लिसाढ़ थांबेदार महिपाल सिंह बनाए गए, विवाद शुरू
गठवाला खाप में लिसाढ़ थांबेदार को लेकर विवाद शुरू हो गया है। हसनपुर गांव निवासी महिपाल सिंह को थांबेदार बनाया गया है और पगड़ी बांधने के दौरान गांव में पुलिस-पीएसी की तैनाती रही। वहीं गठवाला खाप चौधरी होने के साथ ही राजेंद्र सिंह थांबेदार भी हैं। ऐसे में उन्होंने जल्द पंचायत करने का ऐलान किया है। साथ ही हसनपुर के एक और व्यक्ति ने थांबे की पगड़ी पर अपना दावा किया है।

शामली, जागरण टीम। गठवाला खाप में लिसाढ़ थांबेदार को लेकर विवाद शुरू हो गया है। हसनपुर गांव निवासी महिपाल सिंह को थांबेदार बनाया गया है और पगड़ी बांधने के दौरान गांव में पुलिस-पीएसी की तैनाती रही। वहीं, गठवाला खाप चौधरी होने के साथ ही राजेंद्र सिंह थांबेदार भी हैं। ऐसे में उन्होंने जल्द पंचायत करने का ऐलान किया है। साथ ही हसनपुर के एक और व्यक्ति ने थांबे की पगड़ी पर अपना दावा किया है।
गठवाला खाप के 52 गांव हैं और लिसाढ़, बहावड़ी, लांक, फुगाना, खरड़, पुरा महादेव, सोहंजनी थांबे हैं। लिसाढ़ थांबे के अंतर्गत 11 गांव लिसाढ़, हसनपुर, बादशाहपुर, खिदरपुर, बुटराड़ी, सल्फा, मतनावली, किवाना, मखमूलपुर, सुन्ना, उजड़ गांव आते हैं। करीब डेढ़ माह पहले 11 गांव के लोगों की पंचायत हुई थी और इसमें कहा गया था कि थांबे की पगड़ी हसनुपर गांव में थी। ऐसे में सेवानिवृत्त पुलिसकर्मी महिपाल सिंह को थांबे की पगड़ी पहनाने का निर्णय लिया गया था। चार पीढ़ी पूर्व उनके परिवार में रामसहाय मलिक को थांबेदार होना बताया और कहा गया कि इसके बाद किन्हीं कारणों से आगे किसी को पगड़ी नहीं बांधी जा सकी थी। रविवार सुबह गांव में हवन हुआ और सभी गांवों से आए लोगों ने महिपाल सिंह को पगड़ी पहनाई। इस दौरान किरणपाल मलिक सल्फा, मांगेराम मलिक किवाना, गुलाब मुखिया, राजपाल सिंह मलिक, राजपाल उर्फ काला, यशवीर सिंह मलिक आदि मौजूद रहे। विवाद की आशंका को देखते हुए शामली कोतवाली प्रभारी पंकज त्यागी फोर्स के साथ तैनात रहे।
वहीं, महिपाल सिंह के परिवार से ही धर्मप्रकाश का कहना है कि वह थांबेदार हैं और महिपाल सिंह को गलत तरीके से थांबे की पगड़ी पहनाई गई है। दादा बलजीत सिंह की सहमति का दावा
महिपाल सिंह ने कहा कि समाज के लोगों ने उन्हें जो जिम्मेदारी दी है, उसका निष्ठा के साथ निर्वहन करेंगे। सभी को साथ लेकर चलेंगे। गठवाला खाप के अखिल भारतीय चौधरी दादा बलजीत सिंह की सहमति से उन्हें थांबेदार बनाया गया है। इन्होंने कहा
हसनपुर गांव में लिसाढ़ थांबे की पगड़ी कभी नहीं थी। कुछ लोग समाज को तोड़ने का काम कर रहे हैं और उन्होंने ही यह ड्रामा कराया है। पगड़ी बांधने में न तो खाप चौधरी रहे और न ही कोई थांबेदार। जल्द ही थांबे के 11 गांव के गणमान्य लोगों की पंचायत होगी। हमेशा से हमारे परिवार के पास ही थांबे की पगड़ी भी रही है। दादा बलजीत सिंह से भी बात हुई है। उन्होंने साफ कहा है कि महिपाल सिंह को पगड़ी पहनाने की कोई सहमति नहीं दी गई।
-राजेंद्र सिंह मलिक, चौधरी गठवाला खाप
अंकुर त्यागी
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