भस्त्रिका, कपालभाति का अभ्यास रखेगा स्वस्थ
कोरोना काल में रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने और श्वसन तंत्र को मजबूत रखने की आवश्यकता है। प्राणायाम के कुछ अभ्यास ही इसके लिए काफी कारगर हैं। योग प्र ...और पढ़ें

शामली, जागरण टीम। कोरोना काल में रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने और श्वसन तंत्र को मजबूत रखने की आवश्यकता है। प्राणायाम के कुछ अभ्यास ही इसके लिए काफी कारगर हैं। योग प्रशिक्षक श्रीपाल धामा ने बताया कि प्रतिदिन हमें भस्त्रिका, कपालभाति के साथ सूर्यभेदी-चंद्रभेदी प्राणायाम करने चाहिए।
भस्त्रिका प्राणायाम किसी भी आसन में कर सकते हैं। दोनों हाथों को घुटने पर रख लें। पहले सांस को धीरे से लें और तीव्र गति से छोड़ें। इसके बाद सांस लेने और छोड़ने की गति तीव्र रखें। दस से 15 बार इसी तरह सांस लेना और छोड़ना है। कपालभाति पद्मासन में करें। पेट को अंदर खींचते हुए सांस बलपूर्वक बाहर छोड़ें। सांस लेना नहीं है, सिर्फ छोड़ने पर ध्यान केंद्रित करना है।
यह प्राणायाम दूसरी तरह भी कर सकते हैं। आसन में बैठने के बाद दोनों हाथों को सिर के ऊपर ले जाएं। दोनों हथेलियों को मिला लें। सांसों को छोड़ते हुए हाथों को नीचे लाना है और सांस भरते हुए फिर से ऊपर लेकर जाना है। सूर्यभेदी-चंद्रभेदी प्राणायाम में बायीं नासिका को बंद करके दायीं नासिका से एक बार में सांस को पूरा भर लें। लोहार की धौंकनी की तरह जल्दी-जल्दी सांस लें और छोड़ें। ऐसा 15 सेकेंड तक करें। इसके बाद दायीं नासिका को बंद कर बायीं नासिका से सांस भरें और फिर से 15 सेकेंड तक सांस लेते-छोड़ते रहें। भाप क्रिया भी फायदेमंद है। पानी को गर्म कर उसमें एक बूंद यूकेलिप्टिस का तेल या आधी चम्मच अजवाइन डाल लें। तरीका यह है कि दस बार नाक से भाप लेकर मुंह से छोड़ें। दस ही बार मुंह से भाप लेकर नाक से छोड़ें। रात को सोने से पहले और सुबह उठकर 15-15 मिनट के लिए ध्यान में बैठें।

कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।