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    बुटराड़ा हत्याकांड के पीड़ितों को सुप्रीम कोर्ट पर भरोसा

    शामली: वर्ष 2003 के चर्चित बुटराड़ा हत्याकांड में सुप्रीम कोर्ट ने फांसी पर रोक लगा दी है

    By JagranEdited By: Updated: Mon, 14 Aug 2017 12:26 AM (IST)
    बुटराड़ा हत्याकांड के पीड़ितों को सुप्रीम कोर्ट पर भरोसा

    शामली: वर्ष 2003 के चर्चित बुटराड़ा हत्याकांड में सुप्रीम कोर्ट ने फांसी पर रोक लगा दी है। हत्याकांड से संबंधित निचली अदालत के रिकॉर्ड तलब किए हैं। हालांकि पीड़ित पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बारे में अनभिज्ञता जताई है। कहा कि उन्हें अदालत की कार्रवाई पर पूरा विश्वास है। उन्हें न्याय मिलेगा और निचली अदालत के साथ ही हाई कोर्ट के फांसी की सजा के फैसले को सुप्रीम कोर्ट भी बरकरार रखेगी। वे सुप्रीम कोर्ट में पैरवी करेंगे।

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    जनपद शामली के थाना बाबरी के गांव बुटराड़ा में 14 अक्टूबर 2003 में हुए छह लोगों की हत्या के सामूहिक हत्याकांड में हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई की। न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा व अमिताव रॉय और एएम खानविलकर की पीठ ने इस हत्याकांड के एक अभियुक्त मदन की ओर से दायर अपील को स्वीकार करते हुए इस मुकदमे से जुड़े निचली अदालत के रिकॉर्ड तलब किए हैं। सुप्रीम कोर्ट में तीन जजों की पीठ ने आरोपी की मौत की सजा की तामील पर रोक लगाई है। सुप्रीम कोर्ट में दायर अपील में आरोपी मदन ने स्वयं व अन्य आरोपियों ने अपने ऊपर लगाए आरोपों से इंकार करते हुए चुनावी रंजिश में झूठे मामले में फंसाना बताया था। उधर, घटना के समय प्रधान रही मृतक रामकिशन की वृद्ध मां विमला देवी, गवाह सुखपाल व मृतक माशूक अली के बेटे गवाह तैमूर खान ने कहा कि इस मामले में आधा दर्जन लोगों की गोलियों से भूनकर हत्या की गई थी। सुखपाल की कई गोलियां लगने के बाद किसी तरह जान बची थी। निचली अदालत ने इस मामले में 15 जुलाई 2015 को मदन, सुदेशपाल को फांसी व ईश्वर को उम्रकैद की सजा सुनाई थी। हाई कोर्ट ने भी फैसले पर अपनी मुहर लगाई थी। अब सुप्रीम कोर्ट द्वारा इस मामले में दिए आदेश के बारे में उन्हें कोई जानकारी नहीं है। उन्हें कानून पर पूरा विश्वास है। सुप्रीम कोर्ट से भी उन्हें न्याय ही मिलेगा। वे बड़ी अदालत में पैरवी करेंगे।

    ये था मामला

    वर्ष 2003 में शाम लगभग पांच बजे प्रधान विमला देवी का बेटा रामकिशन अपने समर्थक सुखपाल, सतेंद्र व सुनील के साथ उप प्रधान रिजवान के घर जा रहे थे। इस बीच पीछे से आए मदन व उसके भाई राजवीर, रामवीर, रामभवन, कुंवरपाल, पिता ईश्वर, सुदेशपाल, नीटू व चंद्रपाल ने काईबाइन तथा राइफल व तमंचों से गोलियों चलाई, इस दौरान सतेंद्र व सुनील की मौके पर ही मौत हो गई थी। सुखपाल गोली लगने पर घायल हो गया था। रामकिशन जान बचाने के लिए रिजवान के घर में जा घुसा था। हमलावरों ने घर में घुसकर गोलियां बरसाकर वहां मौजूद रिजवान उसके भाई रिहान व रामकिशन की हत्या कर दी थी। बाहर आने के दौरान गली में मौजूद माशूक अली की गोली मारकर हत्या कर दी थी।

    दो आरोपी अभी फरार

    विमला देवी बताती है कि इस मामले में हाई कोर्ट ने कुंवरपाल को वृद्ध मानते हुए उसकी जमानत मंजूर कर दी थी। बाद में इसी आदेश पर ईश्वर को भी जमानत मिल गई। लेकिन बाद में वह एक अन्य हत्या के मामले में पकड़ा गया। घटना के बाद से आरोपी नीटू निवासी भोकरहेड़ी, थाना भोपा मुजफ्फरनगर फरार चल रहा है। अब जमानत पर आया कुंवरपाल व नीटू दोनों फरार हैं। उन्हें उनसे खतरा बना रहता है। इसी के चलते उन्हें सुरक्षा गार्ड मिले हैं।

    हमारी पैरवी से नहीं मिली जमानत

    घटना के गवाह सुखपाल का कहना है कि उनके पक्ष ने निचली अदालत, हाई कोर्ट व सुप्रीम कोर्ट में मजबूत पैरवी की जिस कारण आरोपियों को जमानत नहीं मिल पाई।

    हमें न्याय जरूर मिलेगा

    गवाह तैमूर खान का कहना है कि इस सामूहिक हत्याकांड में उसने पिता माशूक अली की भी हत्या हुई थी। उन्हें अदालत से न्याय मिलने पर पूरा भरोसा है।

    यह बोले- मदन के परिजन

    इस सामूहिक हत्याकांड के आरोपी बनाए मदन की मां वृद्ध महेंद्री ने कहा कि इस हत्याकांड में उनका बेटा मदन रंजिशन फंसाया गया है। उसने हत्या नहीं की। बदमाशों ने यह हत्या की थी। महेंद्री ने अपने परिवार के एक सदस्य से मोबाइल पर बात कराई तो उसने नाम न बताते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट में उन्होंने अपील की थी तब कोर्ट ने फांसी की सजा की तामील करने पर रोक लगाते हुए निचली अदालत का रिकॉर्ड तलब किया है। उन्हें कोर्ट से न्याय मिलने की पूरी उम्मीद है।