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शाहजहांपुर स्टेशन अब हुआ रेलवे जंक्शन

शाहजहांपुर-पीलीभीत पूर्वोत्तर लाइन को लखनऊ-दिल्ली रूट की बड़ी लाइन से जोड़े जाने के साथ ही शाहजहांपुर रेलवे स्टेशन को जंक्शन का दर्जा मिल गया है। जिले का यह दूसरा रेलवे जंक्शन होगा। इससे पहले रोजा स्टेशन भी जंक्शन है। अगस्त माह से शाहजहांपुर से पीलीभीत रूट पर भी ट्रेनों का संचालन शुरू हो जाएगा

By JagranEdited By: Published: Fri, 30 Jul 2021 01:35 AM (IST)Updated: Fri, 30 Jul 2021 01:35 AM (IST)
शाहजहांपुर स्टेशन अब हुआ रेलवे जंक्शन

जेएनएन, शाहजहांपुर : शाहजहांपुर-पीलीभीत पूर्वोत्तर लाइन को लखनऊ-दिल्ली रूट की बड़ी लाइन से जोड़े जाने के साथ ही शाहजहांपुर रेलवे स्टेशन को जंक्शन का दर्जा मिल गया है। जिले का यह दूसरा रेलवे जंक्शन होगा। इससे पहले रोजा स्टेशन भी जंक्शन है। अगस्त माह से शाहजहांपुर से पीलीभीत रूट पर भी ट्रेनों का संचालन शुरू हो जाएगा।

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गुरुवार शाम रेलवे की प्रवर मंडल वाणिज्य प्रबंधक रेखा शर्मा की ओर से जारी पत्र के जरिए इसकी जानकारी दी गई। शाहजहांपुर से पीलीभीत रेल मार्ग के 84 किमी को ब्राडगेज से जोड़ने का काम करीब तीन साल से चल रहा था। पूर्वोत्तर रेलवे लाइन को नार्दन रेलवे की बड़ी लाइन से मालगोदाम स्थित पक्का तालाब के पास जोड़ने का काम चल रहा था जो बुधवार देर रात ही पूरा हुआ था। नान इंटरलाकिग का काम पूरा होते ही शाहजहांपुर को जंक्शन का दर्जा दे दिया गया है। पूर्व में हुए ट्रायल के बाद मुख्य संरक्षा आयुक्त ने भी पीलीभीत दिशा में यहां से ट्रेनों के संचालन को हरी झंडी दे दी है। ए ग्रेड स्टेशन में शामिल शाहजहांपुर स्टेशन से अब तक बरेली व लखनऊ की दिशा में सीधी ट्रेनों का संचालन होता था। जबकि पीलीभीत के लिए मीटर गेज लाइन से ट्रेनें चलती थीं। शाहजहांपुर से हरदोई के मध्य चली थी पहली ट्रेन

शहर के वरिष्ठ इतिहासकार डा. नानक चंद्र मेहरोत्रा बताते हैं कि अवध एंड रुहेलखंड रेलवे (जो बाद में ईस्ट इंडिया रेलवे के नाम से जानी गई) की प्रथम ट्रेन हरदोई व शाहजहांपुर के मध्य 1 मार्च 1873 को शुरू हुई थी। 8 सितंबर 1873 को शाहजहांपुर से बरेली के फरीदपुर के लिए ट्रेन चली। शाहजहांपुर से पुवायां के बीच 7 जून 1890 को ट्रेन चली चली जो जुलाई 1918 में बंद हो गई। डा. मेहरोत्रा ने बताया कि रोजा से सीतापुर तक 1910 में तथा शाहजहांपुर से बीसलपुर तक 1911 में ट्रेनों का संचालन शुरू हुआ। शाहजहांपुर से उत्तर-पूर्व क्षेत्र होते हुए एक ट्रेन लखनऊ-सीतापुर-बरेली के लिए 1 अप्रैल 1891 को चली थी।

केरूगंज तक भी चलती थी ट्रेन

डा. मेहरोत्रा ने बताया कि शाहजहांपुर स्टेशन से बहादुरगंज होते हुए केरूगंज तक ट्रेन 1916 में शुरू हुई जो काफी समय बाद बंद हो गई। 1880 में निम्न श्रेणी का किराया 2 आना से बढ़ाकर ढाई आना कर दिया गया था। उस समय यूरोपियन लोगों के ट्रेन में बैठ जाने के बाद ही हिदुस्तानी रेलगाड़ी में बैठ सकते थे। तब तक उन्हें एक कमरे में बंद रखा जाता था।


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