रहे हैं विदेशी
श्रावस्ती में कड़ाके की ठंड के बावजूद विदेशी तीर्थयात्रियों का भारी जमावड़ा लगा हुआ है। श्रीलंका, थाईलैंड, म्यांमार समेत कई देशों से श्रद्धालु यहां पहुंच रहे हैं, जिससे स्थानीय व्यापारियों में खुशी है। फूलों की मांग में भी काफी वृद्धि हुई है, खासकर गंधकुटी में विशेष पूजा के लिए। श्रावस्ती इन दिनों अंतरराष्ट्रीय आस्था का संगम बना हुआ है।

जागरण संवाददाता, इकौना(श्रावस्ती)। सुबह-शाम कड़ाके की ठंड ने भले ही वाहनों व आम जनजीवन की रफ्तार मंद कर दी हो, लेकिन बौद्ध तीर्थ क्षेत्र श्रावस्ती में श्रद्धा का प्रवाह लगातार उमड़ रहा है। कोहरा और शीतल हवा के बीच भी विदेशी तीर्थयात्रियों के कदम थमने का नाम नहीं ले रहे। बुद्ध की कर्मभूमि पर पहुंचने वाले तीर्थयात्रियों के चेहरे पर उमंग और भक्ति की चमक ठंड को मात दे रही है। श्रावस्ती इन दिनों अंतरराष्ट्रीय आस्था का संगम बन गई है। विभिन्न देशों के तीर्थयात्रियों की मौजूदगी और चहुंओर से आती बहुभाषी मंत्रध्वनियां वातावरण को आध्यात्मिक रंगों से सराबोर कर रही हैं।
सबसे ज्यादा पहुंचे श्रीलंका के तीर्थयात्री
पुरातत्व प्रभारी अखिलेश तिवारी ने बताया कि इस सीजन में श्रीलंका के 14000, थाईलैंड 13000, बर्मा 12000, कंबोडिया 11000, म्यांमार 7000 व नेपाल के 5500 तीर्थयात्री श्रावस्ती तीर्थ क्षेत्र पहुंचे। भारत के विभिन्न राज्यों से भी 9500 तीर्थयात्रियों ने यहां पूजन-अर्चन किया।
व्यापारी भी गदगद
तीर्थयात्रियों की बढ़ती आमद ने स्थानीय व्यवसायियों का उत्साह बढ़ा दिया है। मूर्ति और माला बेचने वाले दुकानदारों की दुकानें फिर से गुलजार हो उठी हैं। विदेशी मेहमान बौद्ध प्रतिमाओं, फूल-माला व स्थानीय कला-कृतियों को खरीदते दिखाई देते हैं। धर्मशालाओं व होटलों में भोजन की बढ़ती मांग ने उनके कारोबार को रफ्तार दिया है।
फूल विक्रेता सबसे ज्यादा मुदित हैं। जेतवन महाविहार स्थित गंधकुटी पर विशेष पूजा-अर्चना में उपयोग होने वाले फूलों की मांग में अचानक वृद्धि से फूल विक्रेताओं की व्यस्तता बढ़ गई है। फूल विक्रेता रामनिवास ने बताया कि वर्षावास बाद विशेष फूल पूजा होती है। इससे फूलों की मांग चार-छह गुना बढ़ जाती है।

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