UP News: टेट्रा पैक में मिलेगा गन्ने का रस, सालभर रहेगा सुरक्षित; रुहेलखंड में प्लांट लगाने की तैयारी
उत्तर प्रदेश में अब गन्ने का रस टेट्रा पैक में मिलेगा जिससे यह साल भर तक सुरक्षित रहेगा। भारतीय औद्योगिक संस्थान (आईआईए) के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष अशोक अग्रवाल की पहल पर आईआईटी रुड़की के वैज्ञानिकों ने गन्ने को सुरक्षित रखने की तकनीक विकसित की है। रुहेलखंड क्षेत्र में पहली यूनिट लगाने की योजना है। वैज्ञानिकों ने मुख्य सचिव के सामने प्रस्तुतिकरण दिया।

जागरण संवाददाता, शाहजहांपुर। फ्रूट जूस, छाछ या अन्य पेय की तरह अब गन्ने का रस भी टेट्रा पैक में देने की तैयारी है। यह मूल स्वाद के साथ दुकानों पर वर्ष भर मिल सकेगा। आइआइए के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष अशोक अग्रवाल की पहल पर आइआइटी रुड़की के वैज्ञानिक गन्ने को वर्ष भर सुरक्षित रखने की तकनीक बना चुके हैं।
अब पेटेंट का इंतजार है, जिसके बाद टेट्रा पैक की पहली यूनिट रुहेलखंड क्षेत्र में लगाने की योजना है। टेट्रा पैक में गन्ने का रस किस विधि से सुरक्षित रखा जाएगा, इसकी गुणवत्ता क्या होगी, मूल स्वाद को किस तरह बरकरार रखा जाएगा, इस संबंध में वैज्ञानिकों की टीम मुख्य सचिव के सामने प्रस्तुतिकरण दे चुकी है।
इंडियन इंडस्ट्रीज एसोसिएशन (आइआइए) के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष अशोक अग्रवाल ने बताया कि शाहजहांपुर की तरह कई अन्य जिलों में भी गन्ने की फसल बहुतायत में होती है। सीजन के दौरान इसका रस आसानी से मिलता है, मगर इसके बाद सुरक्षित नहीं रखा जा सकता।
13 अप्रैल को सहारनपुर में उद्यमियों, किसानों व आइआइटी रुड़की के वैज्ञानिकों के साथ सेमिनार में विषय उठाया था कि गन्ने के रस को लंबे समय सुरक्षित रखकर शीतल पेय की तरह पैकिंग में बाजार में लाएं तो किसानों को बड़ा लाभ होगा। स्वरोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे। मंच पर मौजूद मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह ने आइआइटी के वैज्ञानिकों से बात की कि यह गन्ने का रस दीर्घ काल तक सुरक्षित रखने पर शोध-अध्ययन करें तो प्रदेश सरकार सारा खर्च उठाएगी।
वैज्ञानिकों ने इस पर हामी भरते हुए काम शुरू कर दिया। गन्ने का रस उसमें मौजूद बैक्टीरिया व आक्सीकरण के कारण शीघ्र खराब हो जाता है। वैज्ञानिकों ने बैक्टीरिया को नियंत्रित करने का उपाय तलाशते हुए तकनीक विकसित की, ताकि गन्ने के रस को वर्ष भर पीने लायक बनाया जा सके।
शुक्रवार को लखनऊ में आइआइटी रुड़की के पेपर एंड पैकेजिंग विभाग के प्रो. विभोर रस्तोगी, पालिमर एंड प्रोसेस इंजीनियरिंग विभाग के प्रो. अभिजीत, तकनीकी अधिकारी प्रो. अनुराग कुलश्रेष्ठ ने मुख्य सचिव के सामने इस तकनीक का प्रस्तुतिकरण दिया। अब वैज्ञानिक इसका पेटेंट कराकर प्रदेश सरकार को देंगे।
शोध करने वाले वैज्ञानिकों का कहना था कि कुछ आनलाइन प्लेटफार्म पर गन्ना रस के पैक बेचे जा रहे, मगर उपयोग की समय सीमा कम होती है। उसे सही रखने के लिए कई अन्य तत्व मिलाए जाते हैं, जोकि मूल स्वाद को बिगाड़ते हैं। वैज्ञानिकों ने जो तकनीक प्रयोग की है उससे गन्ने का रस बिना मिलावट, वर्ष भर उपयोग के लिए तैयार होगा। इसे अधिक सुरक्षित रखने के लिए प्लास्टिक की बोतल के बजाय टेट्रा पैक में दिया जाएगा।
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