लाखों का बिल चुकाने से किया इनकार, उपभोक्ता आयोग ने इस बीमा कंपनी पर लगाया भारी जुर्माना
शामली में उपभोक्ता आयोग ने ओरियंटल इंश्योरेंस कंपनी पर मेडिक्लेम पालिसी निरस्त करने पर जुर्माना लगाया है। उपभोक्ता योगेश जिंदल ने 2016 में पालिसी ली थी लेकिन क्लेम निरस्त कर दिया गया। आयोग ने कंपनी को 2.13 लाख रुपये का जुर्माना भरने और ब्याज देने का आदेश दिया है। इसके अतिरिक्त वाद व्यय और अर्थदंड भी जमा करने के निर्देश दिए गए है।

जागरण संवाददाता, शामली। जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग के अध्यक्ष ने उपभोक्ता की मेडिक्लेम पालिसी निरस्त करने के वाद की सुनवाई करते हुए द ओरियंटल इंश्योरेंस कंपनी के शाखा प्रबंधक पर 2.13 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है। इसके साथ ही बीमा क्लेम की धनराशि पर छह प्रतिशत वार्षिक ब्याज भी कंपनी को देना होगा।
शहर शामली के हास्पिटल रोड निवासी योगेश कुमार जिंदल ने 13 फरवरी 2019 को जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग में वाद दायर किया था। उपभोक्ता ने अवगत कराया कि बीमा इंश्योरेंस कंपनी से अपने व पत्नी के लिए मेडिक्लेम पालिसी पीएनबी ओरियंटल रायल मेडिक्लेम से वर्ष 2016 में ली थी।
उनको यह विश्वास दिलाया गया था कि भविष्य में किसी भी प्रकार की आवश्यकता होने पर संतुष्टि परक सेवा मिलेगी। इलाज होने पर उपभोक्ता को पांच लाख रुपये तक का खर्च भुगतान किया जाएगा। इस पर भरोसा करते हुए पालिसी प्रीमियम राशि 6760 का भुगतान किया गया।
बीमा पालिसी लेते समय वह और पत्नी पूरी तरह से स्वस्थ थे, उन्हें किसी भी प्रकार की बीमारी नहीं थी। बीमा पालिसी नवीनीकरण पांच जनवरी 2017 को व पांच जनवरी 2018 को हुआ। 2018 में पालिसी लेने के कुछ समय बाद उपभोक्ता को घुटन, बेचैनी और सांस फूलने के साथ ही ब्लड प्रेशर बढ़ने की समस्या होने लगी। इस पर उसने 2018 में अपोलो हास्पिटल नई दिल्ली में दिखाया। विभिन्न वरिष्ठ चिकित्सकों ने टेस्ट कराए और बताया कि हार्ट की नसों में ब्लाकेज है।
उन्होंने स्टंट डलवाने की सलाह दी। उन्होंने बीमा कंपनी के टीपीए रक्षा हेल्थ इंश्योरेंस से संपर्क किया और कैश लेस सुविधा के लिए आवेदन किया, लेकिन सुविधा उपलब्ध नहीं कराई गई, जबकि अस्पताल कैश लेस सुविधा की सूची में सूचीबद्ध है। लंबे समय तक सुविधा की अनुमति नहीं मिलने पर उन्होंने अपना इलाज खुद कराया।
10 मई 2018 से 12 मई 2018 तक अपोलो अस्पताल में भर्ती रहे, जहां स्टंट डाला गया। इसके बाद भी इलाज चलता रहा। इसमें तीन लाख रुपये का खर्च हुआ, जिसमें सभी बिलों का भुगतान कर इंश्योरेंस कंपनी के कार्यालय में जमा कराए, लेकिन कंपनी ने भुगतान नहीं किया।
15 नवंबर 2018 को उसे बताया गया कि बीमा क्लेम निरस्त कर दिया गया है, जबकि कोई सूचना अधिकारिक रूप से नहीं दी गई। जिला उपभोक्ता आयोग के अध्यक्ष हेमंत कुमार गुप्ता, सदस्य अभिनव अग्रवाल और अमरजीत कौर ने वाद की सुनवाई करते हुए 18 सितंबर 2025 को निर्णय सुनाया।
इसमें आदेश दिया कि बीमा कंपनी धनराशि दो लाख 13 हजार 952 रुपये मय छह प्रतिशत वार्षिक ब्याज दर क्लेम निरस्तीकरण की तिथि से अंतिम भुगतान की तिथि तक देंगे।
वाद व्यय 10 हजार रुपये एवं सेवा में कमी व अनुसूचित व्यापार व्यवहार पर 50 हजार का अर्थदंड आयोग में जमा कराएंगे। इसके साथ ही चेतावनी दी कि निर्धारित 45 दिवस की अवधि के भीतर धनराशि जमा न कराने पर उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के तहत कार्रवाई की जाएगी।
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