नवाब तालाब प्रदूषण का शिकार
कैराना ऐतिहासिक नगर है। इसमें विभिन्न ऐतिहासिक धरोहर हैं। इनमें नवाब तालाब अपनी अहम खासियत रखता है। मुगल काल में नवाबों ने यहां तालाब का निर्माण कराया था। यह तालाब सौंदर्य का अदभुत नमूना था लेकिन अब नवाब तालाब प्रदूषण का शिकार हो रहा है।
शामली, जेएनएन। कैराना ऐतिहासिक नगर है। इसमें विभिन्न ऐतिहासिक धरोहर हैं। इनमें नवाब तालाब अपनी अहम खासियत रखता है। मुगल काल में नवाबों ने यहां तालाब का निर्माण कराया था। यह तालाब सौंदर्य का अदभुत नमूना था, लेकिन अब नवाब तालाब प्रदूषण का शिकार हो रहा है। इसमें शहर का प्रदूषित पानी छोड़े जाने से इसका अस्तित्व समाप्त होने के कगार पर पहुंच गया है। इस ओर न प्रशासन ध्यान दे रहा है और न ही सरकार। इस ऐतिहासिक धरोहर की बचाने के लिए कोई जनप्रतिनिधि भी मौन हैं।
दानवीर कर्ण की नगरी में मुगलकालीन नवाब तालाब का अस्तित्व खतरे में पड़ गया है। यह तालाब बादशाह जहांगीर की यादों को संजोए हुए हैं, लेकिन वर्तमान में सरकार की उपेक्षा का शिकार हैं। कभी सौंदर्य से खुद की आकर्षित कर देने वाला नवाब तालाब गंदगी के ढेर में तब्दील होता जा रहा है। तालाब को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की लाख मांगें उठी हों, लेकिन यह आस साकार नहीं हुई है। वैसे तो नगर में कई प्राचीन काल की इमारतें स्थित है। यदि मुगल दौर के बादशाह जहांगीर के नवाब तालाब की बात करें तो तस्वीर भयावह कर देने वाली सामने आती है। यह तालाब अस्तित्व से जंग लड़ रहा है। प्रदूषण और अनदेखी के चलते तालाब लुप्त होने के कगार पर है। बुजुर्ग बताते हैं कि बादशाह जहांगीर ने पानीपत-खटीमा राजमार्ग से करीब 200 मीटर की दूरी पर स्थापित कराया था। एक समय था कि जब तालाब में यमुना नदी से शुद्ध पानी आता था। जहांगीर बादशाह ने तालाब को कैराना को भेंट कर दिया था। इसके बाद हकीम नवाब अली मुकर्रब खां ने तालाब का निर्माण अपने शिष्य दैत्यों द्वारा कराया था। इसका सौंदर्य भी आकर्षक हुआ करता था, जहां लोगों की भीड़ अक्सर देखने को मिला करती थी। आज यह तालाब सरकार की उपेक्षा का शिकार हो गया है। तालाब का पानी स्याह हो चुका है, क्योंकि प्रदूषण फैल गया है। आसपास के लोग तालाब में गंदगी डाल रहे हैं। साफ-सफाई की कोई व्यवस्था नहीं हैं। जिम्मेदार भी तालाब की ओर कोई ध्यान नहीं दे रहे हैं।
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बगीचा करता था मोहित
तालाब किनारे भव्य बगीचा भी लगवाया गया था। यहां चारदीवारी कराई गई थी कुएं भी बनवाए गए थे। यह आकर्षक होता था, इसीलिए दूर-दराज से लोग यहां घूमने आया करते थे। ऐसा भी कहा जाता है कि रानियां भी यहां सैर को पहुंचती थी।
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उठती रही मांगें, नहीं हुई पूरी
नवाब तालाब के पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की मांगें भी जोर पकड़ती रही है। कई बार स्थानीय बाशिदे सरकार को खत लिख चुके है। वर्तमान स्थिति को देखते हुए ऐसा महसूस होता है कि नवाब तालाब का सौंदर्य महज सपना बनकर रह गया है।
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