Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    मुनव्वर के किरदार का कायल है कैराना

    By Edited By:
    Updated: Thu, 10 Dec 2015 12:06 AM (IST)

    कैराना: कहते हैं कि मौत हो ऐसी कि दुनिया देर तक मातम करे। यहां के रसूखदार सियासी घराने से ताल्लुक रख

    कैराना: कहते हैं कि मौत हो ऐसी कि दुनिया देर तक मातम करे। यहां के रसूखदार सियासी घराने से ताल्लुक रखने वाले मरहूम सांसद मुनव्वर हसन का किरदार कुछ ऐसा ही था। वह इस दुनिया से भले ही विदा हो चुके हैं, लेकिन चाहने वालों का दिल मुनव्वर के लिए आज भी धड़कता है। सबसे कम आयु में देश के सभी सदनों में प्रतिनिधित्व करने का तमगा भी उन्हीं के नाम पर है। कई और उपलब्धियां भी हैं मुनव्वर के नाम।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    यह बताने की जरूरत नहीं कि 10 दिसंबर 2008 की रात बड़ी मनहूस साबित हुई। आगरा के निकट सड़क हादसे में मुनव्वर हसन कभी न खुलने वाली नींद में सो गए। मुनव्वर तत्कालीन उर्जा मंत्री रामवीर उपाध्याय की बेटी की शादी में शरीक होकर दिल्ली लौट रहे थे। काल के क्रूर हाथों ने मुनव्वर हसन को भले ही छीन लिया हो पर उनके चाहने वालों का दिल आज भी रोता है। दरअस्ल, मुनव्वर हसन धाकड़ नेता था। उनमें नेतृत्व की गजब क्षमता थी। वह काफी हद तक ¨हदू-मुस्लिम एकता के हामी थी। उनकी सियासी उपलब्धियां इतिहास के पन्नों में यूं ही नहीं फड़फड़ा रहीं। 15 मई 1964 को कैराना के आलदरमयान में कलस्यान खाप के चौ. बुंदू हसन के पुत्र पूर्व सांसद चौधरी अख्तर हसन के यहां जन्मे मुनव्वर हसन ने सियासत की रपटीली राहों पर कई डग भरे। सियासत उन्हें विरासत में जरूर मिली, लेकिन उसको सहेजने में और आगे बढ़ाने में मुनव्वर कभी पीछे नहीं हटे। राजनीति का उन्होंने वह मुकाम हासिल किया कि गिनीज बुक ने उनका नाम दर्ज किया।

    वैसे तो उन्होंने 1986 में राजनीति में कदम रखा। सबसे पहला चुनाव उन्होंने पालिकाध्यक्ष के पद का लड़ा। इसमें उन्हें पराजय का सामना करना पड़ा था। 1989 के विधानसभा चुनाव में आयु कम होने के कारण मुनव्वर हसन विधानसभा का चुनाव नहीं लड़ पाए। 1991 में हुए मध्यावधि विधानसभा चुनाव में मुनव्वर हसन ने जनता दल के टिकट पर चुनाव लड़कर हुकुम ¨सह को हरा दिया था। 1993 के विधानसभा चुनाव में पुन: फिर जनता दल से ही चुनाव लड़कर हुकुम ¨सह को पटखनी दी। इसके बाद चौ. मुनव्वर हसन समाजवादी पार्टी में शामिल हो गए। समाजवादी पार्टी से 1996 में लोकसभा का चुनाव लड़ा और राजनीति के मजे हुए खिलाड़ी ने कद्दावर नेता हरेन्द्र मलिक के भाई को पटखनी दी। मुनव्वर पहली बार लोकसभा में पहुंचे। 1998 में चौ. मुनव्वर हसन दिग्गज नेता पूर्व राज्यपाल वीरेंद्र वर्मा से चुनाव हार गए। मुलायम ¨सह यादव ने मुनव्वर हसन के सियासी हुनर को भांपते हुए 1998 में ही राज्यसभा में भेज दिया था। राज्यसभा सदस्य रहते हुये ही मुनव्वर हसन ने 2003 में विधान परिषद का चुनाव लड़ा। इसमें मुनव्वर हसन भारी मतों से जीत कर एमएलसी बन गए। सबसे कम उम्र में देश के चारों सदनों का सदस्य बनने का गौरव हासिल कर अपना नाम गिनीज बुक में दर्ज कराया। इसके बाद 2004 के लोकसभा चुनाव में सपा सुप्रीमो मुलायम ¨सह यादव ने मुजफ्फरनगर लोकसभा सीट से मुनव्वर हसन को टिकट दिया। तमाम विरोध के बावजूद हसन ने फतह हासिल की। सांसद रहते हुए उनकी सड़क हादसे में मौत हो गई।

    comedy show banner
    comedy show banner