आतंकी परविदर उर्फ पेंदा की कोर्ट में नहीं हुई पेशी
पंजाब की हाई सिक्योरिटी वाली नाभा जेल तोड़ने के मास्टर माइंड कुख्यात आतंकी परविंदर उर्फ पेंदा की बुधवार को कोर्ट में पेशी नहीं हो सकी है। कोर्ट ने अब नौ मई की तारीख तय की है। आरोपित को अवैध हथियार के साथ कैराना पुलिस ने पकड़ा था।

शामली, जागरण टीम। पंजाब की हाई सिक्योरिटी वाली नाभा जेल तोड़ने के मास्टर माइंड कुख्यात आतंकी परविंदर उर्फ पेंदा की बुधवार को कोर्ट में पेशी नहीं हो सकी है। कोर्ट ने अब नौ मई की तारीख तय की है। आरोपित को अवैध हथियार के साथ कैराना पुलिस ने पकड़ा था। इस मामले में उसकी पेशी शामली के सीजेएम की कोर्ट में होनी थी।
27 नवंबर 2016 को पंजाब की हाई सिक्योरिटी नाभा जेल को तोड़कर उसमें बंद खालिस्तान लिब्रेशन फ्रंट के प्रमख हरमिंदर सिंह उर्फ मिंटू और दो आतंकियों सहित कई कैदियों को कुख्यात आतंकी परविंदर उर्फ पेंदा ने छुड़ा लिया था। वहां से भागते समय कैराना पुलिस ने पेंदा को गिरफ्तार कर लिया था। उसके पास से फार्च्यूनर व भारी मात्रा में आधुनिक हथियार मिले थे। पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर पेंदा को मुजफ्फरनगर जिला कारागार भेज दिया था। इसके बाद उसे पंजाब भेज दिया गया था। वर्तमान में पेंदा भटिंडा (पंजाब) जेल में बंद है। 16 अप्रैल को रेडियोग्राम के माध्यम से भटिंडा जेल प्रशासन को पेंदा को कोर्ट में पेश करने के लिए सूचित किया गया था, लेकिन बुधवार को पंजाब पुलिस पेंदा की शामली के सीजेएम की कोर्ट में पेशी नहीं कर सकी। कागजों में सिमट कर रह गई साप्ताहिक बंदी
संवाद सूत्र, कैराना : नगर में चंद व्यापारियों की मनमानी के चलते साप्ताहिक बंदी कागजों में सिमट कर रह गई है। बाजारों में साप्ताहिक बंदी के दिन भी दुकानें खुली रहीं। इसके बावजूद श्रम विभाग कुंभकर्णी नींद सोया हुआ है।
नगर में बुधवार को साप्ताहिक बंदी का अवकाश घोषित है। इसके बावजूद भी कुछ व्यापारी अपनी मनमानी से बाज नहीं आ रहे हैं। बुधवार को साप्ताहिक बंदी में मुख्य चौक बाजार सहित कई जगहों पर दुकानें खुली रही। श्रम विभाग की ढिलाई के चलते साप्ताहिक बंदी की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। व्यापारी साप्ताहिक बंदी में दुकान खोल लेते हैं, लेकिन श्रम विभाग कुंभकर्णी नींद से नहीं जागता है। इसी के चलते नगर में साप्ताहिक बंदी पूर्ण रूप से लागू नहीं हो पा रही है। श्रम विभाग के अधिकारी पूर्व में नगर में कार्रवाई के नाम पर खानापूर्ति भी करते रहे हैं। यही कारण है कि साप्ताहिक बंदी के आदेश चंद व्यापारियों के लिए बेमानी हैं और साप्ताहिक बंदी कागजों तक सीमित रह गई है।
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