शामली से शुरू होगा अखिलेश का सियासी खेल, 2027 के लिए बिछाई बिसात; सपा अध्यक्ष की दस्तक से सियासी तूफान
लोकसभा चुनाव के बाद अखिलेश यादव 2027 के विधानसभा चुनाव पर ध्यान दे रहे हैं। शामली से चुनावी अभियान की शुरुआत होगी जहाँ सपा कभी नहीं जीती। अखिलेश यादव 21-22 अगस्त को शामली आएंगे जिसमें पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कई नेताओं से मिलेंगे। सपा उन 108 सीटों पर ध्यान केंद्रित करेगी जहाँ वह लगातार हारती रही है। कैराना में मुस्लिम और शामली में वैश्य उम्मीदवार हो सकते हैं।

अनुज सैनी, शामली। लोकसभा चुनाव के बाद सपा मुखिया अखिलेश यादव की नजरें अब 2027 के विधानसभा चुनाव पर हैं, इसलिए उन्होंने अभी से रणनीति बनानी शुरू कर दी है। वेस्ट यूपी के शामली जिले से चुनावी शंखनाद किया जाएगा। हालांकि, शामली सीट के इतिहास में यह कभी सपा की झोली में नहीं आ सकी है, इसीलिए यहां की धरा से नए सियासी समीकरण साधने सपा अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव अगस्त में 21 व 22 तारीख को शामली आएंगे। संभावनाएं हैं कि उनके इस दौरे में पश्चिम के कई सियासी दिग्गज और वर्गों को साधा जाएगा।
भगवा खेमे की तर्ज पर ही सपा ने चुनाव-2027 की तैयारियां शुरू कर दी है। सपा हाईकमान का फोकस खासतौर से उन 108 सीटों पर रहेगा, जिन पर पिछले तीन चुनाव में सपा हारती रही है। जिले की शामली सीट पर कभी भी सपा जीत नहीं सकी है, इसीलिए इस कमजोर कड़ी को ही मजबूत करते हुए चुनावी आगाज की तैयारी है।
राजनीतिक सूत्रों का दावा है कि इस बार जिले की तीन सीटों में थानाभवन व शामली पर हिंदू प्रत्याशी व कैराना पर मुस्लिम प्रत्याशी रहेगा। गौरतलब है कि पूर्व विधायक एवं वैश्य समाज के दिग्गज नेता राजेश्वर बंसल सपा अध्यक्ष से मुलाकात कर चुके हैं, और उन्हीं के कारण 21 व 22 अगस्त को शामली में अखिलेश का दौरा है। यहां बंसल समेत काफी संख्या में समर्थक व अन्य नेता सपा में शामिल होंगे। चर्चाएं हैं कि यहां शामली सीट से वैश्य पर दांव खेलते हुए टिकट की घोषणा भी की जा सकती है, क्योंकि शामली सीट पर वैश्य व मुस्लिम मतों का मजबूत समीकरण है।
वेस्ट की लोकसभा सीटों पर जीत से उत्साहित सपा
लोकसभा चुनाव-2024 में कैराना से इकरा व मुजफ्फरनगर सीट पर हरेंद्र मलिक ने सपा के टिकट पर विजय हासिल की थी। सहारनपुर सीट पर भी सपा-कांग्रेस गठबंधन प्रत्याशी इमरान मसूद चुनाव जीते थे। लोस जीत से उत्साहित अखिलेश अब विधानसभा चुनाव में भी कास्ट फैक्टर और मुस्लिम वोट बैंक के सहारे जीत की ताल ठोकेंगे। विस चुनाव-2022 पर गौर करें तो रालोद-सपा का गठबंधन था, जिसके बूते थानाभवन सीट पर आरएलडी से अशरफ अली खान व सदर सीट पर आरएलडी से प्रसन्न चौधरी, जबकि कैराना में सपा के नाहिद हसन चुनाव जीते थे। थानाभवन में आरएलडी प्रतयाशी को जाट-मुस्लिम व शामली में जाट-मुस्लिम वोट बैंक बड़ा लाभ मिला था। इस बार सपा-रालोद गठबंधन नहीं है। सपा जातिगत व पार्टी वोट बैंक के ठोस समीकरण में फिट बैठने वाले प्रत्याशी का चयन करेगी।
थानाभवन सीट पर मंथन, सैनी या जाट में कौन बैठेगा फिट?
सियासी सूत्रों का दावा है कि कैराना पर मुस्लिम व शामली पर वैश्य बिरादरी पर दांव की तैयारी है। थानाभवन सीट से सैनी या फिर जाट प्रत्याशी की कवायद चल रही है, क्योंकि थानाभवन सीट पर सैनी व जाट समुदाय की अच्छी-खासी आबादी है, जो इस क्षेत्र की सियासत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इस सीट पर अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए सैनी या जाट चेहरे पर निगाहें है। थानाभवन सीट पर सैनी व जाट मतदाता, किसी भी पार्टी के लिए जीत की कुंजी हो सकती है। सपा हाईकमान इन समुदाय से बेहतर प्रत्याशी की तलाश में है। सूत्रों की माने तो इस सीट से कई दावेदारों ने हाईकमान व सपा दिग्गजों से मुलाकात की है।
सपा सबसे पहले तीन चुनावों में हारी सीटों पर प्रत्याशी घोषित करेगी। शामली सीट पर कभी सपा ने जीत हासिल नहीं की है, यह काफी अहम है। सपा अध्यक्ष का कार्यक्रम फिलहाल 21 व 22 का प्रस्तावित है। यहां पश्चिम के नेताओं से संवाद किया जाएगा। टिकटों को लेकर सपा अध्यक्ष का निर्णय सर्वमान्य रहता है।- सुधीर पंवार, राष्ट्रीय प्रवक्ता सपा
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