स्वतंत्रता सेनानियों की यादें ताजा करता है छड़ियों वाला मैदान
देश की आजादी के लिए प्रथम स्वतंत्रता संग्राम 1857 से भूमिका साबित हुई। जिसमें जनपद के सैकड़ों स्वतंत्रता सेनानियों की प्रमुख भूमिका रही। यमुना किनारे स ...और पढ़ें

शामली, जागरण टीम। देश की आजादी के लिए प्रथम स्वतंत्रता संग्राम 1857 से भूमिका साबित हुई। जिसमें जनपद के सैकड़ों स्वतंत्रता सेनानियों की प्रमुख भूमिका रही। यमुना किनारे स्थित कैराना में भी जिस समय मेरठ के धर्म योद्धाओं ने स्वतंत्रता का युद्ध प्रारम्भ कर दिया। उन योद्धाओं के साथ मौलाना रहमतुल्ला कैरानवी ने भी स्वतंत्रता संग्राम में बढ् चढ़कर हिस्सा लिया था। वहीं, अंग्रेजों ने यहां स्वतंत्रता सेनानियों पर जुल्म-ज्यादती की खूब इंतहा की। सेनानियों ने गोरों के बहुत से कोड़ों की मार अपने बदन पर बर्दाश्त की, लेकिन आजादी के दीवानों का हौसला व हिम्मत नहीं टूटी।
मौलाना रहमतुल्लाह की टोली नगर में स्थित छड़ियों वाले मैदान में बैठकर जुल्मों के खिलाफ जंग करने की योजनाएं तैयार किया करते थे। इस मैदान में काफी संख्या में सेनानी एकत्रित होकर रणनीति बनाया करते थे। यह मैदान आज भी सेनानियों की यादों को जीवित रखे हुए है। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के नमक सत्याग्रह के दौरान मेरठ अन्य जगहों के बाद कैराना में भी योद्धाओं ने मौलाना रहमतुल्ला कैरानवी सहित उनके मित्र डा. वजीर खा और मौलवी व फेज अहमद बंदायूनी के साथ बिगुल बजा दिया था। जनपद के थानाभवन व कैराना में मोर्चा स्थापित किया गया था।
थानाभवन का मोर्चा हाजी इमदादुल्ला मुहाजिर मक्की तथा कैराना का मोर्चा मौलाना रहमतुल्ला कैरानवी संभाले हुए थे। उस जमाने में शाम की नमाज के बाद धर्म योद्धाओं के संगठन व दीक्षा के लिए नक्कारे की आवाज पर छड़ियांन मैदान में एकत्रित किया जाता और ऐलान होता था कि मुल्क खुदा का और हुक्म मौलवी रहमतुल्लाह का। शामली की तहसील को नेस्तानाबूद करने में हाफिज जामिन साहब शहीद हुए थे। इस दौरान मौलाना रहमतुल्लाह कैरानवी का वारंट जारी कर दिया गया। मौलाना रहमतुल्लाह कैरानवी ने पंजीठ में पनाह ली। अंग्रेज फौज ने गांव वालों को परेशान किया।
इस पर मौलाना ने कहा इससे अच्छा हो कि मैं गिरफ्तार हो जाऊं,। इस पर गांव के चौधरी अ•ाीम साहब ने कहा कि अगर पूरा गांव भी गिरफ्तार हो जाए और उनको फांसी पर लटका दिया जाए तो ऐसे वक्त भी आपको फौज के हवाले नहीं किया जाएगा। कैराना के दरबरखुर्द मोहल्ले में स्थित छड़ियों वाले मैदान आज आधुनिक समय में रोडवेज बस स्टैंड व पानी की टंकी से कवर हो गया है, लेकिन इससे जुड़ी स्वतंत्रता सेनानियों की यादें आज भी लोग अपने जहन में संजोएं हुए है।

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