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    खेती में डटकर पसीना बहा रहे हैं किसान

    By JagranEdited By:
    Updated: Sun, 07 Mar 2021 11:13 PM (IST)

    किसान आंदोलन को शुरू हुए तीन महीने से ज्यादा का समय हो गया है। वहीं गन्ने की छिलाई चरम है। गेहूं की फसल भी करीब एक महीने बाद पककर तैयार हो जाएगी। सब्ज ...और पढ़ें

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    खेती में डटकर पसीना बहा रहे हैं किसान

    जेएनएन, शामली। किसान आंदोलन को शुरू हुए तीन महीने से ज्यादा का समय हो गया है। वहीं, गन्ने की छिलाई चरम है। गेहूं की फसल भी करीब एक महीने बाद पककर तैयार हो जाएगी। सब्जी के काश्तकार भी दिन-रात खेतों में काम कर रहे हैं। कृषि कानूनों से किसान खुश नहीं हैं। वहीं, कई किसानों का कहना है कि देशहित में किसान आंदोलन में कोई न कोई हल जरूर निकालना चाहिए। मालैंडी, बधेव, कसेरवा आदि गांवों के किसान खेतों गन्ना छील रहे हैं। वहीं, बनत और आसपास के किसान भी गन्ने की छिलाई में मशगूल हैं।

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    काफी सस्ती बिक रही गोभी

    संवाद सूत्र, कैराना: किसान आंदोलन को किसानों ने सही भी ठहराने के साथ कहा दिल्ली मंडी में गोभी न जाने और स्थानीय मंडी में औने-पौने दाम मिलने से फसल आधे दाम में बिक रही है। किसानों ने कृषि कानूनों के खिलाफ भी नाराजगी जताई।

    कैराना क्षेत्र में किसानों द्वारा गन्ने की फसल को प्रमुखता दी जाती है। वही इसी के साथ गोभी आदि सब्जियों व धान व गेहूं की फसल को भी अधिकतर किसान प्राथमिकता देते है।

    किसान अहसान माली का कहना है कि गोभी की फसल को हम हर वर्ष तैयार करते हैं। फसल तैयार होने के बाद आजाद मंडी दिल्ली में भेजा जाता रहा है। वहां हमें एक कट्टा लगभग 150 से 200 रुपये का बिक जाता था, लेकिन दिल्ली में स्थित आजाद मंडी बंद होने के कारण यह कट्टा 80 से 90 रुपये का अन्य मंडियों में बिक रहा है। वहीं किसान मुनव्वर का कहना है कि हम जैसे छोटे किसान हरियाणा की मंडियों में मौजूद व्यापरियों से एडवांस रकम लेकर फसल तैयार कर लेते थे। वहीं, किसान आंदोलन में जाने की बात पर कहा कि हम लोग तो मेहनत कर अपने बच्चों का पालन पोषण करने में ही मशगूल हैं।

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    काम का समय, लापरवाही ठीक नहीं

    संवाद सूत्र, कांधला : किसान देवेंद्र सिंह पंजोखरा का कहना है कि किसानों का आंदोलन करना ठीक नही है। खेतों पर इस समय बहुत काम है। अगर समय पर खेतों में काम नही किया गया, तो खाने के भी लाले पड़ जाएंगे। किसानों को धरना समाप्त कर खेतों पर ध्यान देना चाहिए। गांव से किसानों ने इस आंदोलन में भाग नहीं लिया है। किसान शराफत गढ़ीदौलत का कहना है कि कृषि कानूनों के विरोध में किसान पिछले करीब तीन महीनों से धरना-प्रदर्शन कर रहे है। समस्या का कोई हल नही निकल रहा है। ऐसे में अगर खेतों पर ध्यान नही दिया गया, तो परेशानी हो जाएगी। आंदोलन भी चलता रहना चाहिए, ओर फसलें भी खराब न हो। इस समय गन्ने की फसल की छिलाई का कार्य चल रहा है। अगर गन्ने की कटाई नही हुई, तो गन्ना खेतों में खड़ा रह जायेगा।

    राजेश कुमार

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    सरकार और किसान संगठन दें नरमी का परिचय

    संवाद सूत्र, जलालाबाद: कृषि कानूनों को लेकर किसानों की राय जुदा है। कुछ किसानों का मानना है कि सरकार को इन कृषि कानूनों को वापस ले लेना चाहिए। मोहल्ला अली हसन निवासी किसान साकिब का कहना है कि उन्हें कानूनों के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है। वह लगातार खेतों में काम कर रहे हैं। मोहल्ला रामनगर निवासी किसान नरेंद्र का कहना है कि किसान संगठन विपक्षी दलों के साथ दोस्ती निभा रहे हैं। आम किसान रोजमर्रा की तरह खेतों में मेहनत कर रहे हैं। किसान शब्बीर चौधरी का कहना है कि किसान हित में सरकार को कानून वापस ले लेने चाहिएं। केके वत्स