श्रावस्ती पशुओं के इलाज के लिए गांव-गांव पहुंचेगी टीम, एंबुलेंस के लिए टोल फ्री नंबर जारी
श्रावस्ती में पशुओं के इलाज के लिए एक विशेष पहल शुरू की गई है। गांवों में पशुओं के इलाज के लिए टीम पहुंचेगी और एंबुलेंस की सुविधा भी उपलब्ध कराई जाएगी ...और पढ़ें

गांव-गांव टीम पहुंचकर करेगी पशुओं का इलाज।
भूपेंद्र पांडेय, श्रावस्ती। पशुपालकों को राहत देकर पशुपालन को बढ़ावा देने के लिए पशु चिकित्सा विभाग ने पहल की है। चिकित्सक व फार्मासिस्ट की टीम गांव-गांव भ्रमण पर रहेगी। तीन रुपये से लेकर पांच रुपये तक के खर्च पर पशुओं का इलाज करेगी। तीनों तहसीलों में दो-दो टीमों को लगातार भ्रमणशील किया गया है। एक टीम एक दिन में तीन गांवों में जाएगी।
आपात स्थिति में बीमार पशुओं का घर बैठे इलाज के लिए 1962 चिकित्सा सेवा संचालित है। इस नंबर पर फोन करने के बाद एंबुलेंस से चिकित्सक मौके पर पहुंच इलाज करते हैं। इसी सेवा को विस्तार देते हुए पशुओं के स्वास्थ्य की रूटीन जांच करने के लिए छह टीमें लगाई गई हैं।
टीम को मुख्यालय लखनऊ से प्रतिदिन तीन गांव आवंटित होते हैं। संबंधित क्षेत्र के पशु चिकित्साधिकारी को सूचना देने के बाद टीम गांवों में पहुंचेगी। यहां स्थाई अथवा अस्थाई गो आश्रय स्थल है तो पहले वहां पहुंचकर व्यवस्था देखेंगे और पशुओं का इलाज करेंगे।
इसके बाद गांव में पहुंच प्रधान के सहयोग से प्रचार-प्रसार कराएंगे। पशुपालकों के आने पर टीम संबंधित के घर जाकर पशुओं के स्वास्थ्य की जांच करेगी और दवाएं देगी। इसके बदले बड़े पशु के इलाज पर पांच रुपये प्रति पशु व छोटे पशु के तीन रुपये शुल्क लिए जाएंगे।
टीकाकरण में करेंगे सहयोग
टोल फ्री नंबर- 1962 की फील्ड टीम गांवों में भ्रमण के दौरान पशुपालन विभाग के कार्यक्रमों को भी पशुपालकों तक पहुंचाएगी। मौसमी टीकाकरण में सहयोग की जिम्मेदारी भी इस टीम की रहेगी।
पशुपालक अरविंद कुमार ने बताया कि तहसीलवार चल रही दो-दो टीमों से राहत तो मिली है, लेकिन संख्या बढ़ाकर ब्लाकस्तर पर दो से तीन टीम कर दिया जाए तो और बेहतर हो।
तीन लाख 51 हजार 439 हैं पालतू पशु
पशुपालन विभाग की ओर से कराई गई गणना में जिले में पालतू पशुओं की कुल संख्या तीन लाख 51 हजार 439 है। इसमें सबसे अधिक एक लाख 30 हजार 156 बकरियां हैं। गायों की संख्या 90 हजार 619 तथा एक लाख 21 हजार 377 भैंस हैं। पशुपालन से किसानों की आय बढ़ाने के लिए शासन की ओर से अनुदान आधारित कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं।
वर्जन
खेती-किसानी के साथ पशुपालन से किसानों की आय आसानी से बढ़ सकती है। इसके लिए शासन गंभीर है। पालतू पशुओं के बीमार होने की दशा में इलाज के लिए पशुपालकों को परेशान न होना पड़े, इसके लिए शासन ने 1962 मोबाइल सेवा के साथ फील्ड टीम को भी मैदान में उतारा है।
-डा. सुनील कुमार सिंह, सीवीओ, श्रावस्ती।

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