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    दोधारी तलवार पर एंबुलेंस कर्मचारियों की सवारी

    By JagranEdited By:
    Updated: Thu, 02 Jun 2022 10:35 PM (IST)

    नौकरी बचाए रखने के लिए फर्जी मरीजों के नाम पर कागजों में दौड़ाते वाहन जांच शुरू हुई तो कसने लगी नकेल हर दिन केस बढ़ाने का मिल रहा लक्ष्य

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    दोधारी तलवार पर एंबुलेंस कर्मचारियों की सवारी

    श्रावस्ती : आपातकालीन चिकित्सा सेवा से जुड़े एंबुलेंस कर्मचारी दोधारी तलवार पर सवार हैं। जरा सी चूक हुई तो नौकरी जाना लगभग तय है। नौकरी बचाए रखने के लिए फर्जी मरीजों के नाम पर कागजों में एंबुलेंस वाहन दौड़ाने की विवशता बनी हुई है। इसकी जांच शुरू होने के बाद कर्मचारियों का गला कसने लगा है।

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    आपात स्थिति में मरीज को घटनास्थल अथवा घर से अस्पताल तक पहुंचाने के लिए 102 व 108 एंबुलेंस सेवा का संचालन किया जा रहा है। इसका कामकाज देख रही कंपनी को प्रति केस की दर से शासन की ओर से भुगतान किया जाता है। अधिक से अधिक पैसे बनाने के लिए कंपनी की ओर से एंबुलेंस कर्मचारियों को प्रतिदिन केस करने का लक्ष्य दिया जाता है। लक्ष्य पूरा करने के लिए दबाव भी बनाया जाता है। यह खेल लंबे समय से चल रहा है। लक्ष्य न पूरा हो तो कर्मचारी को नौकरी से निकालने का डर भी दिखाया जाता है। लंबे समय से कागजों में एंबुलेंस दौड़ा कर थक चुके एंबुलेंस कर्मचारियों ने पूर्व में इस व्यवस्था का विरोध करते हुए आंदोलन किया तो श्रावस्ती जिले से 76 व प्रदेश में लगभग नौ हजार कर्मचारियों को नौकरी से हाथ धोना पड़ा। नए कर्मचारियों की भर्ती हुई और थोड़े ही दिन बाद इन पर भी फर्जी केस करने का दबाव बनाया जाने लगा। पूर्व में आंदोलन के चलते कंपनी से निष्कासित कर्मचारी इस खेल में विशेषज्ञ थे। उन्हें विभाग का पोल पता था। इसे आधार बनाकर शासन में शिकायत की गई तो हर जिले में एंबुलेंस के फेरों की जांच शुरू हो गई। श्रावस्ती में भी डिप्टी सीएमओ डा. मुकेश मातनहेलिया के नेतृत्व में जांच चल रही है। विभाग व कंपनी के इस खेल में एंबुलेंस कर्मचारी खुद को पिसता हुआ देख रहे हैं। फर्जी केस भले नौकरी बचाने के लिए किए गए हों, लेकिन इसे प्रमाणित करने का कोई आधार भी उनके पास नहीं है। कर्मचारियों को दिन-रात नौकरी जाने का डर बना रहता है।

    कोट

    प्रकरण की जांच की जा रही है। कितने केस फर्जी निकलते हैं यह जांच पूरी होने के बाद स्पष्ट हो सकेगा। एंबुलेंस कर्मचारियों को किसी के भी दबाव में आकर फर्जी केस नहीं करना था। लक्ष्य के दबाव के संबंध में जांच शुरू होने पर बताने के बजाय पहले ही इसकी जानकारी देनी चाहिए थी।

    -डा. एपी भार्गव, सीएमओ, श्रावस्ती।