UP: सावधान! ई-चालान की भरपाई में कहीं आप भी न बन जाएं ठगों के शिकार, ये है असली और नकली लिंक की पहचान
आप वाहन चला रहे हैं और यातायात नियमों का उल्लंघन करने पर आपके वाहन का चालान काट दिया गया। उसके बाद आपके मोबाइल फोन में संदेश आए कि लिंक पर क्लिक कर चालान का भुगतान कर दें तो सावधान हो जाइए... दरअसल अब एकदम नया मामला सामने आया है। ई-चालान का भुगतान कराने के नाम पर साइबर ठगों ने एक लिंक तैयार किया है।

आकाश शर्मा, शामली। आप वाहन चला रहे हैं और यातायात नियमों का उल्लंघन करने पर आपके वाहन का चालान काट दिया गया। उसके बाद आपके मोबाइल फोन में संदेश आए कि लिंक पर क्लिक कर चालान का भुगतान कर दें तो सावधान हो जाइए... दरअसल, ई-चालान का भुगतान कराने के नाम पर साइबर ठगों ने एक लिंक तैयार किया है।
संदेश के माध्यम से वे लिंक भेजते हैं और जैसे ही व्यक्ति लिंक पर क्लिक करता है तो उसका खाता खाली हो जाता है। इस तरह कई लोग ठगी का शिकार हो चुके हैं। पुलिस की ओर से लोगों को सावधानी बरतने और जागरूक रहने की अपील की गई है।जैसे-जैसे लोग साइबर अपराध से बचाव के प्रति जागरूक हो रहे है, वैसे-वैसे ही साइबर ठग लोगों से ठगी करने को नए-नए तरीके निकाल रहे हैं। अब एकदम नया मामला सामने आया है।
नए तरीके में अब ऑनलाइन चालान के नाम पर ठगी की जा रही है। ऐसे होती है ठगी साइबर ठग किसी भी बाइक या कार के नंबर को ट्रेस कर सबसे पहले यह चेक करते हैं कि उस वाहन का चालान कटा है या नहीं। यदि चालान कटा होता है तो संबंधित व्यक्ति के मोबाइल नंबर ई-चालान एप से प्राप्त करते हैं। उसके बाद संबंधित व्यक्ति को साइबर ठग लोगों के फोन पर आरटीओ के नाम पर बिल्कुल वही संदेश भेजते हैं जो ऑनलाइन चालान कटने पर आरटीओ की ओर से भेजा जाता है।
संदेश देखकर लोग यह समझ नहीं पाते हैं कि वह विभाग की ओर से भेजा गया है या फिर साइबर ठगों ने भेजा है। साइबर ठग सरकारी संदेश को कापी पेस्ट करते हैं, लेकिन भुगतान करने का लिंक बदल देते हैं। इससे भुगतान उनके खाते में चला जाता है। व्यक्ति जैसे ही भेजे गए लिंक पर क्लिक करें तो साइबर ठग उसका बैंक खाता खाली कर देते हैं।
यह है असली और नकली लिंक में अंतर
साइबर ठगी के लिए जो लिंक बनाया गया है, उसमें और परिवहन विभाग के लिंक में ज्यादा अंतर नहीं है। यही कारण है कि लोग ठग लिए जाते हैं। परिवहन विभाग द्वारा भेजे गए संदेश में इंजन नंबर, चेसिस नंबर जैसी जानकारी होती है, लेकिन नकली चालान में ऐसा कुछ नहीं होता। echallan.parivahan.gov.in पर ले जाता है, जबकि नकली साइबर ठगों की साइट echallan.parivahan.in पर ले जाता है। इस लिंक को साइबर ठगों ने .gov.in को हटाकर तैयार किया है। जिस कारण लोग भ्रमित होकर कई बार चालान की रकम भर देते हैं।
किसी भी लिंक पर क्लिक करने से पूर्व उसकी पूरी तरह से जांच कर लें। यदि चालान कटा है तो परिवहन विभाग की संबंधित साइट पर ही भुगतान करें। यदि आप ठगी के शिकार होते हैं तो साइबर हेल्पलाइन या स्थानीय साइबर सेल में तुरंत सूचना दें।
- उप निरीक्षक, कर्मवीर सिंह, साइबर एक्सपर्ट, मेरठ जोन
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