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    शाहजहांपुर में बैक डेट में नामांतरण करने में फंसे तहसीलदार, डीएम ने भ्रष्टाचार मानते हुए निलंबन और विभागीय कार्रवाई के लिए लिखा

    Updated: Tue, 01 Jul 2025 08:54 PM (IST)

    शाहजहांपुर में सदर तहसीलदार (न्यायिक) अरुण सोनकर 12 बैनामों का बैक डेट में नामांतरण करने के मामले में फंस गए हैं। डीएम धर्मेंद्र प्रताप सिंह ने इसे भ्रष्टाचार मानते हुए प्राथमिकी दर्ज कराने के आदेश दिए हैं। उन्होंने राजस्व परिषद के आयुक्त को पत्र लिखकर अरुण के निलंबन और विभागीय कार्रवाई की सिफारिश की है।

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    शाहजहांपुर में बैक डेट में नामांतरण करने में फंसे तहसीलदार।- सांकेत‍िक तस्‍वीर

    जागरण संवाददाता, शाहजहांपुर। 12 बैनामों का बैक डेट में नामांतरण करने में सदर तहसीलदार (न्यायिक) अरुण सोनकर फंस गए। मंगलवार को डीएम धर्मेंद्र प्रताप सिंह ने इसे भ्रष्टाचार मानते हुए प्राथमिकी दर्ज कराने के आदेश दे दिए। उन्होंने राजस्व परिषद के आयुक्त को पत्र लिखकर अरुण के निलंबन व विभागीय कार्रवाई की संस्तुति भी की है।

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    आरंभिक जांच के आदेश पर माना गया कि ट्रांसफर होने के बाद उन्होंने साठगांठ कर सादा कागज पर नामांतरण का आदेश जारी कर दिया। इनका उल्लेख आरसीसीएमएस पोर्टल पर भी नहीं था। पुवायां तहसीलदार अरुण सोनकर का 30 अप्रैल को स्थानान्तरण सदर तहसील में हुआ। बीते दिनों पुवायां में कुछ अधिवक्ता नामांतरण की फाइलें लेकर तहसीलदार राघवेश मणि त्रिपाठी के पास पहुंचे ताकि पोर्टल पर अंकित कराई जा सके। नियमानुसार नामांतरण आदेश बारकोड युक्त कंम्यूटराइज्ड होना चाहिए।

    इससे इतर, उन फाइलों में नामांतरण आदेश सादा कागज पर लिखा हुआ था। उन पर पूर्व तहसीलदार अरुण सोनकर के हस्ताक्षर थे परंतु तिथि अंकित नहीं थे। इसकी जानकारी डीएम धर्मेंद्र प्रताप सिंह को दी गई। उन्होंने अरुण सोनकर को कार्यालय बुलाकर फाइलें दिखाईं। अरुण ने स्वीकारा कि हस्ताक्षर उन्हीं के हैं परंतु तारीख अंकित करना भूल गए थे। उन्होंने दोबारा हस्ताक्षर कर पुवायां में तैनात कार्यकाल की तारीख भी डाल दी। प्रकरण संदिग्ध प्रतीत होने पर डीएम ने एडीएम न्यायिक राशिद अली से जांच कराई।

    एडीएम ने जांच रिपोर्ट में लिखा कि नामांतरण में क्रेता व विक्रेता पक्ष को भेजे गए नोटिस भी संलग्न नहीं थे। अरुण सोनकर ने स्थानांतरित होने के बाद पक्षकारों से बिना शपथ पत्र लिए सादा कागज पर बैनामों का नामांतरण किया है। बारकोड रहित हस्ताक्षर व तिथि के बिना पत्रावलियों के निस्तारण को अनियमितता बताया। जांच रिपोर्ट पर डीएम ने कार्रवाई के आदेश दे दिए। इस संबंध में तहसीलदार अरुण सोनकर का पक्ष जानने के लिए उन्हें कॉल की गई, लेकिन रिसीव नहीं हुई।

    डीएम धर्मेंद्र प्रताप सिंह का कहना है कि अरुण सोनकर ने भ्रष्ट आचरण करते हुए सभी पत्रावलियों पर बैक डेट में आदेश जारी किए थे। वर्तमान तहसीलदार पर इन पत्रावलियों को आरसीसीएमएस पोर्टल पर चढ़ाने के लिए दबाव बनाया। अरुण सोनकर को निलंबित करते हुए विभागीय कार्रवाई करने की संस्तुति की है। एसडीएम व तहसीलदार को प्राथमिकी दर्ज कराने के निर्देश भी दिए हैं।

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