Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Waqf Bill: 'भलाई का नहीं, बल्कि मुसलमानों के वजूद-विरासत मिटाने का बिल', लोकसभा में बोली इकरा हसन

    Updated: Wed, 02 Apr 2025 08:12 PM (IST)

    Waqf Bill - कैराना से सपा सांसद इकरा हसन ने लोकसभा में वक्फ बोर्ड विधेयक पर अपना पक्ष रखा। उन्होंने कहा कि यह बिल मुसलमानों की भलाई का नहीं बल्कि उनके वजूद और विरासत को मिटाने का बिल है। उन्होंने वक्फ बाई यूजर क्लॉज हटाने को लेकर चिंता व्यक्त की और कहा कि इससे लाखों गरीब लोग सड़कों पर आ जाएंगे।

    Hero Image
    लोकसभा में वक्फ बिल पर बोलते हुए कैराना सांसद इकरा हसन। सौ. लोकसभा टीवी

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। वक्फ बोर्ड विधेयक बुधवार को लोकसभा संसद में पेश किया गया, जिस पर चर्चा के दौरान कैराना से सपा सांसद इकरा हसन ने भी अपना पक्ष मजबूती से रखा। इकरा हसन ने कहा कि मोदी सरकार द्वारा लाया गया यह बिल मुसलमानों की भलाई का नहीं बल्कि उनके वजूद और विरासत को मिटाने का बिल है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    इकरा हसन ने अपना पक्ष रखते हुए कहा, इस बिल के टाइमिंग की प्रशंसा करना चाहती हूं कि अभी ईद की रौनक बुझी भी नहीं थी कि हमारी जड़ों पर नया फरमान लाया गया। पहले उत्तर प्रदेश में मुसलमानों को नमाज पढ़ने पर रोक लगाई गई, और फिर सौगात में ये बिल लाया गया।

    उन्होंने एक शेर ‘निसार मैं तेरी गलियों पर ऐ  वतन, जहां चली है रिवाजो गैर  कि जहां कोई न सर उठाकर चल सके’ पढ़ते हुए अपनी बात आगे बढ़ाई।

    इकरा ने कहा, ईद के मौके पर एक विधवा महिला अपनी लड़की के साथ मेरे पास आई, उसने बताया कि वह वक्फ की प्रॉपर्टी में रहती है, वो इस बिल को लेकर फिक्रमंद है कि कहीं उसकी संपत्ति न छीन ली जाए। वह अकेली नहीं है, ऐसे लाखों गरीब लोग हैं, जो वक्फ की संपत्ति से अपना रोजगार चला रहे हैं।

    ये वक्फ बाइ यूजर क्लॉज हटाने से लाखों वक्फ की जायदाद अपना स्टेटस खो देंगी और इसी तरह गरीब लोग सड़कों पर आ जाएंगे। वक्फ बाई यूजर क्या है? इसका मतलब है कि कोई भी जायदाद दीन और भलाई के लिए इस्तेमाल हो रही है तो वह खुदबखुद वक्फ मानी जाएगी।

    उन्होंने आगे कहा, हिंदुस्तान की अदालतों ने भी इस बात को मंजूरी दी है कि वक्फ बाई यूजर सिर्फ वक्फ बोर्ड को मिली कोई सौगात नहीं है, बल्कि सभी अन्य धार्मिक ट्रस्टों और परंपरा और इस्तेमाल के आधार पर बिना किसी दस्तावेज धार्मिक चरित्र को डिक्लेयर करने का राइट मिला है। भारत के संविधान में इसे कानूनी वैधता मिली है।

    इस बिल के कानून बनने पर वक्फ बोर्ड इन अधिकारों से हाथ धो बैठेगा, लेकिन अन्य धार्मिक ट्रस्टों को यह सुविधा जारी रहेगी, इससे भारत के संविधान के आर्टिकल- 14 और आर्टिकल- 15 का सीधा उल्लंघन है, जो धर्म और जाति के आधार पर कानून के सामने सभी को बराबरी पर जोर देता है।

    सत्ता के लोगों की शरारत भी शामिल

    इकरा हसन ने कहा कि सत्ता के लोग एक दूसरे की पीठ थपथपा रहे हैं कि वक्फ बाई यूजर का अमेंडमेंट मंजूर कर लिया गया है, लेकिन इनकी शरारत यह है कि इसमें एक ऐसा कानून शामिल कर दिया है, जिसके आधार पर यह कहा गया है कि अगर कोई भी वक्फ की संपत्ति विवादित होती है तो वक्फ स्टेटस खो देगी। इस अमेंडमेंट का कोई मतलब नहीं है। यह बिल मुसलमानों की भलाई का नहीं बल्कि उनके वजूद और विरासत को मिटाने का बिल है।