टमाटर से बदल दी किस्मत, रंग लाया कल्लू का प्रयास...हर सीजन में कर रहे लाखों की कमाई
चौसाना के गढ़ी हसनपुर में टमाटर की खेती किसानों के लिए समृद्धि लेकर आई है। पहले पारंपरिक फसलों पर निर्भर रहने वाले किसान अब टमाटर की खेती से लाखों कमा रहे हैं। किसान 5013 किस्म के टमाटर उगाते हैं, जो 45 दिनों में तैयार हो जाती है। वे अपनी उपज को हरियाणा की मंडियों में बेचते हैं। अनुकूल मौसम और बाजार भाव मिलने पर प्रति बीघा 25-30 हजार रुपये का मुनाफा होता है।

चौसाना के गढ़ी हसनपुर में खेतों में खड़ी टमाटर की फसल। जागरण
संवाद सूत्र, चौसाना, (शामली)। गढ़ी हसनपुर के किसान कल्लू ने बताया कि उन्होंने इस बार 10 बीघा में टमाटर की फसल लगाई है, जबकि नरेश ने पांच, अनिल ने पांच, राकिंदर ने दो और श्यामू ने तीन बीघा में खेती की है। किसानों का कहना है कि अगर मौसम और मंडियों में भाव अनुकूल रहे तो टमाटर बाकी सभी फसलों को पीछे छोड़ देती है। क्षेत्र के किसान टमाटर की उपज को हरियाणा के करनाल, गंगोह और थानाभवन की मंडियों में बेचते हैं, जहां इसकी अच्छी मांग रहती है।
टमाटर की जो प्रजाति इन किसानों द्वारा उगाई जाती है, वह 5013 है, जो लगभग 45 दिनों में तैयार हो जाती है। एक सीजन में करीब 15 बार टमाटर की तोड़ाई होती है। एक बीघा भूमि में करीब 1200 पौधे लगाए जाते हैं और प्रत्येक पौधे पर औसतन 30 किलो टमाटर की पैदावार होती है। इस हिसाब से एक बीघा में करीब 36 हजार किलो टमाटर तैयार होता है। एक बीघा में तैयार होने तक लगभग 48 हजार रुपये का खर्च आता है। इसमें बीज, खाद, मजदूरी और तीन बार कीटनाशक दवाओं का छिड़काव शामिल है।
किसानों का कहना है कि थोड़ी देखरेख और सिंचाई व्यवस्था सही हो तो यह फसल सोने पर सुहागा बन जाती है। किसान कल्लू ने बताया कि हम पिछले करीब 10 सालों से टमाटर की खेती कर रहे हैं। पहले लोग इसे जोखिम भरी फसल कहते थे, लेकिन अब ये हमारी मुख्य आमदनी का जरिया बन गई है। यदि मौसम और मंडी के भाव सही मिल जाए तो एक बीघा में 25 से 30 हजार रुपये तक शुद्ध मुनाफा हो जाता है।

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