Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    शामली में टिनशेड में 186 बच्चों को पढ़ाने के लिए सिर्फ एक शिक्षामित्र, बैठने को कमरा तक नहीं

    By Jagran NewsEdited By: Taruna Tayal
    Updated: Wed, 23 Nov 2022 12:14 PM (IST)

    प्रदेश सरकार स्कूलों को हाइटेक बनाने में जुटी है लेकिन दंगा विस्थापित परिवारों को मूलभूत सुविधाएं भी नहीं हो रही मयस्सर। यहां बच्चों के बैठने को कमरा तक नहीं है। बच्चों को चारदीवारी पर लगे टिनशेड के नीचे बैठकर शिक्षा ग्रहण करनी पड़ रही है।

    Hero Image
    कैराना-झिंझाना मार्ग पर नाहिद कालोनी में चल रहा है अस्थायी स्कूल।

    शामली, सुधीर चौधरी। सरकारी स्कूलों का कायाकल्प हो रहा है। प्रदेश सरकार स्कूलों को हाइटेक बनाने में जुटी है लेकिन नाहिद कालोनी में रह रहे दंगा विस्थापित परिवारों के बच्चों के लिए बना अस्थायी प्राथमिक विद्यालय तमाम सुविधाओं के लिए मोहताज है। यहां बच्चों के बैठने को कमरा तक नहीं है। बच्चों को चारदीवारी पर लगे टिनशेड के नीचे बैठकर शिक्षा ग्रहण करनी पड़ रही है। एक से कक्षा पांच तक के 186 बच्चों को पढ़ाने के लिए सिर्फ एक शिक्षामित्र है। ऐसे में बच्चों का शैक्षिक स्तर भी कमजोर है। आलम यह है कि बच्चे ठीक से अपना नाम तक लिखना नहीं जानते हैं। नियमानुसार प्राथमिक विद्यालयों में 30 बच्चों पर एक शिक्षक का अनुपात है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    मतदान का अध‍िकार पर सुविधाएं नहीं मिली

    वर्ष 2013 में मुजफ्फरनगर दंगा हुआ तो करीब 700 लोग विस्थापित होकर कैराना पहुंचे थे, जो कैराना-झिंझाना रोड पर नाहिद कालोनी में बस गए। इन परिवारों को कैराना देहात ग्राम पंचायत में मतदान करने का भी अधिकार मिला लेकिन सुविधाएं मयस्सर न हो सकीं। जिला प्रशासन ने इन परिवारों के बच्चों का पंजीकरण भूरा गांव के प्राथमिक विद्यालय में कराया लेकिन वहां की दूरी लगभग चार किमी है। ऐसे में प्रशासन ने नाहिद कालोनी में ही अस्थायी पाठशाला का संचालन आरंभ करा दिया। वर्तमान में यहां 186 बच्चे अध्ययनरत हैं। पाठशाला के नाम पर यहां टिनशेड का एक हाल है, जिसके चारों तरफ दीवार तो बनी है लेकिन यहां बच्चे जमीन पर बैठकर शिक्षा ग्रहण करते हैं।

    नहीं है खाने की व्यवस्था

    सरकार की ओर से सरकारी पाठशालाओं में मध्याह्न भोजन की व्यवस्था की गई है। जिसके बनाने के लिए रसोई माता तैनात की जाती है, लेकिन यहां कोई रसोई माता नहीं है। यहां के बच्चों को मध्याह्न भोजन नहीं मिलता है।

    बोले अभिभावक ...

    बेटा कक्षा एक से पढ़ रहा है, जो अब कक्षा तीन में है लेकिन शिक्षक व कक्ष के अभाव में उसे अपना नाम तक ठीक से लिखना नहीं आता है।

    - समसारा पत्नी असलम

    बेटी यहां पढ़ती है, लेकिन प्राथमिक पाठशाला की हालत खराब है। हमें मजबूरी के चलते यहां पढ़ाना पड़ रहा है।

    - खालिदा पत्नी आसमीन

    इन्होंने कहा...

    मैं तीन वर्षों से अकेला ही यहां पर बच्चों को पढ़ा रहा हूं। विद्यालय में पानी का टैंक नहीं था, जिसे मैंने खुद के पैसों से रखवाया है। कक्षा एक से पांच तक के सभी बच्चे एक साथ बैठते हैं।

    - जिया-उल-हक, शिक्षामित्र, अस्थायी प्राथमिक पाठशाला

    नाहिद कालोनी में स्थित प्राथमिक पाठशाला अस्थायी रूप से संचालित है। सभी बच्चों के नामांकन गांव भूरा में स्थित विद्यालय में किए गए हैं। भूरा के विद्यालय में भी अध्यनरत 400 बच्चों पर चार ही अध्यापक हैं। शिक्षकों की कमी के चलते यहां शिक्षामित्र के जरिए कक्षाओं का संचालन कराया जा रहा है। सभी सुविधाओं के लिए उच्चाधिकारियों से वार्ता कर उपलब्ध कराई जाएंगी।

    - सचिन रानी, खंड शिक्षा अधिकारी, कैराना