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    गर्भस्थ शिशु को बताया था स्वस्थ्य, बच्चा जन्मा तो हाथ का पंजा न था... अस्पताल पर लगा 10.60 लाख का जुर्माना

    By Abhishek Kaushik Edited By: Praveen Vashishtha
    Updated: Sat, 06 Dec 2025 04:58 PM (IST)

    शामली में एक अस्पताल पर 10.60 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया है। आरोप है कि अस्पताल ने गर्भवती महिला के भ्रूण को स्वस्थ बताया था, लेकिन जन्म के बाद ब ...और पढ़ें

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    शामली में एक अस्पताल पर 10.60 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया है। (प्रतीकात्मक फोटो)

    जागरण संवाददाता, शामली। गर्भवती के भ्रूण को स्वस्थ बताने और प्रसव के बाद बच्ची के हाथ का पंजा न होने की शिकायत करने पर स्वजन से महिला चिकित्सक पर अभद्रता करने का आरोप लगाया था। कोई सुनवाई नहीं होने पर पीड़ित पक्ष ने न्यायालय जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग में वाद दायर किया था। आयोग के अध्यक्ष ने इस प्रकरण में फैसला सुनाते हुए अस्पताल पर 10.60 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है।

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    थानाभवन क्षेत्र के गांव हरड़ फतेहपुर निवासी अनुज कुमार ने दायर वाद में बताया कि 15 सितंबर 2021 को गेटवेल अस्पताल एवं अल्ट्रासाउंड प्राइवेट लिमिटेड शामली, राजपूत अल्ट्रासाउंड सेंटर बागपत, रविंद्र नर्सिंग होम अल्ट्रासाउंड डायग्नोस्टिक शामली और दि ओरियंटल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड शामली के विरुद्ध परिवाद दायर कराया था। अनुज कुमार ने बताया कि उसकी पत्नी शालू गर्भावस्था के दौरान अपने मायके में कुछ दिन रहने के लिए गई थी।

    आशा कार्यकर्ता को पता चलने पर उसने पत्नी को अल्ट्रासाउंड कराने का सुझाव दिया। उसने पत्नी का राजपूत अल्ट्रासाउंड सेंटर बागपत के यहां नौ अक्टूबर 2019 को अल्ट्रासाउंड कराया, तो बताया कि भ्रूण सही प्रकार से है। परिवादी ने उसी दिन गेटवेल अस्पताल की चिकित्सक डा. कविता गर्ग को अल्ट्रासाउंड दिखाया तो उन्होंने रिपोर्ट को सही बताया। 29 जनवरी 2020 को डा. कविता गर्ग ने अल्ट्रासाउंड किया और बताया कि भ्रूण पूरी तरह से सही प्रकार से विकास कर रहा है, और सभी अंग सही हैं।

    एक मार्च 2020 को वह पत्नी को लेकर फिर डा. कविता के यहां गए, लेकिन वहां भीड़ होने और प्रसव का समय नजदीक आने के कारण उसने पत्नी का अल्ट्रासाउंड रविंद्र नर्सिंग होम में कराया तो उसने भी रिपोर्ट सही दी। दो मार्च 2020 को शालू ने पुत्री को जन्म दिया, लेकिन उसके एक हाथ का पंजा नहीं था। उसने डा. कविता गर्ग से पूछा कि अल्ट्रासाउंड रिपोर्ट में बच्चा सही होना व अंग विकसित होने बताए गए तो यह तथ्य पहले सामने क्यों नहीं आया कि बच्ची के हाथ का पंजा नहीं है।

    आरोप है कि चिकित्सक भड़क गई केबिन से बाहर निकलवा दिया। शुक्रवार को आयोग के अध्यक्ष हेमंत कुमार गुप्ता और सदस्य अमरजीत कौर ने जारी आदेश में कहा कि परिवादी परिवाद को सिद्ध करने में सफल रहा। आदेशित किया गया कि चिकित्सीय लापरवाही व उपेक्षा के कारण परिवादी को हुई मानसिक, शारीरिक क्षतिपूर्ति व बच्चे के हाथ की विकलांगता व प्लास्टिक सर्जरी के लिए साढ़े नौ लाख रुपये व परिवार व्यय 10 हजार रुपये परिवादी को अदा करने के लिए इस आयोग में जमा करें। इसके अलावा चिकित्सीय लापरवाही व उपेक्षा के लिए अर्थदंड एक लाख रुपये अधिरोपित किया गया।