पगड़ी पर पंचायत, महिपाल सिंह को थांबेदार न मानने का निर्णय
गठवाला खाप में लिसाढ़ थांबे की पगड़ी को लेकर विवाद थम नहीं रहा है। हसनपुर गांव में रविवार को 11 गांव के लोगों की पंचायत हुई और महिपाल सिंह को थांबेदार नहीं मानने का निर्णय हुआ।

शामली, जागरण टीम। गठवाला खाप में लिसाढ़ थांबे की पगड़ी को लेकर विवाद थम नहीं रहा है। हसनपुर गांव में रविवार को 11 गांव के लोगों की पंचायत हुई और महिपाल सिंह को थांबेदार नहीं मानने का निर्णय हुआ।
गठवाला खाप के सात थांबे और 52 गांव हैं। थांबे लिसाढ़, बहावड़ी, लांक, फुगाना, खरड़, पुरा महादेव, सोहंजनी हैं। राजेंद्र सिंह मलिक गठवाला खाप चौधरी होने के साथ ही लिसाढ़ थांबेदार भी हैं। इस थांबे में लिसाढ़, हसनपुर, बादशाहपुर, खिदरपुर, बुटराड़ी, सल्फा, मतनावली, किवाना, मखमूलपुर, सुन्ना, उजड़ गांव आते हैं। 31 अक्टूबर को हसनपुर में 11 गांव के कुछ लोगों ने पंचायत की थी और गांव निवासी महिपाल सिंह को थांबे की पगड़ी पहनाई गई थी। इस पर राजेंद्र सिंह मलिक ने तभी पंचायत करने का एलान किया था।
रविवार को चौधरी राजेंद्र सिंह की अध्यक्षता में पंचायत हुई और थांबे के सभी गांवों से लोग आए। 11 लोगों की कमेटी बनाई गई और पंचायत में निर्णय हुआ कि महिपाल सिंह को थांबेदार नहीं माना जाएगा। उनको पहनाई पगड़ी अमान्य है। कुछ असामाजिक तत्वों ने समाज को तोड़ने का प्रयास किया है।
चौधरी राजेंद्र सिंह मलिक ने कहा कि हसनपुर गांव कभी थांबे की पगड़ी नहीं थी। हमेशा से उनके परिवार में खाप चौधरी के साथ थांबे की पगड़ी भी रही है। वहीं, महिपाल सिंह को जब पगड़ी पहनाई गई थी तो उन्होंने कहा था कि चार पीढ़ी पूर्व उनके परिवार में रामसहाय मलिक थांबेदार थे और किसी कारण से आगे पगड़ी नहीं बांधी जा सकी थी। इस मामले में राजेंद्र सिंह मलिक का कहना है कि यह दावा पूरी तरह निराधार है। सुधीर मलिक, सहदेव मलिक, जसवंत मलिक, विशंबर सिंह, जगदीश मलिक, पंकज मलिक आदि मौजूद रहे।
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