फार्मेलिन नहीं ये गैस हुई थी लीक... डीएम धर्मेंद्र प्रताप सिंह की जांच में खुली मेडिकल कॉलेज की पोल
शाहजहांपुर मेडिकल कॉलेज में डीएम की जांच में लापरवाही उजागर हुई। ट्रामा सेंटर के पीछे कबाड़ में क्लोरीन गैस सिलेंडर काटने से रिसाव हुआ जिसे फॉर्मेलिन रिसाव बताया गया। डीएम ने प्राथमिकी के आदेश दिए क्योंकि कर्मचारियों ने सिलेंडर छोड़कर भागकर तथ्य छिपाए। कॉलेज प्रशासन ने जांच कमेटी गठित की है। क्लोरीन गैस विषैली होती है जिसके संपर्क में आने से सांस लेने में दिक्कत होती है।

जागरण संवाददाता, शाहजहांपुर। राजकीय मेडिकल कॉलेज में रविवार को फार्मेलिन नहीं, बल्कि ट्रॉमा सेंटर के पीछे कबाड़ में सिलेंडर काटते समय विषैली क्लोरीन गैस का रिसाव हुआ था। लेकिन अधिकारियों को गलत जानकारी दी गई। प्रशासन की प्राथमिक जांच में यह तथ्य सामने आने के बाद डीएम धर्मेंद्र प्रताप सिंह ने कड़ा रुख अपनाया है। उन्होंने इस पूरे प्रकरण में स्टाफ की लापरवाही मानते हुए कॉलेज प्राचार्य को दोषियों के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज कराने के साथ ही विभागीय कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। मेडिकल कॉलेज प्रशासन ने भी तीन सदस्यीय जांच कमेटी गठित करते हुए जांच शुरू करा दी है।
रविवार शाम साढ़े चार राजकीय मेडिकल कॉलेज के ट्रामा सेंटर के पास गैस का रिसाव होने के बाद भगदड़ मच गई थी। तीमारदार गंभीर रोगियों को भी बाहर लेकर निकल आए थे। प्राचार्य डॉक्टर राजेश कुमार ने फर्मेलिन का रिसाव बताते हुए इसे चूक बताया था, लेकिन डीएम धर्मेंद्र प्रताप सिंह ने एडीएम प्रशासन रजनीश मिश्रा व नगर मजिस्ट्रेट प्रवेंद्र सिंह को जांच सौंप दी थी।
दोनों अधिकारियों ने देर रात मेडिकल कॉलेज में जाकर फिर से पड़ताल की तो उन्हें ट्रॉमा सेंटर के पीछे कबाड़ में सिलेंडर मिला, जो क्लोरीन गैस का था। उसके बारे में पूछे जाने पर बताया गया कि इसे कबाड़ में बेचा गया था, लेकिन सिलेंडर में कट लगे होने पर गहराई से छानबीन की तो पता चला कि गैस का रिसाव इसी से हुआ था। जिसके बाद सिलेंडर को मेडिकल कॉलेज प्रशासन की सुपुर्दगी में दे दिया गया।
अधिकारियों को मिले वीडियो फुटेज
अधिकारियों को सिलेंडर के काटने के समय के वीडियो फुटेज भी मिले। जिसमें मौके पर मेडिकल कॉलेज के एक दो कर्मचारी भी मौके पर मौजूद दिख रहे थे। डीएम ने इस पूरे मामले को गंभीरता से लिया है। उन्होंने स्थिति को रिसाव होने के दौरान इसे नियंत्रित करने की बजाय सिलेंडर छोड़कर भागने, घटना से संबंधित तथ्य छिपाने, क्लोरीन सिलेंडर को लापरवाही से कबाड़ में देने, मेडिकल कॉलेज परिसर में इसे कटवाने सहित विभिन्न आरोप में संबंधितों के विरुद्ध प्राथमिकी के निर्देश दिए हैं। इसके साथ ही पहले दिन भ्रमित जानकारी देने के मामले में भी कार्रवाई होगी।
रिसाव हाेते ही सिलेंडर छोड़कर भागे
मेडिकल कॉलेज में 16 मई को कबाड़ नीलाम किया गया था, जिसमें 40 ठेकेदार शामिल हुए थे। बरेली के ठेकेदार ने कबाड़ खरीदा था। रविवार को ट्रॉमा सेंटर के पास कबाड़ को काटा जा रहा था, जिसमें यह सिलेंडर को काटने का प्रयास किया तो उसमें से गैस निकलने लगी। वहां मौजूद कर्मचारी व अन्य लोग भाग निकले, जिससे संबंधित कुछ साक्ष्य भी जांच अधिकारियों के हाथ लगे हैं। इसमें अस्पताल के भी एक दो कर्मचारी मौके पर थे। इसके बाद अपनी कमी छिपाने के लिए फर्मेलिन बता दिया गया।
विषैली गैस होती है क्लोरीन
क्लोरीन गैस का प्रयोग संक्रमण प्रभावित क्षेत्र में छिड़काव के लिए होता है। यह विषैली गैस होती है। इसके अधिक देर में संपर्क में रहने से सांस लेने में दिक्कत होने लगती है। आंख, त्वचा में जलन महसूस होती है।
प्राचार्य ने भी गठित की कमेटी
मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डा. राजेश कुमार ने इस बारे में कुछ भी बताने से इनकार किया। उन्होंने कहा कि अभी जांच चल रही है। उसकी रिपोर्ट के आधार पर ही आगे की कार्रवाई होगी। प्राचार्य ने बताया कि उन्होंने भी तीन सदस्यीय जांच कमेटी गठित की है। जिसमें डॉक्टर सरोज कुमार व दो अन्य चिकित्सक शामिल रहेंगे। जिसकी भी लापरवाही मिलेगी उस पर कार्रवाई की जाएगी।
मेडिकल कॉलेज में क्लोरीन का सिलेंडर कबाड़ में दे दिया गया था, जिसे काटते समय गैस का रिसाव हुआ था। यह गंभीर लापरवाही है। इसमें जिन भी लोगों के नाम सामने आए हैं प्राचार्य को उन सभी के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज कराने व उनके विरुद्ध कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। इसमें अगर ढिलाई हुई तो प्रशासन के स्तर से प्राथमिकी दर्ज कराई जाएगी। धर्मेंद्र प्रताप सिंह, जिलाधिकारी
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