योगी राज में आयुर्वेद से तंदुरूस्त होगी काया
शामली : योगीराज में स्वास्थ्य विभाग बदला-बदला नजर आ रहा है। जिला अस्पताल में खांसी की दवा लेने जाएं
शामली : योगीराज में स्वास्थ्य विभाग बदला-बदला नजर आ रहा है। जिला अस्पताल में खांसी की दवा लेने जाएं तो कोई अंग्रेजी कफ सिरप के बदले कंठकरी आयुर्वेदिक दवा मिल जाए तो चौकिएगा नहीं। योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने के बाद चिकित्सा महकमे की दवाइयों की सूची में अचानक आयुर्वेदिक मेडिसीन की तादाद बढ़ गई है। आयुर्वेद दवाइयों को तवज्जो दी जा रही है। इस प्रक्रिया में सबसे पहले खांसी के सिरप से इसकी शुरुआत की है। सरकारी अस्पतालों में अब खांसी का आयुर्वेदिक सिरप दिया जा रहा है। बताया जा रहा है कि धीरे-धीरे अन्य दवाइयां भी आएंगी।
सतयुग, त्रेता व द्वापर युग में आयुर्वेद से ही उपचार होता था। कलयुग छोडि़ए सौ-दो सौ साल पहले तक आधुनिक चिकित्सा विज्ञान जब विकसित नहीं हुआ था, आयुर्वेद से ही बीमारियों का इलाज होता था। आयुर्वेद हमारी संस्कृतिक पहचान भी है। अब दुनिया के विकसित देशों में एलापैथ के बजाय योग और आयुर्वेद पर लोग भरोसा कर रहे हैं। हाल के पांच दशक में आयुर्वेद पद्धति के प्रति लोगों का रुझान घटता चला गया। विशेषज्ञ बताते हैं कि आयुर्वेद दवाइयों से उपचार धीरे-धीरे चलता है, मगर रोग पूरी तरह से खत्म हो जाता है। वहीं एलोपैथिक तरीके से होने वाले उपचार में रोग से आराम तो एक दम मिल जाता है मगर रोग खत्म नहीं होता है।
ऐसे में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आयुर्वेद को स्वास्थ्य महकमा में प्रतिस्थापित करने का मन बनाया है। इसके कई फायदे हैं। पहला, यह सस्ती होती है। स्वास्थ्य विभाग में सप्लाई होने से संबंधित आयुर्वेदिक दवाओं को बनाने वाले वैद्य एवं स्वदेशी दवा कंपनियों की डिमांड बढ़ेगी।
इसकी शुरूआत सरकारी अस्पतालों, सीएचसी, पीएचसी से की जा रही है। यहां खांसी से पीड़ित मरीजों को अब कंठकरी नाम का आयुर्वेदिक सिरप दिया जा है। इस सिरप को आयुष मंत्रालय ने तैयार कराया है। सिरप की एक्सपाइरी डेट भी मार्च 2020 तक है। स्वास्थ्य अधिकारियों का कहना है कि अभी तक खांसी का सिरप ही आया है। अन्य रोगों की दवाइयों को भी जल्द ही लाया जाएगा।
इन्होंने कहा
सरकारी अस्पताल में आने वाले मरीजों को वितरित करने के लिए इस बार आयुष मंत्रालय ने आयुर्वेदिक सिरप भेजा है। यह पहली बार है कि जब आयुर्वेदिक दवाइयों को सरकारी अस्पताल में भेजा गया है। इससे पहले अधिकतर एलोपैथिक दवाइयां ही आती थी।
डा. जगमोहन, चिकित्सा अधीक्षक, सीएचसी, शामली।
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