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    महिलाओं को आत्मनिर्भरता का पाठ पढ़ा रही पढ़ी-लिखी बहू

    By JagranEdited By:
    Updated: Fri, 16 Jul 2021 11:28 PM (IST)

    विकास क्षेत्र गिलौला के केशवापुर पजावा गांव में पढ़ी-

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    महिलाओं को आत्मनिर्भरता का पाठ पढ़ा रही पढ़ी-लिखी बहू

    श्रावस्ती : विकास क्षेत्र गिलौला के केशवापुर पजावा गांव में पढ़ी-लिखी बहू महिलाओं का जीवन स्तर बदल रही हैं। आत्म निर्भरता का पाठ पढ़ा कर महिलाओं को स्वरोजगार से जोड़ रही हैं। इनकी मेहनत रंग लाने लगी है। अब घर के चूल्हा-चौका के साथ स्वयं सहायता समूह से जुड़कर गांव की महिलाएं दोना-पत्तल तैयार कर रही हैं। इससे उनकी अच्छी आमदनी हो रही है।

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    केशवापुर पजावा गांव में राम स्वयं सहायता समूह की अध्यक्ष प्रिया गुप्ता 10 वर्ष पूर्व ससुराल आई थी। 22 लोगों के परिवार में उन्हें छोटी बहू की जिम्मेदारी मिली। उस समय महिला ने हाईस्कूल तक पढ़ाई की थी। ससुराल की जिम्मेदारियों का निर्वहन करते हुए प्रिया ने स्नातक तक की पढ़ाई पूरी की। इस दौरान उन्हें महिलाओं का घर में चूल्हा-चौका से ही जुड़े रहना अखरता था। परिवार चलाने के लिए खेती व मजदूरी ही आय का स्त्रोत था। 20 बीघे जमीन से बड़े परिवार का खर्च निकल पाना मुश्किल हो रहा था। घर में सबसे अधिक पढ़ी-लिखी छोटी बहू ने रोजगार की तलाश की।

    दिसंबर 2018 में गांव में आई इंटरनल रिसोर्स पर्सन टीम से इनकी मुलाकात हुई। यह टीम राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत गांव की गरीब महिलाओं को जोड़कर स्वयं सहायता समूह का गठन करवाती थी। इसी का लाभ उठाते हुए गांव की बिट्टा, सुनीता, मालती, निर्मला व माला समेत 10 महिलाओं को जोड़कर प्रिया ने राम स्वयं सहायता समूह का गठन किया। छह माह में रिवाल्विग फंड व सामुदायिक निवेश निधि के तहत सरकार से सवा लाख रुपये मिले। इस फंड का उपयोग करते हुए प्रिया ने समूह से 50 हजार रुपये ब्याज पर लेकर कागज से बनने वाली पत्तल-दोना की मशीन लगा ली।

    शुरुआत में पति पीतांबर को सात दिनों के लिए ट्रेनिग पर दिल्ली भेज दिया। अब पति-पत्नी मिलकर कागज के पत्तल-दोना बनाने लगे। गांव की महिलाओं को पर्यावरण संरक्षण व आत्मनिर्भरता का पाठ पढ़ाते हुए रोजगार से जुड़ने की अपील की तो समूह की अन्य महिलाएं भी काम में लग गईं। प्रिया बताती हैं कि दोना-पत्तल से 15 हजार रुपये तक आमदनी हो जाती है। समूह की अन्य महिलाओं को पशुपालन से जोड़ा है। एक घंटे में तैयार होता है 1800 दोना-पत्तल

    दोना-पत्तल बनाने की मशीन बिजली से चलती है। मशीन में लगे दोनों हीटर 40 मिनट तक गरम होते हैं। इसके बाद मशीन के पिछले हिस्से में कागज का रोल लगा दिया जाता है। दोना-पत्तल की अपेक्षित साइज के अनुसार डाई को सेट कर दिया जाता है। इसके बाद एक घंटे में 1800-1800 दोना व पत्तल एक साथ निकालते हैं। बाजार में अच्छी क्वालिटी का 50 पीस दोना 15 रुपये का व पत्तल 40 रुपये में बिक जाता है।

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