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    अशरफ अली का व्यस्ततम शेडयूल, कार में ही होता है नाश्ता

    By JagranEdited By:
    Updated: Mon, 07 Feb 2022 11:03 PM (IST)

    सुबह के छह बजे हैं। जलालाबाद किला परिसर में बने चुनाव कार्यालय के बाहर ठंड में लोग अलाव ताप रहे हैं। परिसर के भीतर बने आवास में स्नान के बाद थानाभवन व ...और पढ़ें

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    अशरफ अली का व्यस्ततम शेडयूल, कार में ही होता है नाश्ता

    शामली, जागरण टीम। सुबह के छह बजे हैं। जलालाबाद किला परिसर में बने चुनाव कार्यालय के बाहर ठंड में लोग अलाव ताप रहे हैं। परिसर के भीतर बने आवास में स्नान के बाद थानाभवन विधानसभा क्षेत्र से रालोद प्रत्याशी अशरफ अली खान खुदा की इबादत कर रहे हैं। पूर्व चेयरमैन एवं उनकी पत्नी रमा अशरफ अखबार की सुर्खियों पर सरसरी नजर डाल रही हैं। वहीं बेटे शायान अली खान बाहर कार्यकर्ताओं के साथ बैठकर चुनाव कार्यक्रमों की जानकारी ले रहे हैं। चुनाव कार्यालय में कामकाज देख रहे बबलू मियां, वसी उल्ला खान, हुमायू खान, नवेद अली कार्यकर्ताओं संग कुर्सियों पर बैठकर बात कर रहे हैं। कार्यकर्ता चाय की चुस्कियां ले रहे हैं। नमाज पढ़कर अशरफ परिसर के चुनाव कार्यालय में पहुंचते हैं। करीब साढ़े सात बजे यहां हिदू समुदाय के कुछ लोगों से मुलाकात करते हैं। इसके बाद अशरफ अली अपनी स्कार्पियो कार की ओर रुख करते हैं। तभी भीतर से परिवार के लोग नाश्ते की याद दिलाते हैं तो वे कार की ओर इशारा करते हैं। कार में ही उनका नाश्ते का टिफिन रख दिया जाता है। वे सभी को नमस्ते व सलाम कर कार में बैठ जाते हैं। उनकी कार सीधा गांव नागल पहुंचती है। यहां लोग उनका फूलमालाओं से स्वागत करते हैं। वोट की अपील होती है और फिर इरशादपुर व इसके बाद गांव अंबेहटा याकूबपुर में संत रविदास मंदिर में कार्यक्रम में पहुंचते हैं। यहां ढोल-नगाड़ों के साथ लोग पूरे उत्साह से उनका स्वागत करते है। नौजवान अशरफ के साथ सेल्फी लेते हैं। अशरफ भैया जिदाबाद के नारे गूंज रहे हैं। सभी का अभिवादन कर अशरफ कुर्सियों पर बैठ जाते हैं। यहां अशरफ दलित, अल्पसंख्यक समाज के लोगों को संबोधित कर आरक्षण, किसान, गरीब, मजूदर, नौजवानों के मुद्दों पर बात करते हैं। बाबा भीमराव आंबेडकर के संर्घषों की याद दिलाते हैं। इसी बीच एक बुजुर्ग हिदू-मुस्लिमों से एकजुट होकर सांप्रदायिक सौहा‌र्द्र के लिए उन्हें जिताने की अपील करते हैं। दलित समुदाय के लोग सेब, बर्फी खिलाते है। यहां से गांव कैड़ी की ओर रुख होता है। गांव कैड़ी व मादलपुर में भी भरपूर समर्थन का भरोसा मिलता है। इसके बाद रात्रि करीब 10 बजे क्षेत्र भ्रमण के बाद वे किला परिसर में पहुंचते हैं और दिनभर हुई गतिविधियों की समीक्षा कर आराम के लिए आवास में पहुंचते हैं।

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