प्रभा आत्रे : किराना घराने की शान में एक और कसीदा
भारत के दूसरे सबसे बड़े नागरिक सम्मान से नवाजी गईं प्रभा आत्रे ने अपने हुनर और कला के दम पर किराना घराने की शान में एक और शानदार कसीदा गढ़ा है। महाराष्ट्र के पुणे की रहने वाली प्रभा आत्रे ने संगीत की प्राथमिक शिक्षा किराना घराने के संस्थापक करीम खां के पुत्र सुरेशबाबू माने और पुत्री हीराबाई बरोडकर से हासिल की थी। भारतीय शास्त्रीय संगीत को वैश्विक स्तर पर लोकप्रिय बनाने में प्रभा की भूमिका बेहद अहम रही है।

शामली, योगेश कुमार 'राज'। भारत के दूसरे सबसे बड़े नागरिक सम्मान से नवाजी गईं प्रभा आत्रे ने अपने हुनर और कला के दम पर किराना घराने की शान में एक और शानदार कसीदा गढ़ा है। महाराष्ट्र के पुणे की रहने वाली प्रभा आत्रे ने संगीत की प्राथमिक शिक्षा किराना घराने के संस्थापक करीम खां के पुत्र सुरेशबाबू माने और पुत्री हीराबाई बरोडकर से हासिल की थी। भारतीय शास्त्रीय संगीत को वैश्विक स्तर पर लोकप्रिय बनाने में प्रभा की भूमिका बेहद अहम रही है।
प्रभा दत्तात्रेय आत्रे मूलरूप से महाराष्ट्र के पुणे में जन्मी थीं। उनके पिता दत्तात्रेय पिलाजी आत्रे और माता इंदिरा आत्रे दोनों ही शिक्षक थे। उन्होंने संगीत की प्राथमिक शिक्षा विजय करनाड़कर से हासिल की। संगीत पर लिखे गए लेखों का संकलन करते हुए उन्होंने स्वरामयी पुस्तक भी लिखी। संगीत में उनके योगदान के लिए महाराष्ट्र सरकार ने उन्हें कई पुरस्कारों से नवाजा था। इसके अलावा उन्हें 1990 में पदमश्री और 2002 में पदमभूषण पुरस्कार से भी नवाजा जा चुका है।
----------------------- किराना घराना का इतिहास
-अब्दुल करीब खां (1872-1937) ने किराना घराने की स्थापना की।
-अब्दुल वाहिद खां (1884-1949), किराना घराना के सह संस्थापक
-सवाई गंधर्व (1886-1952), करीम खां के शिष्य
-सुरेश बाबू माने (1902-1953), करीम खां के पुत्र और शिष्य।
वाहिद खां से भी शिक्षा प्राप्त की
-हीराबाई बादोड़कर (1905-1989) करीम खां की पुत्री और शिष्या
-रोशन आरा बेगम
-सरस्वती राणे
-गंगूबाई हंगल (1993-2006) सवाई गंधर्व की शिष्या
-भीम सैन जोशी (1922-2011) सवाई गंधर्व के शिष्य
-प्रभा अत्रे, सुरेश बाबू माने और हीराबाई बादोड़कर की शिष्या
-माणिक वर्मा, सुरेश बाबू माने और हीराबाई बादोड़कर के शिष्य, अन्य घरानों से शिक्षा हासिल की
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।