किसान की मौत पर इंश्योरेंस कंपनी के अधिकारियों ने की क्लेम देने में आनाकानी, 10.60 लाख का लगा जुर्माना
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग ने एलआईसी के दो अधिकारियों पर 10.60 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है। यह जुर्माना किसान की मृत्यु के बाद बीमा क्लेम न देने और पत्नी को परेशान करने के कारण लगाया गया है। मृतक किसान ने 10 लाख रुपये की पॉलिसी ली थी, लेकिन एलआईसी ने गलत जानकारी के आधार पर क्लेम देने से इनकार कर दिया था। आयोग ने एलआईसी को ब्याज सहित क्लेम राशि देने का आदेश दिया है।

जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग ने भारतीय जीवन बीमा के मुख्य शाखा प्रबंधक मेरठ एवं शाखा प्रबंधक शामली पर लगाया जुर्माना। (प्रतीकात्मक फोटो)
जागरण संवाददाता, शामली। जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग ने भारतीय जीवन बीमा के मुख्य शाखा प्रबंधक मेरठ एवं शाखा प्रबंधक शामली पर 10.60 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है। एलआइसी अधिकारियों ने उपभोक्ता किसान का इंश्योरेंस होने के बावजूद बीमा क्लेम नहीं दिया। वहीं, आश्रित पत्नी को अनावश्यक रूप से परेशान करते हुए अनुचित व्यापार-व्यवहार भी अपनाने पर इस धनराशि में 50 हजार रुपये का अर्थदंड भी सम्मिलित किया गया है।
शामली के गांव लिलौन निवासी पूनम पत्नी स्व. सुधीर कुमार ने आठ अगस्त 2023 को जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग में वाद दायर किया था। इसमें उसने अवगत कराया कि उसके पति सुधीर कुमार कृषि कार्य करते थे और ट्रांसपोर्ट कार्य करते हुए परिवार का जीवनयापन कर रहे थे। उनके पास गांव निवासी अजेंद्र आए और एलआइसी की बीमा पालिसी के लाभ गिनाते हुए पालिसी लेने का आग्रह किया।
उन्होंने 10 लाख रुपये की बीमा पालिसी ली। इसकी किस्त 61784 रुपये थी, जिसे एलआइसी शामली के यहां जमा कराया गया। पालिसी के आरंभ होने की तिथि 17 अगस्त 2020 व अंतिम किस्त 28 जून 2034 में जमा की जानी थी। इसकी परिपक्वता तिथि 28 जून 2041 थी। बताया कि दुभार्ग्यवश उनके पति की अचानक 15 दिसंबर 2020 को घर पर ही मृत्यु हो गई। गांव के चिकित्सक को दिखाया गया तो उन्होंने दिल का दौरा पड़ने से मृत्यु की जानकारी दी।
पति सुधीर का अंतिम संस्कार गांव लिलौन में ही किया गया। मृत्यु के बाद शामली शाखा प्रबंधक के यहां क्लेम फार्म व दस्तावेज दाखिल किए गए। इस पर 22 जून 2021 को एक पत्र एलआइसी की ओर से मिला कि मृतक 15-20 माह से छाती के दर्द से पीड़ित था, इसलिए पूर्व में कराए गए इलाज के पर्चे प्रस्तुत करें, जबकि पति का कोई इलाज नहीं चल रहा था। किसी ने गलत सूचना दी थी, लेकिन विपक्षी एलआइसी अधिकारियों ने शिकायत की कोई सूचना नहीं दी और ना ही भुगतान किया गया। 24 नवंबर 2021 को फिर से उसे क्लेम भुगतान नहीं करने के इरादे से पत्र भेजा गया कि सुधीर 20 माह से कैंसर से पीड़ित थे, जिसका इलाज मेरठ एवं शामली के अस्पतालों में हुआ।
डाक्टर से कराए इलाज के पर्चे प्रस्तुत किए जाएं। पत्र में नई बात लिखी गई कि जानकारी में आया है कि बीमा धारक की मृत्यु सितंबर में हुई है, जबकि मृत्यु 15 दिसंबर 2020 में दर्शाई गई है। इसका स्पष्टीकरण प्रस्तुत करने को कहा गया। यह नहीं बताया गया कि उनकी सूचना का आधार क्या है, क्लेम नहीं मिलने की स्थिति में 28 अप्रैल 2022 को क्लेम के संबंध में फिर से पत्र भेजा, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला। अधिकारियों ने 26 अगस्त 2022 को फिर पत्र भेजा कि पति की मृत्यु के दावे के संबंध में बैंक खाते के पिछले तीन साल का विवरण भिजवाएं। क्लेम के लिए सभी दस्तावेज उपलब्ध कराने के बावजूद भी क्लेम की धनराशि नहीं दी गई। केवल झूठा आश्वासन ही देते रहे।
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयेाग के अध्यक्ष हेमंत कुमार गुप्ता ने सदस्य अमरजीत कौर एवं अभिनव अग्रवाल की मौजूदगी में 27 अक्टूबर को निर्णय सुनाया। इसमें स्पष्ट आदेश दिया कि मुख्य शाखा प्रबंधक मेरठ व शाखा प्रबंधक शामली बीमा क्लेम की धनराशि 10 लाख रुपये मय छह प्रतिशत वार्षिक ब्याज की दर से अंतिम भुगतान की तिथि तक देंगे। इसके साथ ही 10 हजार परिवाद व्यय देंगे। सेवा में कमी और अनुचित व्यापार व्यवहार पर 50 हजार रुपये का अर्थदंड भी लगाया गया, जिसे वादी को नहीं दिया जाएगा, यह राजकीय कोष में जमा रहेगा। जिला उपभोक्ता आयोग ने स्पष्ट किया कि निर्धारित 45 दिवस में धनराशि जमा न कराई गई तो उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के तहत कार्रवाई की जाएगी।

कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।